- जनता दरबार में काफी संख्या में पहुंचे फरियादियों की प्रमुख सचिव और डीजीपी ने सुनी समस्याएं

- प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों पर लगाया शिकायत का निराकरण न कराने का आरोप

- प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी ने दिए शिकायतों को हल करने के अधिकारियों को निर्देश

- आला अधिकारियों को करना पड़ा सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी का सामना

Meerut: भले ही अधिकारी फरियादियों की समस्या सुनकर तत्काल निराकरण करने के तमाम दावे करते हों, लेकिन गुरुवार को प्रमुख सचिव गृह दीपक सिंहल और डीजीपी एएल बनर्जी के सामने सभी दावों की पोल खुल गई। काफी संख्या में पहुंचे फरियादियों ने अधिकारियों पर शिकायत का निस्तारण न करने का आरोप लगा दिया, जिस पर आला अधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए पीडि़तों की शिकायत जल्द से जल्द हल करने के डीएम, आईजी, डीआईजी और एसएसपी को निर्देश दिए।

प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी

भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसान काफी संख्या में पुलिस लाइन पहुंचे और यहां सपा सरकार और अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों का कहना था कि प्रदेश में क्राइम का ग्राफ ऊपर की ओर चढ़ता जा रहा है, और सरकार के मंत्री और नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। अधिकारी भी कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने वेस्ट यूपी में बिजली संकट को लेकर भी आक्रोश जताया। प्रमुख सचिव ने मांग पत्र रखकर कानून व्यवस्था और बिजली सप्लाई में सुधार के साथ किसान हित के लिए होने वाले अच्छे काम करने का आश्वासन दिया। काफी देर तक अधिकारियों को यूनियन के कार्यकर्ताओं की नारेबाजी सुननी पड़ी। एसपी सिटी और एसएसपी भी नारेबाजी बंद नहीं करा सके।

खराब कानून व्यवस्था पर नाराजगी

शहर कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता नसीम कुरैशी और युसुफ कुरैशी भी काफी संख्या में समर्थकों के साथ जनता दरबार में पहुंचे और समाजवादी पार्टी के राज में खराब कानून व्यवस्था पर नाराजगी जताई। इसी के साथ तीरगरान में हुए दंगे में भी पुलिस अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया। कांग्रेसियों ने तीरगरान दंगे के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ प्रदेश में बिजली सप्लाई सही करने की मांग की।

खराब कानून व्यवस्था से हैं परेशान

संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता भी काफी संख्या में व्यापारियों के साथ जनता दरबार पहुंचे और उन्होंने व्यापारियों की समस्या से रूबरू कराया। अध्यक्ष ने कहा कि कानून व्यवस्था ने व्यापारी के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। कभी दुकानों में चोरी तो रास्ते पर लूटपाट से व्यापारी तंग आ चुका है, पुलिस इन अपराध पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि तीरगरान दंगे में व्यापारियों की दुकान में घुसकर लूटपाट की गई, आगजनी हुई, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। उन्होंने कहा दंगे के आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए शुभम के परिजनों को सहायता राशि के साथ तत्काल सरकार नौकरी दी जानी चाहिए। तिरुपति प्लाजा में फाइनेंस कंपनी की आड़ में जिस्मफरोशी का भी व्यापारियों ने आरोप लगाया। उन्होंने व्यापारी के साथ हुई मारपीट की घटना की शिकायत की। इस दौरान मंत्री दलजीत सिंह, आशु शर्मा आदि मौजूद रहे।

मेरठ में नहीं मिलता इंसाफ

डीजीपी साहब मेरठ में तो इंसाफ भी नहीं मिलता। आपकी पुलिस भी मुकदमा दर्ज करने के बाद हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाती है, कार्रवाई के नाम पर जीरो रहती है। ये कहना था लिसाड़ी गेट क्षेत्र के श्याम नगर के रहने वाले अखलाक बेग का। अखलाक बेग ने डीजीपी को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी फरहा की शादी तीन साल पहले दानिश पुत्र सदाकत निवासी तिवारी क्वाटर्स सदर बाजार से की थी। फरहा को ससुरालियों ने मारपीट कर तीन महीने पहले घर से बाहर निकाल दिया, ससुराल पक्ष के लोगों ने मायके में आकर पीडि़ता की गला घोंटकर हत्या का भी प्रयास किया गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कम धाराओं में मुकदमा कायम किया था। न ही इस मामले में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई हो सकी है। पुलिस इंसाफ नहीं दिला रही है, कई बार जबकि पुलिस अधिकारियों से भी शिकायत की जा चुकी है।

मेरठ के अधिकारियों को बदला जाए

मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री रामकुमार शर्मा के साथ वकील आला अधिकारियों से मिले और कहा कि मेरठ में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है, तत्काल प्रभाव से सभी अधिकारियों को बदल देना चाहिए। ऐसा अधिकारी मेरठ को चाहिए जो जनता के बीच रहें। यहां के अधिकारी जनता से दूरी बनाकर रखते हैं। बिजली सप्लाई सही करने की मांग भी रखी। आखिर में हाई कोर्ट बेंच की मांग सरकार के समक्ष रखने की भी वकीलों ने प्रमुख सचिव गृह से मांग की। सरताज गाजी, विपिन शर्मा, वीके शर्मा, युगल चौधरी, जफर पासा, इस्लाम मलिक, सचिन नरेश, अरुण शर्मा वकील मौजूद रहे।

शिकायतों का निस्तारण करें अधिकारी

डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह ने साफ कहा कि अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी अधिकारी अपने विभाग से संबधित शिकायतों का निस्तारण करने का काम करें। किसी भी दबाव में पीडि़त को परेशान न किया जाए।