RANCHI : सर, मैं तमाड़ से जदयू विधायक रह चुके रमेश सिंह मुंडा की पत्नी वसुंधरा मुंडा हूं। वर्ष 2008 में मेरे पति की हत्या माओवादियों ने बुंडू हाई स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कर दी थी। पर, आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला। यह बातें नक्सली हमले में मारे गए जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की पत्नी ने मंगलवार को डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान डीजीपी राजीव कुमार से कहीं। उनकी पति की शहादत पर सरकार की ओर से मुआवजा नहीं मिला। जैसे नक्सली हत्याकांड में मारे जाने पर अन्य परिजनों को मुआवजा मिलता है, वैसे ही उन्हें भी मुआवजा मिलना चाहिए था। डीजीपी ने रांची एसएसपी प्रभात कुमार को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि रमेश सिंह मुंडा को नक्सलियों ने उस वक्त निशाना बनाया था जब वे बुंडू डीएसपी प्रमोद कुमार हत्याकांड में नक्सलियों के खिलाफ बोला था। नक्सलियों ने उनके इस बयान को गंभीरता से लिया था और उनकी बुंडू में ही गोली मारकर हत्या कर दी थी।

सैकड़ों मामलों की सुनवाई

नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों व नक्सलियों के परिजनों की समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस हेडक्वार्टर में डीजीपी राजीव कुमार द्वारा आयोजित डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में राज्य भर से सैकड़ों मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग में ऐसे भी मामले मिले, जिनके परिजनों को नक्सलियों ने वर्ष 1991, 1998 तथा 1999 में मार डाला था। दोपहर 12 बजे से आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिग के दौरान डीजीपी ने इसकी शुरुआत सिमडेगा जिले से की। सिमडेगा में 78 मामले सामने आए, जिनसे डीजीपी एक साथ रू-ब-रू हुए। लोगों ने डीजीपी के समक्ष अपनी-अपनी बातें रखीं। डीजीपी को कहा गया कि नक्सली घटना में मारे जाने के बाद सरकार की ओर से मुआवजा तो मिला, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं दी गई। डीजीपी ने संबंधित जिले के एसपी को तत्काल इन समस्याओं का निष्पादन करने का आदेश दिया।

सर, मेरे बेटे के नाम का चौक बनवा दो

कार्यक्रम के दौरान एक ऐसा मामला आया, जो बेहद भावुक था। यह मामला वर्ष 2009 का है। जब नक्सलियों ने देवघर में पदस्थापित हवलदार अरुण कुमार सिंह के बेटे उत्तम कुमार की हत्या नक्सलियों ने कर दी थी। हवलदार को सरकार की ओर से नौकरी और मुआवजा तो मिल गया था। पर, एक पिता की चाहत थी कि देवघर में उसके बेटे के नाम से चौक बनवा दे। चूंकि हवलदार देवघर के रहनेवाले हैं और वहीं पर पोस्टेड हैं। लेकिन, डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में केवल दो बिंदुओं पर ही चर्चा और समाधान होना था। वह था नौकरी और मुआवजा। इस आवेदन को देवघर के हेडक्वार्टर डीएसपी नवीन प्रसाद शर्मा ने रख लिया है।

दूसरा मामला रामगढ़ के मांडू का

मांडू थाना क्षेत्र के बासाडीह गांव निवासी बिंदू देवी रामगढ़ पुलिस ऑफिस पहुंची और और कहा कि नक्सलियों ने उसके पति राजू साव की हत्या कर दी थी। जब उनसे पूछा गया कि यह कब का मामला है, तब पता चला कि यह मामला झारखंड राज्य गठन के पहले का है। इस पर डीजीपी ने महिला के आवेदन को पुलिस मुख्यालय में अग्रसारित करने की बात कही। रामगढ़ एसपी रंजीत कुमार की अनुपस्थिति में डीएसपी अशोक कुमार राय वीडियो कांफ्रेसिंग में मौजूद थे।

बोकारो से मिला डीजीपी को धन्यवाद

बोकारो में भी नक्सल कांड से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए 20 से 25 पीडि़त आए। पर, उन पीडि़तों में चार से पांच लोगों ने अपनी समस्याएं बताई, लेकिन अधिकतर लोग डीजीपी राजीव कुमार को धन्यवाद ज्ञापन करने के लिए आए थे। उन्होंने डीजीपी की प्रशंसा की।

पुलिस गाड़ी से उठा कर लाए पीडि़तों को

गढ़वा एसपी सुधीर कुमार झा मंगलवार की सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले नक्सली घटना में शिकार लोगों के परिजनों को पुलिस जीप में ढोकर गढ़वा लाए और उन्हें डीजीपी के वीडियो कांफ्रेंसिंग में उपस्थित किया गया। उनलोगों ने भी अपनी-अपनी समस्याएं रखीं। गढ़वा से 68 मामले सामने आए। इनमें 37 लोगों को मुआवजा मिला और 21 लोगों में से किसी को नौकरी नहीं है, तो किसी को मुआवजा नहीं मिला है।

24 जिलों से आए चार सौ पीडि़त

इसी तरह से डीजीपी ने 24 जिलों से लगभग चार सौ पीडि़तों ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए अपनी पीड़ा बताई। इनमें से 100 मामलों का समाधान डीजीपी ने विभिन्न जिलों के एसपी को समाधान करने का निर्देश दिया। कांफ्रेंसिंग में आईजी प्रोविजन सह प्रवक्ता अनुराग गुप्ता भी मौजूद थे। इनमें से सबसे अधिक मामले खूंटी के और सबसे कम रामगढ़ और देवघर के थे।