एक महीने पहले खतरे की घंटी

अमूमन मानसून खत्म होने के बाद ही डेंगू के केसेज डायग्नोज होते हैं। कारण मानसून के दौरान लगातार होने वाली बारिश मच्छरों को खुली जगह में पनपने का मौका नहीं देती। लेकिन सितंबर में मानसून के लौट जाने पर खुली जगहों और गड्ढों में स्टोर पानी मच्छरों की तादाद बढ़ाने का माहौल देता है, लेकिन इस बार अगस्त में ही डेंगू वायरस के शिकार पेशेंट्स के मिलने से डॉक्टर्स भी हैरान हैं। शहर की कुछ पैथोलॉजी में बीते कुछ दिनों में डेंगू के करीब 6 पॉजिटिव केस डायग्नोज हुए हैं। ऐसे में पैथोलॉजिस्ट को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को इस बारे में नोटिफिकेशन भेजा जाना होता है, लेकिन नोटिफिकेशन न भेज पाने के चलते पैथोलॉजिस्ट खुलकर डेंगू के पेशेंट्स के बारे में जानकारी नहीं दे पा रहे हैं।

खराब पड़ीं fogging machine

सिटी को डेंगू-मलेरिया से इनिशियल स्टेज में ही बचाने के लिए निगम की ओर से फॉगिंग और एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जाता है। इसके लिए निगम को सरकारी खजाने से लाखों का बजट भी मिलता है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही सेहत की रखवाली करने वाली इन मशीनों को कंडम कर रही है। निगम के नगर स्वास्थ्य विभाग के पास कुल 16 छोटी-बड़ी फॉगिंग मशीने हैं। इसमें से दो बड़ी, एक मीडियम और चार छोटी मशीनें फिलहाल ठीक-ठाक हैं। बाकी 9 मशीनें विभाग के स्टोर में बेकार पड़ी धूल फांक रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने कभी इन मशीनों की खराबी पता करने की और उन्हें दूर कर दोबारा इस्तेमाल करने की जहमत नहीं उठाई।

बेकार पड़ी डेंगू एलाइजा मशीन

सिटी की सेहत दुरुस्त रखने के जिम्मेदार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ही डेंगू की जांच के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यहां के ब्लड बैंक में डेंगू एलाइजा मशीन कपड़ों से ढककर तालों में बंद बेकार पड़ी रहती है। ब्लड बैंक में पैथोलॉजिस्ट से लेकर स्टाफ की कमी वैसे ही समस्या बनी है। वहीं डेंगू एलाइजा मशीन के लिए ट्रेंड स्टाफ का न होना भी पेशेंट्स पर भारी पड़ता है। ब्लड बैंक  में डेंगू की इनिशियल जांच के लिए डेंगू टेस्ट कार्ड तो हैं लेकिन ऑथेंटिक जांच के लिए मंगवाई गई डेंगू एलाइजा मशीन पेशेंट्स को मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है। ऐसे में मजबूरन जांच के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल आए कई पेशेंट्स लखनऊ का रुख करते हैं।

डेंगू के symptoms

-तेज बुखार, सिर व बदन में तेज दर्द, शरीर में दाने, चेहरा लाल और ब्लीडिंग।

-टारनीक्वेट टेस्ट पॉजिटिव होना।

-प्लेटलेट्स काउंट - एक लाख से कम होना।

-हीमेटोकिट- 20 परसेंट से ज्यादा।

ऐसे करें घरेलू बचाव

-घर के मच्छर मारने के लिए कीटनाशक छिड़कें।

-घर में कूलर, बाल्टी, फ्लावर पॉट व फ्रिजट्रिप पैन में स्टोर पानी को बदलते रहें।

-मच्छरदानी का करें इस्तेमाल, बॉडी पर एंटी मॉसक्विटो क्रीम, नीम या सरसों का तेल लगाएं।

-घर के पास स्टोर होने वाले पानी को मिट्टी से ढक दें या उसमें डीजल-केरोसिन की बूंदे मिलाएं।

-डेंगू के सीवियर सिम्पटम्स नजर आते ही पेशेंट को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

इन बातों का रखें ध्यान

-डेंगू फीवर के पेशेंट को दर्द के लिए पेन किलर व बुखार के लिए पैरासिटामोल ही दें। भूल से भी एस्प्रीन, फर्टीसोन या डेकाड्रान न दें।

-डेंगू के पेशेंट को खुले में न सोने दें। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, खिड़कियां खुली न रखें।

-घर में बेकार पड़े टूटे बर्तन, खराब टायर-ट्यूब व कबाड़ का सामान इकट्ठा न होने दें।

-घर के पास छायादार जगहों पर मॉइश्चर न पैदा होने दें।

'मानसून खत्म होते ही 15 सितंबर से सिटी में फॉगिंग का अभियान शुरू होगा। चरणबद्ध तरीके से पूरे शहर में फॉगिंग व एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जाएगा। डेंगू से बचाव के लिए पार्षदों को भी पैंफलेट्स बंटवाए जा रहे हैं, जिससे वे अपने वार्ड के लोगों को जागरूक करें। खराब पड़ी फॉगिंग मशीनों के बारे में इंक्वायरी की जाएगी.'

- डॉ। आरएन गिरी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

'डेंगू की आशंका में सभी जांच तुरंत करवाएं, जिसमें खून में प्लेटलेट्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और लीवर एंजाइम एसजीपीटी के कंपल्सरी टेस्ट शामिल हों। अगर फीवर के 72 घंटों में प्लेटलेट्स मिनिमम डेढ़ लाख के आधे रह जाएं तो डेंगू की संभावना है.'  

- डॉ। संजीव कुमार, पैथोलॉजिस्ट

'डेंगू के वायरस साफ व ठहरे पानी में ही पनपते हैं। डेंगू में शुरुआती सावधानी न बरतने पर ब्लीडिंग के चांसेज ज्यादा हो जाते हैं, जिससे पेशेंट की जान को खतरा हो जाता है। कम इम्यूनिटी वाले लोग इसका शिकार आसानी से बनते हैं। 60 हजार से कम प्लेटलेट्स खतरे का रेड सिग्नल है। अपने आस-पास पानी न जमा होने दें.'

- डॉ। जेके भाटिया, फिजिशियन

'डेंगू से निपटने के लिए तैयारियां की जा रही हैं। सभी पीएचसी व सीएचसी को डेंगू से बचाव के लिए निर्देश दिए गए हैं। हॉस्पिटल में डेंगू टेस्ट कार्ड और दवाएं उपलब्ध हैं। साथ ही सभी जगह डेंगू से बचाव की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं.'

- डॉ। विजय कुमार यादव, सीएमओ