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- आईएमए हेडक्वार्टर से आए डीन सीजीपी ने दी जानकारी, एमसीआई से मिली सैद्धांतिक सहमति

- अस्पतालों का बोझ घटेगा, शुरुआत में ही बीमारी पता चलने से इलाज का खर्च भी होगा कम

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KANPUR: जल्द ही देश भर के मेडिकल कॉलेजों में पीजी करने वाले डॉक्टर्स को एक नई स्पेशिएलिटी मिलेगी। खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेजों में खुलने वाले इस नए डिपार्टमेंट से आम मरीजों को भी फायदा मिलेगा। क्योंकि इससे आपके इलाज का खर्च भी कम होने की बात कही जा रही है। संडे को कानपुर में आईएमए सीपीजी के उद्घाटन में आए आईएमए हेडक्वार्टर के डीन डॉ। वीके मोगा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फैमिली मेडिसिन एक ऐसी स्पेशिएलिटी होगी तो किसी खास बीमारी के लिए नहीं बल्कि ओवरऑल फैमिली हेल्थ पर जोर देगी। इससे अस्पतालों पर भी बोझ कम होगा। साथ ही शुरुआत में ही बीमारी का पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए एमसीआई से सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है।

फैमिली मेडिसिन में होगी इनकी पढ़ाई

डॉ। मोगा ने बताया कि फैमिली मेडिसिन डिपार्टमेंट से पीजी करने वाले डॉक्टर्स को जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी, जनरल गाइनी, जनरल पीडियाट्रिक जैसे सब्जेक्ट पढ़ाएं जाएंगे। इसके लिए कोई अलग फैकल्टी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इसका सिलेबस बनाने का काम आईएमए हेडक्वार्टर में चल रहा है। डिपार्टमेंट बनाने के लिए प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।

सोलो क्लीनिक को करें अलग

आईएमए हेडक्वार्टर दिल्ली से आए नेशनल सीजीपी डीन डॉ। वीके मोगा ने क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर जारी गतिरोध पर भी चर्चा की और आईएमए की प्रमुख मांगों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिल के अधिकारक्षेत्र से सोलो क्लीनिक्स को अलग किया जाए। इसके लिए अलावा बड़े अस्पतालों के लिए हर शहर में उनकी अलग काउंसिल पहले ही हैं इसलिए उन्हें भी अलग किया जाए। जो डिस्ट्रिक्ट काउंसिल बने उसका चेयरमैन डीएम की बजाय सीएमओ ही हो और उसमें पुलिस अफसरों की कोई भूमिका न हो। ये हमारी प्रमुख मांगें हैं उनके पूरा होने के बाद ही बिल पर बात आगे बढ़ेगी। यूपी सरकार से भी आईएमए यूपी की ओर से बातचीत की जा रही है।