आई एक्सक्लूसिव ---

-बिजली चोरों ने निकाले चोरी के तरीके हजार

-छोटी सी चिप लगाकर कर रहे बिजली बड़ी चोरी

mohit.sharma@inext.com

Meerut: एक ओर बिजली विभाग जहां बिजली चोरी रोकने के लिए कटियाओं की पहचान करता डोल रहा है, वहीं एडवांस टेक्नोलॉजी से लबरेज बिजली चोर विभाग के फ्यूज उड़ाने पर लगे हैं। पीवीवीएनएल क्षेत्र में डिवाइस के माध्यम से बड़े स्तर पर हो रही बिजली चोरी का बड़ा खेल उजागर हुआ है। बिजली चोर मीटर में डिवाइस लगाकर बड़े पैमाने पर चोरी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। डिवाइस से बिजली चोरी को पकड़ना टेढ़ी खीर है, क्योंकि यह डिवाइस रिमोट से कंट्रोल होता है। चेकिंग दस्ता पहुंचने से पहले ओनर डिवाइस को ऑफ कर मीटर को ऑन कर देते हैं। ऐसे में, चोरी पकड़ना आसान नहीं होता है।

डिवाइस का कारनामा

दरअसल, इस छोटी से डिवाइस को मीटर से पहले न्यूट्रल वायर में कट कर लगा दिया जाता है। यही न्यूट्रल वायर बिजली मीटर के काउंटर (जिससे बिजली मीटर के यूनिट गिने जाते हैं) में जाकर कनेक्ट होता है। डिवाइस न्यूट्रल की सप्लाई को काट देता है, जिससे मीटर का काउंटर नहीं चल पाता है। खास बात यह है कि यह डिवाइस रिमोट से कंट्रोल होता है। रिमोट की रेंज 30 मीटर तक की है। जब भी कोई चेकिंग के लिए आता है तो दूर से ही इस डिवाइस को बंद कर दिया जाता है। इससे न्यूट्रल की सप्लाई बहाल हो जाती है। इस दौरान मीटर की अर्थ वाली डायट (लाइट) जल जाती है।

सस्ते में उपलब्ध डिवाइस

मेरठ के मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक मीटरों के कारोबारी ही इस चलन को बढ़ावा दे रहे हैं, जो कि दिल्ली, लखनऊ और अमृतसर जैसे शहरों से डिवाइस को मंगाते हैं। यह डिवाइस 3 हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक में बाजार में आसानी से अवेलेबल है। चंद रुपए खर्च कर कुछ लोग बिजली विभाग को लाखों रुपए की चपत लगा रहे हैं। मीटर टेस्ट डिविजन के अधिकारियों ने बताया कि इसका रिमोट डिवाइस छोटे आकार का होता है। इसके माध्यम से मीटर समय-समय पर ऑन-ऑफ किए जाते हैं।

ऐसे हुआ खुलासा

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम क्षेत्र में टोटल पांच मामले मीटर जांच के दौरान डिवाइस के सामने आए है। इनमें से 3 मामले गाजियाबाद और नोएडा और दो मेरठ के है। इसके अलावा बाकी तरह से होने वाली बिजली चोरी की बात की छोड़ दीजिए। दरअसल, पिछले दिनों बिजली विभाग की टीम ने छापेमारी कर मीटर जब्त कर लैब में जांच के लिए भेज दिए थे। लैब में जब मीटर की मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट (एमआरआई) किया गया तो जांच में डिवाइस का यूज होना पाया गया। एमआरआई एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए विभाग एक साल से अधिक समय का डाटा खंगाल सकती है।

केस वन

शहर स्थित बक्सर की एक फ्लोर मिल में डिवाइस लगाकर बजली चोरी का बड़ा मामला सामने आया है। मिल के मालिक सुरेश चौधरी ने मीटर से पहले एक डिवाइस लगाए थे, जिससे मीटर काम करना बंद कर दिया था। शिकायत मिलने पर जब विभाग ने छापा मारा तो सुरेश ने रिमोट से डिवाइस को बंद कर दिया। शक होने पर जब विभाग ने मीटर की जांच लैब में की तब खुलासा हुआ कि मीटर को रिमोट डिवाइस के जरिए रोका गया था।

केस टू

डिवाइस लगाकर बिजली चोरी करने का दूसरा मामला सूरजकुंड स्थित स्पो‌र्ट्स फैक्ट्री का आया है। फैक्ट्री का संचालक पिछले कई सालों से मीटर में डिवाइस लगाकर बिजली चोरी कर रहा था। दो दिन पूर्व जब विभाग की विजिलेंस टीम ने छापेमारी की तो मामला पकड़ में आया। टीम ने शक होने पर मीटर को सील कर लैब में जांच के लिए भेजा। लैब में डाटा की एमआरआई होने के बाद यह पता चल सका कि डिवाइस से मीटर की स्पीड रोकी गई थी।

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कटिया तलाश रहा विभाग

चौंकाने वाली बात यह है कि आज जबकि बिजली के चोर हाईटेक और एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर विभाग को राजस्व की मोटी चपत लगा रहे हैं। इसके विपरीत विभाग अभी तक जनपद में कटिया तलाश कर बिजली चोरी पर लगाम लगाने के दावे ठोंक रहा है।

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चोरी के नए तरीके

- बिजली चोरों ने इलेक्ट्रोमैकेनिकल मीटर में फेस न्यूट्रल चेंज करके अर्थ का स्विच चोरी शुरू कर दी।

- कुछ लोग मीटर में होल करके एक डिस्क डालकर चकरी को रोक देते थे।

- मीटर की सील तोड़कर मीटर काउंटर में खपत कम कर दी जाती थी।

- पहले लोग चुंबक लगाकर बिजली चोरी करते थे। काउंटर लोहे का होने की वजह से घूमना बंद कर देता था।

- कई जगह प्लग निकालकर अर्थ के बिना सीधे सप्लाई दे दी जाती थी।

- कुछ लोग लाइट एमिटी डॉयड को बढ़ाकर भी बिजली चोरी करते थे। पावर कारपोरेशन ने इससे बचने के लिए नए मीटर लाए ।

- इंजेक्शन लगाकर मीटर की रफ्तार को धीमा कर देते हैं।

मेरठ में डिवाइस से जुड़े बिजली चोरी के दो मामले सामने आए हैं। जबकि पीवीवीएनएल क्षेत्र में इस तरह के पांच मामले अभी तक सामने आ चुके हैं। डिवाइस को मीटर से पहले ही लगाकर कंट्रोल किया जाता है। दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

योगेश कुमार, एसई रेड पीवीवीएनएल