- पिछले नौ दिन में सामने आए 18 डिप्रेशन के केस, सुसाइड की भी घटनाएं बढ़ीं GORAKHPUR: ठंड धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है। इससे जहां दूसरी बीमारियों के पेशेंट्स बढ़े हैं, वहीं डिप्रेशन के केसेज में भी लगातार इजाफा होने लगा है। इसकी अहम वजह सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर है। डॉक्टर्स की मानें तो ठंड के मौसम में सिरोटोनिन केमिकल की कमी होने के साथ ही न्यूरो रिसेप्टर थोड़े वीक हो जाते हैं। ऐसे में लोगों के अंदर डिसीजन लेने की पावर कम हो जाती है। इसकी वजह से डिप्रेशन के केसेज देखने मिलते हैं। ज्यादा तनाव लेने वाले लोगों में इसके चांसेज ज्यादा होते हैं। इससे सुसाइड का खतरा बढ़ जाता है। इसका असर अब अस्पताल में नजर भी आने लगा है। ठंड बढ़ने के साथ शहर के अस्पतालों में डिप्रेशन की जद में आए पेशेंट्स पहुंच रहे हैं। रोजाना इनकी तादाद दो-तीन रहती है। ठंड में बढ़ जाते हैं मरीज ठंड के मौसम में कई बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं। इनमें डिप्रेशन भी शामिल है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें अगर लोग निगेटिव माहौल में रहें, तो उनकी प्रॉब्लम बढ़ती चली जाती है। साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार की मानें तो डिप्रेशन से जूझ रहे मरीज की परेशानी इस मौसम में बढ़ जाती है। ऐसा कई रिसर्च में सामने भी आया है। हालांकि मौसम और सुसाइडल अटेंप्ट का कोई साइंटिफिक अप्रोच नहीं है। - डिप्रेशन के मुख्य कारण - बिजनेस में नुकसान - परिवार में कलह - नशा करना या प्रेम प्रसंग - बेरोजगारी - किसी आपने को खोना - अकेलापन डिप्रेशन में हों तो बरतें सावधानी - पॉजिटिव सोचें और निगेटिव थॉट्स से किनारा करें - लोगों के बीच रहें ताकि दिमाग में कोई फालतू ख्याल न आए। - थोड़ी देर पर कुछ खाते रहें जिससे बिजी रह सकें और माइंड भी फ्रेश रहे। जिला अस्पताल की मानसिक रोग विभाग ओपीडी में इधर आए डिप्रेशन के मरीज तारीख मरीज 9 नवंबर 5 10 नवंबर 1 13 नवंबर 1 15 नवंबर 4 16 नवंबर 1 18 नवंबर 3 20 नवंबर 1 22 नवंबर 1 24 नवंबर 1 केस 1 - 35 वर्षीय रमेश पिछले एक माह से जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में अपना इलाज करा रहे हैं। वह परिवारिक तनाव और आर्थिक तंगी के कारण डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं। केस 2- कैंट एरिया के आवास विकास कॉलोनी सिंघाडि़या की रहने वाली सब्या काफी समय से बीमार चल रही थी। इसके इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए थे। इसलिए वह डिप्रेशन में चल रही थी। उसने बीते सोमवार को छत के कमरे में अंदर से दरवाजा बंद कर आग लगाकर सुसाइड कर लिया था। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ठंड बढ़ने से डिप्रेशन के मरीज बढ़ जाते हैं। इस दौरान लगातार निगेटिव हैपिनिंग की वजह से लोग डीप डिप्रेशन में चले जाते हैं और निराशावादी दृष्टिकोण की वजह से आत्महत्या जैसा कदम तक उठा लेते हैं। - डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट जाड़े में होने वाले अवसाद का कारण सिजनल अफेक्टिव डिस्ऑर्डर होता है। दिमाग में स्राव होने वाले न्यूरो सिरोटोनिन नामक रसायन की कमी आ जाती है। वहीं न्यूरो रिसेप्टर थोड़ा वीक हो जाता। ऐसे में लोगों के अंदर डिसीजन लेने का पॉवर कम हो जाता है। इसकी वजह से डिप्रेशन के मरीजों की तादाद बढ़ जाती है। - डॉ। अमित शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ