ALLAHABAD: ट्रेनों का टाईम टेबल वैसे तो हर साल अक्टूबर में रिवाइज होता है। हालांकि इससे ट्रेनों के संचालन और टाइमिंग में बहुत अंतर सामने नहीं आता है। लेकिन इस बार कुछ अलग होने जा रहा है। इस बार ट्रेनों का टाइम टेबल एक नवंबर से रिवाइज होगा और इसमें ट्रेनों की टाइमिंग में काफी अंतर आने की संभावना जताई जा रही है।

 

जीरो बेस्ड टाईम टेबल पर वर्क

ट्रेनों की लेट-लतीफी के साथ ही ट्रैक पर ओवर लोडिंग को कम करने के लिए रेल मंत्रालय जीरो बेस्ड टाईम टेबल पर वर्क कर रहा है। जीरो बेस्ड टाईम टेबल का मतलब ये है कि एक ऐसा समय, जब ट्रैक पर कोई ट्रेन न हो, उसके बाद सभी ट्रेनों को कैटेगराइज कर नए सिरे से डिस्टेंस और इंपार्टेस के आधार पर टाईम टेबल तैयार करना। इस पर तेजी से वर्क चल रहा है। रेल मंत्रालय देश में चलने वाली करीब 13000 पैसेंजर ट्रेन और 8000 मालगाडि़यों के लिए नए सिरे से समय सारिणी बनाने में जुटा है।

 

मेंटीनेंस का भी रखना है ध्यान

रेल मंत्रालय द्वारा जो नया टाईम टेबल तैयार किया जा रहा है, उसमें इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि एक तरफ जहां ट्रैक का ओवर लोड कम हो वहीं दूसरी तरफ मरम्मत के लिए खाली समय भी मिले।

 

मालगाडि़यों का समय बदलेगा

वर्तमान में ट्रेनों का जो शेड्यूल है, उसके अनुसार लंबी रूट की ज्यादातर ट्रेनें दिन और रात दोनों समय चलती हैं। नये टाईम टेबल में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि लंबी दूरी की ट्रेनें रात को चलाई जाएं और सुबह मंजिल तक पहुंच जाएं। मालगाडि़यों का समय निर्धारित नहीं होता, लेकिन नए टाइम टेबल में इनकी भी टाइमिंग निर्धारित की जा रही है।

 

रूट पर क्षमता से अधिक लोड

नॉर्थ सेट्रल रेलवे, नॉर्थ इस्टर्न रेलवे और ईस्ट सेंट्रल रेलवे की स्थिति ये है कि ट्रैक पर क्षमता से करीब 40 परसेंट अधिक ट्रेनें चल रही हैं। इसकी वजह से ट्रेनें खूब लेट होती हैं और पैसेंजर को परेशान होना पड़ता है।

 

पैसेंजर्स की सुविधा के लिए रेलवे लगातार कवायद कर रहा है। हर साल ट्रेनों का टाईम टेबल अपडेट किया जाता है। इस बार कुछ एक्स्ट्रा वर्क कर टाईम टेबल में सुधार किया जा रहा है, ताकि लेटलतीफी कम की जा सके।

अमित मालवीय, पीआरओ, एनसीआर