- डीजीपी ने पुलिसकर्मियों को सुनाई खरी-खरी, बोले मामला सुलझाने के बजाय चौराहे पर सोते हैं

- नए रंगरूटों को पढ़ाया संवदेनशीलता, कर्तव्यपरायणता, कर्मठता, ईमानदारी और निष्ठा का पाठ

Meerut: सड़क पर जाम लगा है, लेकिन पुलिसकर्मी जाम हटाने के बजाय अखबार पढ़ रहे होते हैं। फोन पर गप्पे हांक रहे होते हैं। चौराहे पर सोते हुए दिख जाते हैं। शर्ट के बटन खोल कर घूमते हैं। ठेले से केला उठाकर खाते हैं। इससे पब्लिक के बीच मैसेज सही नहीं जाता। ये बातें डीजीपी जावीद अहमद ने मेरठ दौरे के दूसरे दिन पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा। डीजीपी ने जहां पुलिसकर्मियों के काम ही सराहना करते हुए उन्हें निरंतर कर्मठता, संवेदनशीलता और कर्तव्यपरायणता का पाठ पढ़ाया तो दूसरी तरफ कई मुद्दों पर उनकी जमकर खिंचाई भी की। सीसीएस यूनिवर्सिटी के प्रेक्षागृह में करीब साढ़े सात सौ रिक्रूट और तमाम पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने करीब 33 वर्षो की पुलिस सेवा का अनुभव साझा किया।

कार्यशैली से आया बदलाव

अधिकारियों व अन्य पुलिसकर्मियों की मौजूदगी होने के बावजूद उनका अधिकांश भाषण नए रंगरूटों के लिए था। उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिसकर्मी जिस परिस्थितियों में घंटों काम करते हैं, उससे उनमें इंसानियत और संवेदनशीलता कम होने लगी है।

पब्लिक का पुलिस पर विश्वास हो

डीजीपी ने कहा कि पुलिस का उद्देश्य जनता के बीच सुरक्षा का भाव पैदा करना है। कानून, थाना, राइफल, अधिकार समेत जितने भी संसाधन दिए जा रहे हैं, वह केवल माध्यम है। उद्देश्य तो यह है कि पब्लिक का पुलिस पर विश्वास हो और वह हर जगह सुरक्षित महसूस करे। यह तभी हो पाएगा जब हर पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन करेगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है। पिकेट सड़क पर निकलती है तो कोई भी घटना होती है वह उसे दरकिनार कर देती है यह सोचकर कि उसका इससे क्या लेना देना। सड़क पर जाम लगा है, लेकिन पुलिसकर्मी देखते रहते हैं। इससे पब्लिक के बीच मैसेज सही नहीं जाता।

दिमागी रूप से मौजूद रहें

उन्होंने वर्तमान पुलिसिंग की खिंचाई करते हुए कहा कि वे शारीरिक रूप से मौजूद तो रहते हैं, लेकिन दिमागी रूप से नहीं। हम चाहते तो थाने में रोबोट बिठा देते, लेकिन ट्रेनिंग देकर पुलिसकर्मियों को इसलिए बिठाया गया है, ताकि वे पब्लिक की भावनाओं को समझें। थाने पर कोई तभी आता है जब वह परेशान होता है। भले ही हम उनकी समस्या को पूरी तरह से हल न कर सकें, लेकिन तल्लीनता से उनकी सुन सकते हैं, ताकि हमारे बीच उनका विश्वास बढ़े।