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- बीडीए की एफआईआर के साथ अटैच 26 में से महज 7 अवैध निर्माण पर हुई एफआईआर

- एसएसपी के आदेश के बाद भी एफआईआर नहीं दर्ज होने की बीडीए ने जताई है संभावना

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- बीडीए की एफआईआर के साथ अटैच ख्म् में से महज 7 अवैध निर्माण पर हुई एफआईआर

- एसएसपी के आदेश के बाद भी एफआईआर नहीं दर्ज होने की बीडीए ने जताई है संभावना

BAREILLY:

BAREILLY:

बरेली विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के बाद हुए अवैध निर्माण में पुलिस की मिलीभगत का खुलासा हो चुका है। एसएसपी ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं, लेकिन अभी तक इसकी जानकारी बीडीए तक नहीं पहुंची है। जिसने पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। सीलिंग से पहले बीडीए पर कमाई के आरोप लगते हैं, तो अब सीलिंग के बाद पुलिस की मिलीभगत का आरोप लगने शुरू हो गए हैं, जिसका खुलासा बीडीए की एफआईआर ने कर दिया है। ख्म् में से अभी क्9 रसूखदार ऐसे हैं जिन पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

सीलिंग के पुलिस का रोल

बता दें कि बीडीए जब पहली बार नोटिस जारी करता है तो प्राधिकरण के एक्ट के तहत वह संबंधित थाना को भी एफआईआर सौंपता है। ऐसे में संबंधित मामले की जानकारी थाना प्रभारी को हो जाती है। बीडीए के अधिकारी दिन में तो अलर्ट रहते हैं, लेकिन रात में अवैध निर्माण न हो इसकी जिम्मेदारी गश्ती पुलिस पर होती है। सूत्रों की मानें तो पुलिस अपना कार्य 'जगजाहिर' अंदाज में ही करती है। गुपचुप निर्माण के नाम पर सेटिंग का खेल शुरू होता है, जिसका सुबूत है क्7 मई को बीडीए उपाध्यक्ष का निरीक्षण, जब नोटिस देने के बाद भी रात में निर्माण कार्य जारी था। जिसे रुकवाया था, लेकिन वह निर्माण पूरे हो गए।

बीडीए के अधिकारी भी हैं दोषी

शहर में अवैध निर्माण पर नजर रखने और इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी बीडीए के इंफोर्समेंट दस्ते की है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो ऐसे में अवैध निर्माण की मौन सहमति देने के बदल मोटी रकम वसूलते हैं। शहर के अंदर समेत बाहर भी कई अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं, जिन पर बीडीए की मौन सहमति है। जिसमें जेई और सुपरवाइजर सर्वाधिक दोषी होते हैं। क्योंकि अवैध निर्माण पर नजर और कार्रवाई करने में इनकी मुख्य जिम्मेदारी होती है। जहां दाल गली वहां सहमति और जहां नहीं गली वहां अवैध कंक्रीट का जाल खड़ा करने में मुख्य भूमिका होती है।

कार्रवाई के नियम

- नगर विकास योजना क्97फ् की धारा ख्म् और ख्7 में चालान

- सुनवाई फिर जारी होती है नोटिस, आखिर में ध्वस्तीकरण

- धारा ख्8 में अवैध हिस्सो को प्राधिकरण करता है सील

- सील किए गए एरिया का सर्वेक्षण कर तय होता है जुर्माना

- मानकों की धज्जियां उड़ाने पर किया जाता है ध्वस्तीकरण

अवैध निर्माण नोटिस दिए जाने के बाद बीडीए के राडार पर रहते हैं, लेकिन रात को पुलिस की जिम्मेदारी होती है। पुलिस की अनदेखी की वजह से गुपचुप निर्माण चलता रहता है।

डॉ। सुरेंद्र कुमार, उपाध्यक्ष, बीडीए