इस त्रासदी पर आपका क्या कहना है?

कुदरत के आगे किसकी की नहीं चलती। विधि का लिखा कोई नहीं बदल सकता, लेकिन फिर वहां फंसे यात्रियों को किसी न किसी तरह सुरक्षित वापस लाना है।

मंदिर को कितना नुकसान हुआ है?

देखिए, मौसम खराब होने के कारण मैं खुद तो वहां तक नहीं पहुंच पाया, लेकिन जैसे साथ के पुजारी बता रहे हैं तो मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

क्षतिग्रस्त मंदिर का निर्माण कब तक हो पाएगा?

कितना समय लगेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन पूजा-अर्चना शुरू होने में दो-ढाई महीने लग जाएंगे। बाकी यात्रा कब, कैसे शुरू होगी। ये शासन प्रशासन पर निर्भर करता है।

मंदिर को दोबारा स्वरूप में लाने के लिए कई स्टेट्स में मची होड़ पर आपकी क्या राय है?

मंदिर पूर्व स्वरूप में वापस आएगा। लेकिन सामूहिक प्रयास से बने। किसी व्यक्ति विशेष या फिर किसी एक स्टेट के सहयोग से नहीं। आखिर भगवान से जुड़े कार्य करने का सौभाग्य सबको बराबर मिलना चाहिए।

केदारनाथ की दो टूक मान्यता क्या है?

इतना कहूंगा कि स्वर्ग के सामने ईश्वर की शक्ति। बाकी तो आप सभी जानते हैं।

ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के स्टेटमेंट पर आप क्या कहेंगे?

उनको परंपरा मालूम नहीं  हम जगतगुरु हैं। दुनियाभर में परंपराओं को ज्ञान बांटते हैं और मेरे साथ पांच अन्य रावल होते हैं, जो पूजा-पाठ करते हैं। ऐसे आरोप लगाने से पहले वे खुद इस बारे में सोचे।

इस त्रासदी के बाद केदारनाथ धाम पर क्या असर पड़ेगा?

कोई असर नहीं पड़ेगा। आस्था और श्रद्धा को कोई मोल नहीं सकता। हालांकि कुछ दिन श्रद्धालुओं के दिलों-दिमाग पर ये त्रासदी छाई रहेगी, लेकिन उसके बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा और श्रद्धा का प्रवाह होता रहेगा।

क्या ऊखीमठ में पूजा शुरू हो गई?

हां, मंडे से मंदिर समिति, कैबिनेट मंत्रियों और जिला प्रशासन की मौजूदगी में भगवान केदारनाथ की पूजा शुरू हो गई है।

क्या केदारपुरी में पहले शुद्धिकरण होगा?

हां, जरूर। जिस प्रकार से वहां ये त्रासदी आई है, कुदरत ने कहर बरपाया है। भगवान के दरबार में पूजा-पाठ शुरू होने से पहले शास्त्रों के अनुसार शुद्धिकरण सहित यज्ञ होंगे।

किस तरह के अनुष्ठान किए जाएंगे?

ये मैं नहीं बता सकता हूं। जो भी होगा शास्त्रों के अनुसार होगा। जिसके बारे में मैं इतने क्षणिक समय में कुछ नहीं बता सकता।

आप सीएम से मिलने आए हैं क्या कारण हैं?

ये अभी नहीं बता सकता हूं। लेकिन कुछ सुझाव सीएम के सामने रखने हैं।

किस तरह के सुझाव समाने रखे जाएंगे?

एक तो मंदिर के पास से करीब 100 मीटर तक कोई भी निर्माण न हो। मंदिर से ठीक सामने से 100 फिट चौड़ा मार्ग नजर आए। इसके अलावा केदारनाथ के लिए यात्रा गौरीकुंड से शुरू हो और यात्रियों की वापसी जाल, कालीमठ, मनसूना ऊखीमठ, चोप्ता और रुद्रप्रयाग जैसे दूसरे मार्ग से हो। इन पर अमल हो तो काफी सहूलियत नजर आएगी।