बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने पुष्टि की कि राजद के तेरह विधायक दल से अलग होना चाहते थे.

उन्होंने कहा, "बिहार विधानसभा के तेरह सदस्यों ने लिखित- स्वहस्ताक्षरित अपना आवेदन दिया था. इस पर विधानसभा सचिवालय ने विधि सम्मत फ़ैसला लिया."

हालांकि इन  तेरह में से नौ विधायक लालू प्रसाद यादव के पाले में बने हुए हैं. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, "कुछ विधायकों ने इनकार किया है लेकिन किसी ने आवेदन पर अपने हस्ताक्षर से इनकार नहीं किया है."

लालू ने दावा किया है कि कई विधायकों के  दस्तख़त फ़र्ज़ी हैं और विधानसभा अध्यक्ष ने उन विधायकों से बात किए बिना कैसे उन्हें अलग गुट के रूप में मान्यता दे दी.

राजद अध्यक्ष ने कहा, "हमने विधानसभा सचिव को विधायकों के समर्थन की हस्तलिखित चिट्ठी देकर अपना विरोध दर्ज कराया गया है."

जांच का विषय

विधायकों के हस्ताक्षर फ़र्ज़ी होने से जुड़े सवाल पर उदय नारायण चौधरी ने कहा, "यह तो जांच का विषय है."

"हमने तो अभी अंतिम फ़ैसला लिया ही नहीं है, अंचिम अधिसूचना जारी ही नहीं की गई है."

-उदय नारायण चौधरी, अध्यक्ष, बिहार विधानसभा

हालांकि उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि बदली हुई परिस्थिति में भी वह विधि सम्मत फ़ैसला लेंगे.

लालू ने विधानसभा अध्यक्ष पर नीतीश कुमार की अल्पमत सरकार को बचाने का आरोप लगाया है.

इसके जवाब में स्पीकर ने कहा कि लोकतंत्र में किसी को भी किसी पर आरोप लगाने का अधिकार होता है.

हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह किसी के दबाव में नहीं हैं और क़ानून के मुताबिक़ ही अपना काम कर रहे हैं.

बाग़ी विधायकों को नए दल के तौर पर  मान्यता दिए जाने का फ़ैसला कितना सही है, इस सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, "हमने तो अभी अंतिम फ़ैसला लिया ही नहीं है, अंतिम अधिसूचना जारी ही नहीं की गई है."

हालांकि राष्ट्रीय जनता दल के बाग़ी विधायकों का गुट लगातार दावा कर रहा है कि विधानसभा में उनके गुट को मान्यता मिल चुकी है.

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