- श्रमशक्ति पर तीन दिवसीय सेमिनार का फ्राइडे से शुभारंभ

- देश में सर्वागीण विकास के लिए अर्थशास्त्रियों ने सुझाए solution

LUCKNOW: पिछले कुछ सालों में लेबर से जुड़े मुद्दों पर कितना काम हुआ है? लेबर्स के लिए घोषित की गई योजनाओं पर कितना काम किया गया है और उनका इससे कितना विकास हुआ है? कुल मिलाकर श्रमशक्ति को सही अवसर मिला है और विकास में उनकी कितनी भागीदारी हुई है, इस पर प्रकाश डाला गया। इन मुद्दों पर फ्राइडे को साउथ एशियन यूनिवर्सिटी एंड इंडियन सोसाइटी ऑफ लेवर इकोनॉमिक्स के प्रेसीडेंट प्रो। जीके चढ्डा, इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट के प्रो। टीएस पपोला ने चर्चा की। यह मौका था गिरी विकास अध्यन संस्थान और इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इक्नॉमिक्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रम अनुभवों, चुनौतियों और विकल्प के नजरिए से विकास विषय पर आयोजित तीन दिवस सेमिनार का।

शिक्षा में सुधार जरूरी

इस अवसर पर प्रो। जीके चढ्डा ने कहा कि मौजूदा समय में देश अर्थव्यवस्था के समस्याओं से जुझ रहा है। उसके लिए जरूरी है कि देश के शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था के लिए एजुकेशन के एक बड़ा चैलेंज बन कर सामने आ रहा है। भले ही आज देश में शिक्षण संस्थान बढ़ रहे हैं। मगर इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। वर्ष क्9भ्0 में देश में केवल फ्0 यूनीवर्सिटीज थीं। मगर आज 7000 विश्वविद्यालय बन चुके हैं। वहीं फ्0 हजार के करीब कॉलेज हैं। एक सर्वे के अनुसार अभी भी देश में क्भ्00 यूनीवर्सिटी की जरूरत है। आज भी देश की केवल क्म् से क्7 प्रतिशत आबादी ही शिक्षा के सही स्तर का प्राप्त कर रही है। प्रो। चढ्डा ने बताया कि देश में क्वालिटी एजुकेशन भी बड़ा चैलेंज है, जिसका फ ायदा कुछ स्टूडेंट्स ही ले पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद शिक्षकों का वेतन तो बढ़ गया। मगर उनकी क्वालिटी में सुधार नहीं हो पाया है।

वितरण प्रणाली सही नहीं

इस अवसर पर गिरि विकास अध्यन संस्थान के संस्थापक प्रो। टीएस पपोला ने कहा कि अर्थव्यवस्था के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण हमारे यहां वितरण प्रणाली का सामान्य न होना है। जब तक यह बराबर नहीं होगी, तब तक देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी। जरूरत यह है कि आज देश के पिछड़े इलाकों तक रोजगार पहुंचे। पॉलिसी मेकर्स को देश की इकोनॉमिक, मैनुफैक्चरिंग और पिछड़े क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक सुरेंद्र कुमार के अलावा देश के जाने माने इकोनॉमिस्ट्स ने हिस्सा लिया।