क्या जान की कीमत दस हजार भी नहीं?

-स्वास्थ्य विभाग के पास दवा भरपूर लेकिन छिड़काव कराने का पैसा नहीं

-लगातार बढ़ रहे डेंगू व मलेरिया के मरीज, डेंगू के पांच नए मरीज आए सामने

ALLAHABAD: लाख कोशिशों के बावजूद आम जनता को मच्छरों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। जिले में मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसका जिम्मेदार हमारा सिस्टम है। मच्छरों को मारने की दवाएं तो स्वास्थ्य विभाग के पास भरपूर हैं लेकिन इसके छिड़काव की मजदूरी का पैसा अभी तक सरकार से नहीं मिला है। इसके चलते दवाएं गोदाम में पड़ी सड़ रही हैं और मच्छरों का प्रकोप लगातार जारी है।

अपनी जेब से मजदूरी दे रहे ग्राम प्रधान

प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सरकार मच्छरों को मारने वाली दवा डीडीटी के छिड़काव के लिए ग्रामवार दस हजार रुपए का बजट जारी करती है। जो विलेज हेल्थ न्यूट्रिशन एंड सैनिटेशन कमेटी के खाते में जाता है। इसी पैसे से ग्राम प्रधानों को अपने इलाके में समय रहते डीडीटी का छिड़काव कराना होता है। इस बार सरकार ने यह रकम जारी नहीं की है, जिसकी वजह से दवा का छिड़काव प्रॉपर तरीके से नहीं हो पा रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ग्राम प्रधान अपनी लायबिलिटी पर दवा का छिड़काव करा रहे हैं लेकिन मलेरिया और डेंगू के मौजूदा आंकड़े इस कथन को झूठा साबित करने के लिए काफी हैं।

पिछले साल से अधिक हैं मलेरिया के मरीज

दवा का प्रॉपर छिड़काव नहीं होने से इस साल बारिश कम होने के बावजूद मलेरिया के मरीजों की संख्या कम नहीं हुई है। पिछले साल जहां अक्टूबर महीने में क्ब्9ब् मरीज सामने आए थे वहीं इस साल इसी महीने में क्भ्ब्0 मलेरिया के मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं। सितंबर में मरीजों की संख्या क्म्म्0 थी। नवंबर में हल्की ठंड शुरू होने के बावजूद मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हुआ है। इसी तरह डेंगू के मरीजों की संख्या भी जिले में ख्फ् हो चुकी है। जबकि, शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग का मानना था कि बारिश कम होने से दोनों बीमारियों के मरीज शायद ही सामने आएं।

पांच नए मरीजों में हुई डेंगू की पुष्टि

शुक्रवार को डेंगू के पांच नए मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें से तीन जिले के हैं और दो बाहर के। जिनमें डेंगू पाया गया है उनमें करछना के फ्8 वर्षीय रहमान, मेजा के ख्ख् साल के रियाज और सिविल लाइंस के क्क् वर्षीय अजय का नाम शामिल है। वहीं रीवा के हरिलाल और जौनपुर के मो। इमरान की खून की जांच भी डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। इन सभी का इलाज शहर के अलग-अलग हॉस्पिटल्स में चल रहा है।

अजीबो-गरीब हैं नियम

उधर सरकार की तरफ से डीडीटी के छिड़काव के लिए बनाए गए नियम भी अजीबो-गरीब हैं। नियमानुसार दवा का छिड़काव वहीं होगा जहां मलेरिया के मरीज पाए जाएंगे। इसके उलट मच्छरों को मारने के लिए दवा के छिड़काव का नियम नहीं है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से हर जगह डीडीटी का छिड़काव कराने की कोशिश करता है।

ये सही है कि इस बार विलेज हेल्थ न्यूट्रिशन एंड सैनिटेशन कमेटी का पैसा नहीं आया है, जिससे दवा के छिड़काव में दिक्कतें पेश आ रही हैं। बावजूद इसके ग्राम प्रधानों की लायबिलिटी पर काम कराया जा रहा है। फंड जारी होने के बाद भुगतान कर दिया जाएगा।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, स्वास्थ्य विभाग