- शहर में बढ़ रही डेंटल रोगों की तादाद

- हर महीने डेंटिस्ट के पास पहुंच रहे हैं 10 से 12 मरीज

- कई केसेज में तो करवाना पड़ रहा फुल माउथ रिहैबिलिटेशन

GORAKHPUR: 'बच्चों को ज्यादा चॉकलेट, टॉफी ना दें, इससे उनके दांत खराब हो जाएंगे'। बड़े-बुजुर्गो की ये सलाह ना मानने वाले पैरेंट्स पर उनकी यह भूल भारी पड़ने लगी है। दांत खराब होने की वजह से लाडलों से लेकर उनके अपनों की मुस्कान जहां मुरझाने लगी है, वहीं उन्हें इसे ठीक कराने के लिए हजारों रुपए भी खर्च करने पड़ रहे हैं। हाल ये है कि समय के साथ लोगों में दांतों के रोग बढ़ते जा रहे हैं। सिर्फ शहर के ही टॉप 10 डेंटिस्ट्स के पास ही हर माह करीब डेढ़ सौ केसेज ऐसे आ रहे हैं, जिनमें दांतों की कंडीशन इस कदर खराब हो गई है कि फुल माउथ रिहैबिलिटेशन कराना पड़ रहा है।

बढ़ती जा रही दिक्कत

गोरखपुर शहर की बात करें तो पहले यहां फुल माउथ रिहैबिलिटेशन के केस काफी कम देखने मिलते थे। मगर बदलती जीवनशैली ने वक्त के साथ इसमें इजाफा कर दिया है। इन दिनों फास्टफूड, चॉकलेट व टॉफियों के बढ़ते क्रेज की वजह से लोगों के दांतों में ज्यादा प्रॉब्लम्स आने लगी हैं। वहीं, यूथ में बढ़ी पान-मसाले और गुटखेकी चाह ने भी इसमें इजाफा कर दिया है। पहले जहां इस तरह के कुछ केस आते थे। वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर काफी ज्यादा हो गया है। शहर के बड़े डेंटिस्ट्स के पास हर माह ही फुल माउथ रिहैबिलिटेशन कराने वाले लगभग 10 से 12 पेशेंट्स पहुंच रहे हैं।

ये हो रहीं प्रॉब्लम्स

- ठंडा-गर्म पानी पीने में दिक्कत।

- दांत का साइज बढ़ जाता है।

- दांतों में दर्द।

- दांतों के बीच गैप।

- खाने के दौरान दांतों के बीच खाना फंसना।

- खाने में प्रॉब्लम।

- दांत काले पड़ जाना।

दांतों की दिक्कत की मुख्य वजहें

- दंत मंजन और गुल का इस्तेमाल।

- तंबाकू, गुटखा और पान मसाला का सेवन।

- एसिडिटी पेशेंट्स।

- दांत पीसने की आदत।

- दांत में दर्द होने पर उसे निकलवा देना।

- टॉफी, चॉकलेट और दूसरी मीठी चीजों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल।

बॉक्स

माउथ रिहैबिलिटेशन देगा राहत

दांत से जुड़ी बड़ी प्रॉब्लम्स के लिए इन दिनों डॉक्टर्स के पास जो लोग पहुंच रहे हैं, उनके लिए पहले आरसीटी (रूट केनाल ट्रीटमेंट) के साथ ही अन्य तरीके अपनाए जाते हैं। अगर इसके बाद भी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होती तो डॉक्टर्स फुल माउथ रिहैबिलिटेशन टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें निकालने और लगाने की जगह, नेचुरल दांतों की तरह फिक्स दांत लगा दिए जाते हैं। इसमें खराब कंडीशन वाले दांतों का रूट केनाल ट्रीटमेंट कर कैप लगा दी जाती है और दूसरे दांतों को मजबूत दांत के सपोर्ट से फिक्स कर दिया जाता है।

पांच दांत तो हों मजबूत

डेंटिस्ट डॉ। अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि माउथ रिहैबिलिटेशन के लिए जरूरी है कि ऊपर और नीचे के कम से कम 5-5 दांत ठीक कंडीशन में हों। ऐसा न होने की कंडीशन में माउथ रिहैबिलिटेशन नहीं किया जा सकता है। इसमें दांतों की क्वालिटी और आरसीटी के इस्तेमाल के बाद 60 हजार रुपए से 2 लाख रुपए तक का खर्च आता है। इसमें सबसे महंगे दांत मेटल फ्री जिरकोनियम के होते हैं। वहीं, जिनके एक भी दांत नहीं है, लेकिन उनके मसूड़े की हड्डी और दूसरे सपोर्ट मजबूत हैं, उनके लिए भी ये एक ऑप्शन हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि उनके दांत इससे ठीक हो जाएं।

वर्जन

दांतों को खराब करने वाली चीजों के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से कई तरह की प्रॉब्लम आ जाती है। इसे ठीक करने के लिए माउथ रिहैबिलिटेशन का इस्तेमाल किया जाता है। पहले जहां इसके कुछ ही केस आते थे, अब इनकी तादाद दर्जन भर से ज्यादा है।

- डॉ। अनुराग श्रीवास्तव, डेंटिस्ट