JAMSHEDPUR: पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण का रास्ता साफ हो गया हैं। 560 एकड़ में बनने वाले इस एयरपोर्ट के लिए एक सप्ताह पहले रक्षा मंत्रालय ने एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) दे दिया। रक्षा मंत्रालय से एनओसी मिलने के बाद एयरपोर्ट बनाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण स्टेट गवरमेंट और और एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) करेगी। एएआइ के डिप्टी जनरल मैनेजर जमीन का सर्वे करेंगे जिसके बाद जिसके बाद ही राज्य सरकार और एएआई के बीच एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग प्रपत्र पर सिग्नेचर किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट में 44 सौ मीटर लंबे दो रन-वे बनाए जाएंगे। एयरपोर्ट इतना बड़ा बनाया जाएगा कि दुनिया का सबसे बड़ा विमान बोइंग ए-321 भी उतारा जा सके। यह जानकारी सांसद विद्युतवरण महतो ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को दी। बताते चले कि जमशेदपुर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव सालों से चल रहा है। बता दें कि पिछले साल एएआइ के अधिकारियों ने धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने के लिए प्रस्तावित भूमि का जायजा लेकर एएआइ ने एयरपोर्ट के लिए हरी झंडी दे दी थी। लेकिन 12 अगस्त 2017 को सेना ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट की जमीन पर अपना दावा पेश किया था। सेना का कहना था कि 1942 में सेना ने जमीन का अधिग्रहण किया था। बाद में पटना से आए सेना के अधिकारियों ने भूमि का नक्शा जिला प्रशासन को सौंप कर जमीन का दाखिल खारिज करने को कहा था। जिसके बाद निर्माण की कवायद पर ब्रेक लग गई थी।

रक्षा मंत्री के निर्देश पर मिली एनओसी

सांसद विद्युत वरण महतो ने बताया कि इस मामले के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को अवगत कराया था। उन्होंने बताया कि पहले जमीन भले ही सेना के नाम से दर्ज हो लेकिन स्वतंत्रता के बाद ये भूमि संरक्षित वन क्षेत्र से दर्ज हैं। जिसकी एनओसी सेना से दिलाने की मांग की थी। सांसद ने बताया कि एयरपोर्ट के लिए एएआइ ने 560 एकड़ जमीन मांगी थी। इनमें से 500 एकड़ संरक्षित वन की जमीन है। वन विभाग ने भी एनओसी देने की बात कही है।