छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : सरकार ने सुखाड़ से जूझ रहे किसानों को रबी की खड़ी फसल बचाने के लिए डीजल अनुदान देने की जो योजना बनाई थी वह सूख गई। इसके तहत पंप से सिंचाई करने वाले कोल्हान के किसानों को डेढ़ करोड़ रुपये का डीजल बांटा जाना था। लेकिन, एक भी किसान को इस योजना का एक बूंद डीजल नहीं मिला। कृषि सचिव डॉ। नितिन मदन कुलकर्णी का योजना से संबंधित पत्र जिले को नौ मार्च को मिला और 15 मार्च तक किसानों से आवेदन लेना था। लेकिन, कम समय का हवाला देकर अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और 30 मार्च को कोल्हान को मिली डेढ़ करोड़ रुपये की रकम वापस चली गई। इस तरह रबी की फसल के लिए हड़बड़ी में बनी डीजल अनुदान बांटने की योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। कागज पर योजना बनी, आवंटन आदेश जारी हुआ। पैसा आया लेकिन इसे किसानों को नहीं बांटा गया और रकम वापस भी कर दी गई।

10 करोड़ रुपए अनुदान के लिए

अफसरों की मानें तो प्रदेश में किसी भी जिले में डीजल अनुदान नहीं बंटा। राज्य भर में 10 करोड़ रुपये का डीजल अनुदान बंटना था। सुखाड़ से जूझ रहे किसानों के लिए डीजल अनुदान राहत वाली यह योजना प्रदेश की अफसरशाही की नायाब मिसाल है। लेकिन, यह योजना देर से बनाई गई और आनन-फानन इसे धरातल पर उतारने की नाकाम कोशिश हुई।

दो हेक्टेयर के लिए मिलना था डीजल

कोल्हान के किसानों को डीजल अनुदान वितरण के लिए एक करोड़ 29 लाख रुपये का आवंटन मिला था। किसानों को प्रति लीटर डीजल की खरीद पर 50 फीसद की दर प्रति एकड़ 10 लीटर डीजल अनुदान मिलना था। अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए अनुदान दिया जाना था। गेहूं की फसल के लिए तीन सिंचाई और अन्य फसलों के लिए दो सिंचाई पर अनुदान का प्रावधान था।

जिले में नहीं बंटा था खरीफ का डीजल

सरकार ने खरीफ की फसल के लिए भी डीजल अनुदान दिया था। लेकिन, कृषि विभाग यह अनुदान भी नहीं बांट पाया। इसके लिए भी रकम 30 मार्च को आई थी।