आई एक्सक्लूसिव

-10 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यो की फाइलें नगर निगम में लंबित, 16 करोड़ के नहीं हो पाए हैं भुगतान

-निगम की लगातार गिरती आय और बढ़ते खर्चो ने जरूरी विकास के कार्यो पर लगा दिया है ब्रेक

- बजट न होने का दिया जा रहा है हवाला, राज्य वित्त आयोग की भेजी गई राशि से दी जा रही सैलरी व पेंशन

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KANPUR : निगम की लगातार गिरती आय और बढ़ते खर्चो ने विकास के कार्यो पर ब्रेक लगा दिया है। नगर निगम इन दिनों वित्तीय संकट से गुजर रहा है, इससे कई कार्य जहां के तहां रुके पड़े हैं। दर्जनों विकास कार्यो की फाइलों की लंबी कतार लगी पड़ी है। जिस पर अभी नगर आयुक्त के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण बजट का न होना भी बताया जा रहा है।

डेवलपमेंट कायार्े पर लगाम

सिटी में सड़क निर्माण, पैचवर्क, नाली निर्माण और कई वार्डो के इंटरलॉकिंग के कार्य रुके पड़े हैं। किसी भी कार्य को कराने के लिए वार्ड के लोग मिलकर पार्षद को बताते हैं और पार्षद नगर निगम को अवगत कराता है। इसके बाद संबंधित कार्य के जोनल अधिकारी उसका इस्टीमेट तैयार करते हैं। फाइल बनाकर चीफ इंजीनियर के पास जाती है, जिसे जांच कर वह नगर आयुक्त के पास फाइल को भेज देता है। नगर आयुक्त के सिग्नेचर के बाद उस पर कार्य शुरू कर दिया जाता है। लेकिन वित्तीय संकट के चलते कई कार्य पेन्डिंग पड़े हैं। इससे शहर में डेवलपमेंट व‌र्क्स या तो धीमे हो गए हैं या बंद पड़े हैं।

फाइलों का लगा अंबार

नगर निगम के चीफ इंजीनियर के ऑफिस में इन दिनों फाइलों का अंबार लगा है। ऑफिस में विकास कार्यो से जुड़ी करीब ब्00 फाइलें पेंडिंग पड़ी हैं। इन फाइलों पर अंतिम फैसला लेकर नगर आयुक्त को साइन करना है। बजट न होने से यह फाइलें पास होने में समय लग जाने की संभावना है। बता दें कि शहर में करीब क्8 करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं और क्भ् करोड़ के कार्यो के भुगतान नहीं हो पाया है। वहीं क्0 करोड़ से अधिक के कार्यो की फाइलें लंबित पड़ी हैं।

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सैलरी और पेंशन में जा रहा बजट

नगर निगम के पास नियमित, संविदा और आउटसोर्सिग कर्मचारी मिलाकर कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 8,000 तक है। जिनकी सैलरी और पेंशन मिलाकर हर महीने 7 करोड़ का भुगतान नगर निगम करता है। हर महीने राज्य वित्त आयोग से मिलने वाले बजट से ही कर्मचारियों को सैलरी और पेंशन दी जा रही है। दो दिन पहले वित्त आयोग की तरफ से ख्क् करोड़ 7ख् लाख की रकम भेजी गई है। जिसे नगर निगम की निधि में हिसाब बराबर करने के लिए डाल दिया गया है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले महीनों में भी विकास कार्यो को गति नहीं मिल पाएगी।

(बॉक्स)

इस वजह से अा रही प्रॉब्लम

नगर निगम ने इस साल अपनी आय बढ़ाने के लिए रेजिडेंशियल और नॉन-रेजिडेंशियल मकानों को सर्वे कार्य शुरू किया है। इसकी वजह से लोगों को टैक्स देने के लिए बिल ही जारी नहीं किए जा सके हैं। इससे नगर निगम को टैक्स से आय नहीं हुई है।

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फैक्ट्स फाइल

-एक-एक लाख की करीब क्0 करोड़ के कार्यो की फाइलें विभाग में लंबित पड़ी हैं।

-क्म् करोड़ के विकास कार्यो के नगर निगम नहीं कर पाया है भुगतान।

-शहर में चल रहे क्भ् करोड़ के विकास कार्यो को बजट न मिल पाने से उनकी रफ्तार स्लो हो गई है।

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इन मदों से आता है निगम के पास पैसा

- हर महीने राज्य वित्त आयोग से लगभग ख्ख् करोड़ आता है

- हाउस टैक्स और विभिन्न मदों से नगर निगम सालाना क्भ्0 करोड़ से अधिक कमाता है।

- कमिश्नर के द्वारा साल में विकास कार्यो के लिए नगर निगम को क्0 से क्भ् करोड़ रुपए सालाना अवस्थापना निधि दी जाती है।

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विकास कार्यो में तेजी लाई जाएगी। अभी बजट न होने की वजह से कई फाइलें लंबित चल रही हैं। उनको जल्द निपटाया जाएगा। जिससे कि शहर में विकास कार्य कराए जा सकें।

-रमेश चंद्र, मुख्य वित्त लेखाधिकारी, नगर निगम।