17.50 करोड़ के टेंडर निरस्त होने के बाद अधर में लटकी कार्ययोजना

कमिश्नर की जांच पूरी न होने तक नहीं हो सकेगा री-टेंडर

Meerut। जिला पंचायत विभाग के विकास कार्यो पर भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। ग्रामीण अंचल के विकास के लिए जिम्मेदार विभाग के भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद 17.50 करोड़ के विकास कार्यो के टेंडर कमिश्नर ने रद कर दिए थे। कार्रवाई के बाद कार्ययोजना अधर में लटक गई तो वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष और अपर मुख्य अधिकारी के बीच विवाद के बाद कामकाज ठप पड़ा है।

कार्ययोजना पर काले बादल

ठेकों के बदल ठेकेदारों से वसूली के आरोपों के बाद जिला पंचायत विभाग के 17.50 करोड़ रुपये के टेंडर कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार के आदेश के बाद निरस्त कर दिए गए थे। बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर सिंह पर चहेते ठेकेदारों को टेंडर बंटवारे का आरोप लगा था, हालांकि वे आरोपों को निराधार बताते रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कमिश्नर की कार्रवाई से स्पष्ट है कि कहीं न कहीं लोचा है। टेंडर प्रक्रिया को रद करने के बाद अब कार्ययोजना की जांच कमिश्नर कर रहे हैं। ऐसे में एक बार कार्ययोजना पर आशंकाओं के बादल घिर आए हैं। यदि विकास कार्यो के बंटवारे में चहेतों को तरजीह दिए जाने की पुष्टि होती है तो यह कार्ययोजना भी निरस्त हो सकती है।

अपर आयुक्त कर रहे हैं जांच

कमिश्नर के निर्देश पर अपर आयुक्त जिला पंचायत विभाग में हुए टेंडर घोटाले की जांच कर रहे हैं तो वहीं कमिश्नर ने सीडीओ आर्यका अखौरी को कार्ययोजना के जांच के निर्देश दिए हैं। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि जिला योजना के तहत कराए जा रहे कार्यो का बंटवारा चेहरा देखकर हुआ है, ऐसे में कार्ययोजना को रद करने की संभावनाएं बढ गई हैं। वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत में विपक्षी खेमे के सदस्य लगातार हितों की नजरअंदाजी कर चहेते सदस्यों के क्षेत्रों में विकास कार्यो के बंटवारे का आरोप लगा रहे हैं। सीडीओ की जांच रिपोर्ट के बाद ही री-टेंडर पर फैसला हो सकेगा।

जांच में आरोप की पुष्टि के बाद 17.50 करोड़ रुपये के जिला पंचायत विभाग के टेंडर निरस्त कर दिए गए हैं। कार्ययोजना की जांच लंबित हैं, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्ययोजना पर फैसला होगा।

डॉ। प्रभात कुमार, कमिश्नर, मेरठ मंडल

शासन में पहुंचा प्रकरण

मेरठ में जिला पंचायत विभाग की टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का प्रकरण शासन तक पहुंच गया है। जिला योजना के तहत होने वाले विकास कार्यो पर भ्रष्टाचार की छांव पड़ते ही शासन सक्रिय हो गया है। शासन स्तर पर जांच के निर्देश जिला प्रशासन को दिए गए हैं। गौरतलब है कि मेरठ के अलावा अन्य जनपदों में भी आरोपों की पुष्टि के बाद शासन स्तर पर कड़ी कार्रवाई की गई है।