-अफसरों की लापरवाही विकास कार्यो पर पड़ी भारी

-शासन की वेबसाइट पर रिपोर्ट तक नहीं की अपलोड

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ

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बेहतर कानून व्यवस्था, विकास कार्यो में तेजी के तमाम दावे प्रदेश की रैकिंग में हवा हो गए। 75 जिलों में से 69वें स्थान पर रहने की टीस झेलने पर डीएम ने एक सिरे से सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। मंडे रात लखनऊ रवाना होने से पहले एडीएम, सीएमओ, नगर आयुक्त और जिलास्तरीय अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया। सभी से अपने काम की मॉनीट¨रग शिथिल होने और शासन की वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड न किए जाने पर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। डीएम दफ्तर से शाम तक नोटिस पहुंचते ही अफसरों की सक्रियता बढ़ गई।

 

फजीहत के बाद जागा प्रशासन

रैंकिंग कोई अचानक बैरियर लगाकर मानकों की जांच के बाद नहीं आई है। पिछले आठ महीने से इसके लिए शासन में मुख्य सचिव के निर्देशन वाली टेक्निकल टीम सितंबर 2017 से जिलों के प्रदर्शन पर नजर रख रही थी। कानून-व्यवस्था और विकास कार्य के साथ ही विभागों को सीधे सौंपे जाने वाले कार्यो की पूर्णता रिपोर्ट तक शासन की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई। जबकि, ग्रेडिंग सिस्टम के लिए जारी गाइड लाइन में ही हर महीने की 10 तारीख तक सभी संदर्भ और उनकी रिपोर्ट अपलोड करने के निर्देश दिए। यही लापरवाही जिले पर भारी पड़ी, और बरेली को श्रेणी डी में रखा गया। अब डीएम तंत्र सुधारने को कार्रवाई का चाबुक भांजने लगे। एडीएम प्रशासन रामसेवक द्विवेदी, एडीएम वित्त एवं राजस्व मनोज पांडेय, नगर आयुक्त राजेश कुमार श्रीवास्तव, सीएमओ डॉ। विनीत शुक्ला से लेकर विभागों के जिलास्तरीय अधिकारियों को नोटिस दिए हैं।