RANCHI: रिम्स के बाद अब सुपरस्पेशियलिटी सदर हास्पिटल में भी डायलिसिस की सुविधा किडनी पेशेंट्स को मिलने वाली है, जहां फ्री में पेशेंट्स की डायलिसिस की जाएगी। इसके लिए हास्पिटल में डायलिसिस यूनिट बनाने का प्रस्ताव सिविल सर्जन द्वारा हेल्थ डिपार्टमेंट को भेजा जा चुका है। प्रस्ताव पर मुहर लगते ही यूनिट बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए हास्पिटल में जगह का भी सेलेक्शन किया जा चुका है। सिविल सर्जन ने कहा कि सबकुछ ठीक रहा तो नए साल में मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी। बताते चलें कि सदर हास्पिटल में डायलिसिस शुरू होने से मरीजों को प्राइवेट सेंटरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी, जहां एक बार डायलिसिस कराने का खर्च दो हजार या इससे अधिक चुकाना पड़ता है।

10 बेड की होगी यूनिट

सदर हास्पिटल में डायलिसिस यूनिट 10 बेड की होगी। ऐसे में एक बार में दस मरीजों का डायलिसिस हो सकेगा। इस तरह अधिक से अधिक मरीजों का डायलिसिस एक दिन में हो सकेगा। रिम्स में डायलिसिस यूनिट में चार बेड हैं, जहां सुबह से लेकर रात तक मरीजों की लाइन लगी रहती है। इसके बाद भी सेम डेट में मरीजों की डायलिसिस नहीं हो पाती है। वहीं, डॉक्टरों के नहीं रहने की स्थिति में भी मरीजों को दिक्कत होती है।

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रिम्स में डायलिसिस का नहीं लगता चार्ज

राज्यभर से हर महीने लगभग 378 मरीज डायलिसिस के लिए रिम्स आते हैं, जहां मरीजों से डायलिसिस चार्ज नहीं लिया जाता है। लेकिन, डायलिसिस में यूज होने वाला डाय अवेलेबल नहीं होता है, तो परिजनों को इसे खरीदकर लाना पड़ता है। इसके बावजूद परिजनों की जेब पर डायलिसिस का बोझ नहीं पड़ता है। जब यह सुविधा सदर में शुरू हो जाएगी तो किडनी के मरीजों की जेब नहीं कटेगी।

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प्राइवेट में डायलिसिस के लगते हैं 2000

गौरतलब हो कि किडनी फेल्योर हो जाने के बाद मरीजों को डायलिसिस की सलाह दी जाती है, ताकि किडनी ट्रासप्लांट होने तक उन्हें राहत मिल सके। वहीं, कहीं भी आने-जाने में मरीज को परेशानी नहीं होती है। ऐसे में एक सीटिंग का दो हजार रुपए तक प्राइवेट सेंटरों में चार्ज किया जाता है। इस चक्कर में कई मरीजों के परिजनों को अपना घर और जमीन तक गिरवी रखना पड़ता है।

वर्जन

मरीजों को डायलिसिस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। हेल्थ डिपार्टमेंट को प्रस्ताव भेज दिया गया है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल से किडनी के मरीजों को डायलिसिस की सुविधा मिलने लगेगी।

-डॉ। एसएस हरिजन, सिविल सर्जन, रांची