- तीन साल के पेशेंट्स का रखना होगा हिसाब

- इंडियन डेंटल एसोसिएशन ने जारी किए निर्देश

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : दांत के डॉक्टर्स भी अब दायरे में रहेंगे। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके लिए लक्ष्मण रेखा तय कर दी है। इसके तहत अब डॉक्टर्स को अपने पेशेंट्स का हिसाब रखना होगा और डिमांड किए जाने पर उसे पेश करना होगा। इससे पेशेंट्स और डॉक्टर्स, दोनों को ही फायदा मिलेगा। सिटी के डॉक्टर्स ने नये रूल के अकॉर्डिग काम करना शुरू भी कर दिया है।

तीन साल के मरीजों का रखेंगे हिसाब

ज्यादातर डेटिंस्ट अपने पेशेंट्स और उनकी बीमारी का कोई रिकार्ड नहीं रखते हैं। ऐसी कंडीशन में एक साल में देखे जाने वाले मरीज, उनको दी गई राय और दवाओं की जानकारी मांगने पर कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। इसको लेकर कई बार प्रॉब्लम खड़ी हो जाती है। इस तरह की कई शिकायतें सामने आने पर डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने निर्देश जारी करके कहा कि दांत के डॉक्टर्स अपने तीन साल के पेशेंट्स का हिसाब किताब जरूर रखें। ओपीडी और इलाज का पूरा ब्यौरा दर्ज करके सुरक्षित रखें।

पर्चे और बिल पर लिखेंगे रजिस्ट्रेशन नंबर

डेंटल काउंसिल आफ इंडिया के निर्देशानुसार पर्चे पर डॉक्टर को रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना होगा। पर्चे के साथ साथ बिल पर डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन नंबर का जिक्र किया जाएगा। रिकार्ड रखने, रजिस्ट्रेशन नंबर लिखने का बड़ा फायदा यह मिलेगा कि किसी पेशेंट्स की बीमारी समझने में प्रॉब्लम नहीं होगी। वहीं किसी तरह की कानूनी अड़चन आने पर वह रिकार्ड काम आ सकेगा। इसके अलावा काउंसिल ने डेंटल डॉक्टर्स के विज्ञापन करने, किसी कंपनी के कार्यक्रम में शामिल होने, कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों से गिफ्ट लेने पर रोक लगा दी है।

डेंटल काउंसिल आफ इंडिया की नई गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इससे पेशेंट्स को भी फायदा मिलेगा। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर्स भी पुरानी जानकारी का इस्तेमाल कर सकेंगे।

डॉ। परवेज इकबाल, डेंटिस्ट

यह निर्देश पेशेंट्स और डॉक्टर्स, दोनों के लिए बेनीफिशियल है। कई बार पेशेंट्स की तरफ से शिकायतें सामने आती हैं। इस रिकार्ड के मौजूद रहने से बेवजह के आरोप-प्रत्यारोप से बच सकेंगे।

डॉ। अनुराग श्रीवास्तव, डेंटिस्ट