RANCHI: राजधानी में मच्छरों का आतंक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। शाम होते ही पूरे शहर में लोग मच्छरों के डंक से परेशान हो जाते हैं। इस वजह से ही सिटी के सैकड़ों लोग डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में आ चुके हैं। वहीं सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिटी के 85 परसेंट इलाकों में मच्छरों ने लोगों की नींद उड़ा दी है। जबकि मच्छरों को खत्म करने के लिए रांची नगर निगम लगातार फॉगिंग करा रहा है। वहीं लार्वीसाइडल के छिड़काव पर भी लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद शहर में इतने मच्छर कहां से आ गए यह चिंता का विषय है।

फॉगिंग पर हर माह 21 लाख खर्च

53 वार्डो में फॉगिंग के लिए रांची नगर निगम की 15 गाडि़यां हैं, जिसमें से तीन गाडि़यां वीआईपी इलाकों में फागिंग के लिए हर दिन जाती हैं। जबकि दो गाडि़यां हमेशा स्टोर में या फिर गैराज में खड़ी रहती हैं। ऐसे में वार्डो में फॉगिंग के लिए 10 गाडि़यां निकलती हैं। जहां एक-एक गाड़ी को हर दिन 80 लीटर डीजल दिया जाता है। ऐसे में हर महीने लगभग 21 लाख रुपए का डीजल फॉगिंग पर फूंका जाता है।

लार्वीसाइडल पर भी लाखों खर्च

फॉगिंग के अलावा मच्छरों को खत्म करने के लिए लार्वीसाइडल का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि जलजमाव वाले इलाके में मच्छरों का लार्वा खत्म किया जा सके। इसके लिए भी हर माह रांची नगर निगम लाखों खर्च कर रहा है। इसके बाद भी लोग मच्छरों के डंक से परेशान हैं।

नगर निगम हमेशा फॉंिगंग कराने की बात करता है। वहीं छिड़काव की भी बात कही जाती है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि मच्छरों को भगाने का काम ही नहीं हुआ। अब तो बीमारी जिस तरह से फैल रही है कि घर में रहना मुश्किल है।

कुमारी मीनाक्षी

घर से बाहर निकलने में डर लगता है। चूंकि घर में तो हम मच्छरों से खुद को बचा लेते हैं। लेकिन बाहर निकलते ही ये डंक मारते हैं। आखिर रांची नगर निगम कहां सो रहा है। बाकी परेशानी तो हमें झेलनी पड़ती है।

सौरभ सरावगी

मच्छरों ने घर में बैठना भी मुश्किल कर दिया है। स्प्रे करने से कुछ देर के लिए ये गायब होते हैं। लेकिन असर कम होते ही ये काटने को तैयार रहते हैं। नगर निगम न तो रेगुलर फॉगिंग कराता है और न ही छिड़काव। इतना खर्च करने के बाद भी मच्छरों का आतंक है।

संदीप नागपाल

वर्जन

काम में ट्रांसपेरेंसी लाने की तैयारी की जा रही है। मानिटरिंग के लिए भी गाडि़यों में मीटर लगेगा। इससे गड़बड़ी होने की आशंका खत्म हो जाएगी। वहीं छिड़काव को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि लार्वा को खत्म किया जा सके।

संजय कुमार, डीएमसी, आरएमसी