-दलालों को करें दरकिनार, अधिकार का करें इस्तेमाल

-डीएल के लिए योग्यता का रखें ध्यान, जागरुकता के दे परिचय

Meerut। आरटीओ दफ्तर में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अपने आप में एक महाभारत है। सही योग्यता और जानकारी के अभाव में आवेदक एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते रहते हैं। दर्जनों बार दफ्तर की प्रक्रिमा के बाद हारकर आवेदक वहां सक्रिय दलालों के सामने आत्मसर्मपण कर देते हैं। हालांकि दफ्तरों के चक्कर कटाने से लेकर दलालों के आगे घुटने टेकने तक के पीछे विभाग के कुछ अफसरों की भी प्री-प्लांड स्क्रिप्ट शामिल होती है। बावजूद इसके अपनी योग्यता और अधिकारी की पूरी जानकारी के साथ हम ड्राइविंग लाइसेंस निर्माण का तिलिस्म तोड़ सकते हैं।

योग्यता का जानें -

यूं तो आपको शहर की सड़कों पर कम उम्र के युवक यहां तक कि बच्चे भी दुपहिया वाहन दौड़ाते नजर आएंगे, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सही उम्र 16 से 18 साल है। 16 से 18 साल के बीच के आवेदक का लर्निग विदआउट गियर डीएल बनाया जाता है। जबकि 18 साल से ऊपर के आवेदकों के लिए लाइट मोटर व्हीकल/मोटर साइकिल डीएल बनाया जाता है। इसके साथ कुछ आवश्यक औपचारिकताओं के साथ अब डीएल के लिए आवेदन कर सकते हैं।

क्या चाहिए -

-मूल निवास प्रमाण पत्र

-उम्र प्रमाण पत्र

-दो फोटो

-अपना पता लिखा हुआ रजिस्ट्री का लिफाफा

ये है फीस स्ट्रक्चर

-लर्निग -350 रुपए

-लर्निग विदआउट गियर-200 रुपए

-स्थाई लाइसेंस- 1000 रुपए

-कमर्शियल लाइसेंस - लाइट के एक साल बाद

नोट- कमर्शियल लाइसेंस के लिए ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट होना चाहिए।

सिंगल विंडों पर करे आवेदन

हालांकि आरटीओ कार्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम भी लागू है, लेकिन इसकी जानकारी के अभाव में आवेदक इधर-उधर भटक दलालों के चक्कर में लुटते फिटते रहते हैं। आरआई राजेन्द्र कुमार ने बताया कि सिंगल विंडो नंबर 24 पर आवेदन के बाद कहीं जाने की जरूरत नहीं है।

ऑन लाइन करे फीस सबमिट

यही नहीं आप आरटीओ कार्यालय में जाकर फीस जमा कराने की बजाए ऑन लाइन सेवा का भी लाभ उठा सकते हैं। हालांकि अभी तक अधिकांश लोगों की इसकी जानकारी नहीं हो पाई है। लेकिन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट 'यूपी ट्रांसपोर्ट डॉट ओआरजी' पर जाकर आप डीएल की ऑन लाइन फीस जमा कर सकते हैं।

नो योर राइट्स

-यदि किसी भी कर्मचारी द्वारा अतिरिक्त शुल्क मांगा जा रहा है तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं।

-संबंधित अधिकारियों से शिकायत करें या उन्हें अपनी समस्या बताएं।

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आरटीओ में दलाल इस कदर हावी हैं कि सारी योग्यताएं और जानकारी के बाद भी उनको अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है।

-सुनील शर्मा, एल ब्लॉक शास्त्रीनगर

दफ्तर के चक्कर काटने से बेहतर दलालों से काम करना ठीक लगता है। कम से इधर-उधर भटकता तो नहीं पड़ता। अफसर तो सुनते ही नहीं।

-राहुल, सुभाषनगर

ऑन लाइन फीस कैसे जमा की जाती है। इस बारे कभी बताया नहीं गया। आरटीओ दफ्तर में कभी इसकी जानकारी नहीं दी गई।

-सुभम, रजबन

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ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर दलालों के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें। आरटीओ की सिंगल विंडो सिस्टम का लाभ उठाएं। इसके अलावा किसी भी कर्मचारी या दलाल द्वारा अतिरिक्त शुल्क मांगे जाने पर विभाग को सूचित करें।

-ममता शर्मा, आरटीओ मेरठ

पब्लिक कनेक्ट

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