छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: लौहनगरी से 50 किलोमीटर दूर धालभूमगढ़ में प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने का रास्ता साफ हो गया है। जिला प्रशासन वन विभाग को जमीन के बदले जमीन देने के लिए 500 एकड़ जमीन की तलाश कर रहा है। जमीन मिलते ही केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया और राज्य सरकार मिलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण करेंगे। ये जानकारी सांसद विद्युतवरण महतो ने बुधवार को सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि धालभूमगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने का रास्ता साफ हो गया है।

रखी थी दो शर्ते

सेना ने एनओसी देने के साथ ही दो शर्त रखी थी। पहला कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट की जमीन के बराबर अन्य जगह जमीन दी जाए और दूसरा एयरपोर्ट सेना की जमीन पर ही रहेगा जैसा कि देवघर में हो रहा है। सेना की पहली शर्त को जिला प्रशासन ने खारिज कर दिया है। वहीं दूसरी शर्त पर प्रशासन राजी हो गया हैं। सेना जमीन के एवज में किराये की मांग कर सकती हैं। इसमें राज्य सरकार को भी कोई एतराज नहीं है।

है वन भूमि

सांसद ने बताया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को बताया है कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट की जमीन 1942 तक सेना की थी। आजादी के बाद 1964 में हुए बंदोबस्ती में ये जमीन संरक्षित वन भूमि है। सांसद ने बताया कि एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित 560 एकड़ भूमि में से 500 एकड़ संरक्षित वनभूमि है, जबकि 60 एकड़ रैयती है। उन्होंने बताया कि वन विभाग को इस भूमि के बदले 500 एकड़ जमीन देने पर वन विभाग एनओसी दे देगा जिसके बाद यहां आसानी से इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण हो सकेगा। प्रेसवार्ता के मौके पर भाजपा के महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार भी मौजूद थे।

केंद्र व राज्य सरकार मिलकर बनाएंगी एयरपोर्ट

सांसद ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार मिल कर धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाएंगी। ये केंद्र व राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम होगा। इसके लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया और राज्य सरकार के बीच करार होगा। जिसके आधार पर केंद्र और राज्य अपना-अपना हिस्सा लगाएंगे।