सीवियर केस की रिपोर्ट

सीएमओ की नोटिस के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से सस्पेक्टेड डेंगू केसेज के सैंपल्स भेजने में गिरावट आई है। दो हफ्ते पहले प्राइवेट हॉस्पिटल्स रोजाना 2-5 डेंगू के सस्पेक्टेड केसेज की रिपोर्ट और उनके सैंपल्स सीएमओ ऑफिस के इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोजेक्ट (आईडीएसपी) को भेज रहे थे, लेकिन फॉल्स रिपोर्टिंग पर कार्रवाई की चेतावनी वाली नोटिस के बाद से अब ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से रेग्युलर सैंपल्स भेजना बंद हो गया है। जो हॉस्पिटल्स सैंपल्स भेज रहे हैं, वे भी 2-3 दिन में एक बार किसी सीवियर केस की रिपोर्ट भेज रहे हैं।

कतरा रहे hospital

नोटिस का डर किस कदर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई हॉस्पिटल्स अब सस्पेक्टेड डेंगू के सैंपल्स भी आईडीएसपी को भेजने में कतरा रहे हैं। हॉस्पिटल्स अब सस्पेक्टेड डेंगू के ऐसे केसेज में पेशेंट्स को एनएस-वन एंटीजन, आईजीजी व आईजीएम के तीनों टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं। एनएस-वन एंटीजन पॉजिटिव होने के अलावा आईजीजी व आईजीएम में एक टेस्ट के पॉजिटिव होने से ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स आईडीएसपी को रिपोर्ट देने का हौसला दिखा रहे हैं।

प्रेशर हुआ कम

आईडीएसपी में रोजाना आने वाले सैंपल्स की तादाद में 90 फीसदी तक की गिरावट आ गई है। सीएमओ डॉ। विजय यादव ने खुद इन आंकड़ों पर मुहर लगाई है। वहीं आईडीएसपी के इंचार्ज डॉ। मीसम अब्बास का कहना है कि सीएमओ की नोटिस के बाद से एलाइजा रीडर टेस्ट कराने के सैंपल्स न के बराबर आ रहे हैं। पिछले 4-5 दिनों में तो किसी भी सस्पेक्टेड डेंगू का सैंपल प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से रिसीव नहीं हुआ। पहले जहां प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से रोजाना करीब 35-40 केसेज की जांच के लिए सैंपल्स आईडीएसपी में आते थे, वहीं अब इनकी तादाद 3-4 भी नहीं रह गई है। इस वजह से पीजीआई लैब पर एक्स्ट्रा टेस्ट का प्रेशर काफी कम हुआ है.   

सख्ती का डर

सीएमओ की नोटिस ने डेंगू के डर को सीजनल बिजनेस बनाने वाले कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स की कमाई पर कैंची चला दी है। साथ ही डेंगू का डर दिखा इसे जानलेवा बीमारी का दर्जा दिलाने वाले नर्सिंग होम्स, क्लीनिक और हॉस्पिटल्स पर भी नकेल कसी है। बावजूद इसके डेंगू के कंफर्म केसेज दिख रहे पेशेंट्स की रिपोर्ट देने में कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स कतरा रहे हैं। वजह सीएमओ की कार्रवाई का डर। इन हॉस्पिटल्स का कहना है कि किसी भी प्रॉब्लम्स से बचने के लिए वे बिना आईडीएसपी को रिपोर्ट किए ऐसे केसेज का इलाज कर रहे हैं।

पैथोलॉजी का बोझ घटा

कम स्टाफ की मार झेल रहे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में रोजाना 15 से 18 सस्पेक्टेड डेंगू की जांच हो रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ। केपी सिंह ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में हॉस्पिटल की ओपीडी में सस्पेक्टेड डेंगू के पेशेंट्स में कमी आई है। पहले जहां डेली करीब 20 सस्पेक्टेड डेंगू की जांच की जा रही थी, वहीं अब इनकी तादाद 3-4 पर आकर टिक गई है। इससे जांच के लिए स्टाफ को प्रॉपर टाइम मिल पा रहा है।

वायरल को मिली तवज्जो

डेंगू के कंफर्म केसेज को छोड़ हॉस्पिटल्स अब बाकी का वायरल फीवर की तर्ज पर ट्रीटमेंट कर रहे हैं। कुछ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशंस ने बताया कि सीएमओ की नोटिस के बाद टेस्ट कंफर्म कराने की जरूरत नहीं हो रही है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस के तहत पेशेंट्स का इलाज किया जा रहा है। वहीं फीवर वाले जिन पेशेंट्स में डेंगू के सिम्पटम्स नजर नहीं आ रहे। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशंस ने माना कि फीवर के ज्यादातर केसेज वायरल के ही डिटेक्ट हो रहे हैं।

डेंगू को लेकर जो पिक्चर बनी थी, वह अब वायरल फीवर में बदल गई है। पब्लिक डेंगू से बचने के प्रिकॉशन अपनाने लगी है। अब वायरल फीवर के केसेज ज्यादा हैं। टेस्ट पॉजिटिव होने पर ही डेंगू कंफर्म किया जा रहा है। भेजे जाने वाले सैंपल्स में 80 परसेंट तक कमी आई है।

- डॉ। सोमेश मेहरोत्रा

डेंगू की सीवियरटी में कमी आने के बावजूद इसकी गंभीरता को कम न आंकें। ज्यादातर हॉस्पिटल शुरू में किसी मेडिकोलीगल के पचड़े में न फंसने के डर से हर सस्पेक्टेड डेंगू केस को फॉरवर्ड कर रहे थे। अब सीएमओ नोटिस के बाद इसमें कमी आई है। बेवजह डेंगू बता इलाज करने वाले हॉस्पिटल्स पर कंट्रोल लगा है।

- डॉ। जेके भाटिया

डेंगू के केसेज बताकर धड़ल्ले से इलाज कर रहे प्राइवेट हॉस्पिटल्स पर कार्रवाई की चेतावनी का ही असर हुआ है। पिछले एक हफ्ते में सस्पेक्टेड सैंपल्स में 90 परसेंट की कमी आई है। जहां कंफर्म डेंगू के केसेज हैं, वे हमें रिपोर्ट भेजें। हम ट्रीटमेंट में हेल्प करेंगे। पिछले एक हफ्ते में कोई सैंपल पीजीआई लखनऊ नहीं भेजा गया।

- डॉ। विजय यादव, सीएमओ