ऐसी हुई समस्या

श्रीनिवास, तेलंगाना के एक छोटे से गांव का किसान। अपने जेब से बैंक से मिले 2000 के नोटों का गुच्छा निकालता है। 2-2 हजार के नोटों के ये 10,000 रुपये थे। इतना पैसा हाथ में होने के बावजूद ये उसके किसी काम का नहीं था। उसके इतने बड़े नोट को कोई फुटकर नहीं कर रहा था। करता भी कैसे, हर किसी के पास छोटे नोटों की कमी जो थी। फिर भला कौन फुटकर करेगा 2000 का बड़ा नोट। इन पैसों से अब वो न तो एक कप चाय ही पी सकता था, न ही कुछ खा सकता था और न ही बस की टिकट खरीद सकता था। आखिर में जब वो इन पैसों को लेकर घर पहुंचा तो बड़े नोट होने की वजह से उसकी पत्नी भी उसपर भड़क गई। इसके बाद नजर दौड़ी यहीं के करीबी मेडचाल जिले में। यहां भी बैंकों के बाहर लंबी कतारें नजर आईं। कतारों में लंच बॉक्स और पानी की बोतल लेकर कुछ महिलाएं सुबह से अपना नंबर आने के इंतजार में लगी थीं। लाइन में खड़ी हुसैनी बी ने बताया कि वो अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर आईं हैं। घर पर खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं, तो इतनी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी। इस तरह की कई समस्याएं सुनने को मिलेंगी आपको उन लोगों के मुंह से जो बैंकों के बाहर लंबी कतारों में लगे हैं पुराने नोटों को बदलवाने के लिए। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने नोट बंदी की खबर सुनते ही अपने करोड़ों रुपयों को ठिकाने लगाने का जुगाड़ लगा लिया। आइए देखें क्या किया इन्होंने।

अस्पताल के मालिक ने किया ऐसा जुगाड़

अदीलाबाद जिले में एक जाना-माना अस्पताल। इस अस्पताल के लिए ये कहा जाता है कि यहां कमाई तो 10 करोड़ के फिगर में होती है, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न सिर्फ 27 लाख का फाइल किया जाता है। इनका कैश हमेशा रियल स्टेट में इन्वेस्ट होता है। 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा होते ही इनके पास ढेरों में रखे 500 और 1000 के नोटों की कोई कीमत नहीं रह गई। अब अस्पताल के डॉक्टर हाथ में 2 करोड़ रुपये लेकर यहां और वहां दौड़ लगाने लगे। अगले दिन सुबह इन्होंने एक जुगाड़ लगा लिया।

जब पड़ी कैश की कमी,तो ऐसा-ऐसा जुगाड़ आया काम

एकसाथ दे दी तीन महीने की सैलरी

सुबह होते ही अस्पताल में घोषणा हुई कि सभी कर्मचारियों को तीन महीने की सैलरी एडवांस में दी जाएगी। ये सैलरी पूरी पुरानी करेंसी में ही होगी। इसके साथ ही में ये भी ऑर्डर किया गया कि अस्पताल में कोई भी नया इक्विपमेंट या सामान अगले साल तक नहीं मंगाया जाएगा। जितना भी सामान स्टोर में है, इस साल उसी से काम चलाया जाएगा। इसके पीछे कारण बताया गया कि अस्पताल के पास सारी नकदी खत्म हो गई है। फिर क्या था, लीजिए जी लग गया पूरे पैसों का जुगाड़।

जमीनों का लगा ऐसा जुगाड़

रियल स्टेट सेक्टर में मंदी देखी गई। ऐसे में वो लोग जो बड़ी-बड़ी जमीनें खरीदे बैठे हैं। वो पड़ गए मुश्किल में। अब उनको न तो कोई खरीददार मिल रहा है और न ही उनमें कोई इन्वेस्ट करने को तैयार है। इसके अलावा लोगों के बीच अब ये डर भी है कि पीएम मोदी का अगला निशाना उन लोगों पर होगा, जो जमीनें खरीदें बैठे हैं। अब क्या होगा इन लोगों का। कौन सा जुगाड़ काम आया इनके, आइए देखें।

जमा किए बैक डेट के डॉक्यूमेंट्स

अब देखिए कि कैसे इंडिया को कहते हैं जुगाड़ की भूमि। एक आदमी जिसने रंगा रेड्डी जिले में जमीन खरीद रखी थी। उसके दिमाग में आइडिया आया कि वह अपनी जमीन को 6 करोड़ रुपये में बेचना चाहता था। उसके पास जमीन को बेचने के लिए बैक डेट के डॉक्यूमेंट्स पहले से ही तैयार थे। अब उसका प्लान था 6 करोड़ की पुरानी करेंसी में जमीन को बेचने का। ये पैसे बैंक में जमा हो जाएंगे। लैंड डीलिंग के लिए इनपर 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। इस पर वह 8 नवंबर से पहले का क्लेम लगाएंगे। इसका मतलब ये हुआ कि इनको 1.8 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना होगा। तीन महीने बाद इंसेंटिव बायर के रूप में वह खरीददार को नई करेंसी में कैशबैक देंगे। अब उसको इंतजार है ऐसे खरीददार का जो उसकी इस डील में साथ दे।

जब पड़ी कैश की कमी,तो ऐसा-ऐसा जुगाड़ आया काम

ज्वैलर्स ने किया ये

इस समय पूरे देश के ज्वैलर्स पर सरकार की सख्त नजरें हैं। कारण है कि पीएम की घोषणा के बाद ऐसा सुनने को मिला कि लोग तुरंत अपनी मोटी रकम लेकर सर्राफा बाजार की ओर दौड़े हैं। ऐसे में कई ज्वैलर्स शॉप पर तो सरकार ने रेड भी कर दी, जो ब्लैक मनी को भुनाने में लगे थे। वहीं अब सुनने को मिल रहा है कि कई ज्वैलर्स ने तो अपने जेवर अंडर ग्राउंड कर दिए हैं। इससे वो अपने दोस्तों और करीबियों की मदद कर रहे हैं।

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