- 18 मार्च से शुरू हुई चैत्र नवरात्रि का रविवार को होगा समापन

- व्रतियों के व्रत होंगे पूरे, करेंगे 9 कन्याओं का पूजन

GORAKHPUR: 18 मार्च से शुरू हुई चैत्र नवरात्रि का समापन रविवार को हो रहा है। आठ दिनों का होने के कारण इस बार अष्टमी व नवमी दोनों ही रविवार को मनाए जाएंगे। इसी दिन व्रती कन्या पूजन भी करेंगे और पारन सोमवार काो किया जाएगा। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार रविवार सुबह 7.04 बजे के बाद से ही कन्या पूजन करना लाभकारी रहेगा। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसी कारण इसे रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। कई श्रद्धालु इस दिन को राम जन्मोत्सव के तौर पर भी मनाते हैं। पूजा के बाद शाम को पंचामृत, श्रीखंड, खीर व हलवा के प्रसाद का वितरण भी किया जाता है।

मंदिरों पर लगेगा रेला

नवरात्रि का अंतिम दिन होने के कारण मंदिरों पर जुटने वाली भक्तों की भारी भीड़ को संभालने के लिए शनिवार से ही तैयारी कर ली गई। रोज की भांति मंदिरों को फिर से सजाया गया व देवी मां के विभिन्न रूपों का विशेष श्रृंगार किया गया। पूजा के सामानों की भारी खरीदारी के लिहाज से बाजार भी सजकर तैयार रहे।

ऐसे करें कन्या पूजन

पूजन के लिए एक वर्ष की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए कारण वह गंध भोग स्वाद से पूरी तरह से अपरिचित होती है। विधि के अनुसार कुंवारी कन्याओं का ही पूजन किया जाता है और दो वर्ष की आयु पूरी करने की बाद ही कन्या कुंवारी कहलाती है। तीन वर्ष की कन्या त्रिमुर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच की रोहिणी, छह की कालिका, सात की चंडिका, आठ की शाम्भवी व नौ वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। 9 वर्ष से अधिक उम्र की कन्या का पूजन करने से परहेज करना चाहिए।

कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ

दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुख व दरिद्रता का नाश तथा दुश्मन का क्षय हाता है। तीन वर्ष यानि त्रिमूर्ति के पूजन से धर्म अर्थ व काम की पूर्ति होती है। कल्याणी के पूजन से सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। रोहिणी के पूजन से रोगों का नाश होता है। कालिका के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है। चंडिका के पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। शाम्भवी यानि आठ वर्ष की कन्या के पूजन से युद्ध में विजय की प्राप्ति और सुभद्रा की पूजा से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

अष्टांग जल होगा लाभदायी

लाल चंदन, सफेद चंदन, खश, हल्दी, कस्तूरी, दही सहित जल को मिलाकर पूजा करने से श्रद्धालुओं को विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। यह जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पं। शरतचन्द्र मिश्र ने बताया कि अष्टमी व नवमी के एक दिन होने के कारण अष्टांग जल का प्रभाव ज्यादा प्रभावी होगा।

नवमी में सभी नौ रूपों की पूजा

नवमी के दिन देवी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शैलपुत्री, ब्रहचारणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, मां कालरात्रि, महागौरी व मां सिद्धिदात्री देवी मां के सभी रूपों की पूजा रविवार को भक्तगण करेंगे। इनके प्रतीक के तौर पर कन्याओं का पूजन भी किया जाता है।