मोहित शर्मा

आई एक्सक्लूसिव

-ब्लड बैंक में बार कोडिंग व्यवस्था होगी लागू

- सार्वजनिक नहीं होगी ब्लड डोनर्स की पहचान

Meerut। मेडिकल कॉलेज हाईटेक बनने की राह पर है। इसकी शुरुआत ब्लड बैंक से हो रही है। नई व्यवस्था के अनुसार ब्लड बैंक में बार कोडिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। इससे न महज डोनर की पहचान सार्वजनिक होने से बचेगी, बल्कि एक क्लिक से डोनर की सारी डिटेल कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखेगी।

अभी तक ये थी व्यवस्था

दरअसल, अभी तक ब्लड बैंक में डोनर की हॉस्पिटल रिकॉर्ड में मैनुअल एंट्री होती है। इसमें डोनर के नाम व पते से लेकर उसके ब्लड की होने वाली आवश्यक जांचों का ब्यौरा भी विभाग के कागजी रिकॉर्ड में मैनुअली ही लिखा जाता है। जिससे गलतियों की संभावनाएं रहती हैं। यही नहीं ब्लड बैग पर भी ब्लड ग्रुप और डोनर का नाम भी पेंसिल से लिखा जाता है। जिससे ब्लड लेने वाले मरीज को डोनर की पहचान तो उजागर होती ही है साथ ही पेंसिल से लिखे ब्लड ग्रुप मार्क मिट जाने से गड़बड़ी की गुंजाइश बनी रहती है।

अब ये होगा सुधार

बार कोडिंग टेक्नोलॉजी के बाद से मैनुअल सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। साथ ही गड़बड़ी की गुंजाइश पर भी रोक लगेगी। बार कोडिंग के बाद डोनर को एक बार कोड दिया जाएगा। इस बार कोड के आधार पर ही डोनर के ब्लड टेस्ट की सभी रिपोर्ट कंप्यूटर में फीड की जाएगी। इसके साथ ही ब्लड बैग पर भी डोनर का नाम व पहचान न लिखकर सिर्फ बार कोड नंबर ही लिखा जाएगा। इससे डोनर की पहचान तो सार्वजनिक होने से बचेगी ही, साथ ही कंप्यूटराइज्ड सिस्टम होने से मैनुअली होने वाले गड़बडि़यों से बचा जा सकेगा।

सिंगल क्लिक पर आएगी डिटेल

मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक प्रभारी डॉ। सचिन सिंह ने बताया कि बार कोड के आधार पर पूरा डेटा कंप्यूटराइज्ड होगा। इससे बार कोड के आधार पर ही डोनर के खून की सभी जांच कंप्यूटर में फीड की जाएंगी। डोनर की डिमांड पर बार कोड डालते ही कंप्यूटर पर उसके नाम व पते के साथ ब्लड टेस्ट की सभी रिपोर्ट स्क्रीन पर आ जाएगी।

वर्जन

एक अप्रैल से ब्लड कैंप में बार कोड सिस्टम शुरू होगा। नई व्यवस्था से सबसे बड़ा सुधार गड़बडि़यों पर रोकथाम लगना होगा। इसके साथ ही डोनर का पूरा डेटा कंप्यूटर में सुरक्षित रखा जा सकेगा।

-डॉ। सचिन सिंह, ब्लड बैंक प्रभारी मेडिकल कॉलेज मेरठ