पिछले साल का 17 लाख अभी तक नहीं चुका पाया विभाग

-इस साल कम केस आने से मिली विभाग को राहत

-अस्पताल को कम से कम किट इस्तेमाल करने की सलाह

DEHRADUN : स्वास्थ्य विभाग उधार की किट पर डेंगू का टेस्ट करवा रहा है। हालात ये हैं कि इस साल और पिछले साल का उधार भी विभाग चुकता नहीं कर पाया है। पिछले साल का कुल क्म् लाख क्7 हजार 800 रुपया बकाया है, जबकि इस साल का करीब एक लाख रुपया विभाग पर बकाया है।

इस बार कम केस से राहत

इस साल पिछले साल के मुकाबले 90 प्रतिशत कम केस आने से स्वास्थ्य विभाग काफी राहत में रहा। यदि पिछले साल की तरह ही इस साल भी बड़ी संख्या में डेंगू संभावित मरीज अस्पतालों में पहुंचते तो सभी का टेस्ट कर पाना संभव नहीं होता। इस साल विभाग को केवल करीब एक लाख रुपये मूल्य की डेंगू किट ही खरीदनी पड़ी। वह भी कंपनी ने कई शर्ते लगाने पर ही दीं।

भुगतान के नाम पर सिर्फ पत्राचार

कंपनी का क्7 लाख रुपये उधार चुकाने के नाम पर पिछले एक साल से सिर्फ पत्राचार ही हो रहा है। फर्म करीब-करीब हर महीने सीएमओ कार्यालय को पत्र लिखकर अपनी उधारी की याद दिलाती है तो सीएमओ कार्यालय इस पत्र को नत्थी करके एक पत्र निदेशालय को भेज देता है। निदेशालय उन पत्र को अपनी ओर से एक और पत्र लिखकर इन दोनों पत्रों के साथ सचिवालय भेज देता है। इससे आगे कोई बात ही नहीं होती।

कम टेस्ट करने की सलाह

डेंगू किट की उधारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू टेस्ट कर रहे दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कम से कम लोगों का टेस्ट करने की सलाह दे रहा है। हालांकि विवाद से बचने के लिए ये सलाह सिर्फ मौखिक रूप से दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डेंगू टेस्ट करने या न करने से मरीज पर कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि डेंगू का कोई अलग से इलाज नहीं है। मरीज डेंगू संभावित हो या फिर डेंगू कंफर्म उसे सिर्फ पैरासीटामोल टेबलेट ही दी जाती है।

डेंगू की स्थिति

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कुल टेस्ट ब्क्फ्ख्भ् ख्009

पॉजिटिव क्ब्फ्ब् फ्भ्0

मौत 0फ् 00

भ् नये मरीज

मंगलवार को डेंगू के भ् और मरीजों की पुष्टि हुई। इसके साथ ही दून में अब तक कुल फ्भ्0 डेंगू मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें क्8म् मरीज देहरादून के और क्क्7 हरिद्वार के हैं। बाकी मरीज राज्य के अन्य जिलों और यूपी के हैं।

फर्म बिल भुगतान को लेकर लगातार दबाव बना रहा है। मुझे बताया गया है कि सीएमओ कार्यालय की ओर से निदेशालय को लगातार इस बारे में लिखा जा रहा है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द भुगतान हो ताकि आगे भी किट मिल सकें।

-डॉ। वाईएस थपलियाल, सीएमओ