हर सब्जी के दाम में है अंतर
एरियावाइज आलू, प्याज सहित लगभग सभी हरी सब्जियों के रेट में काफी अंतर है। रेट का ये डिफरेंट प्रति किलो दस रुपये से लेकर 30 रुपये प्रति किलो तक है। हरी मिर्च, अदरक आदि के रेट में तो सौ रुपये तक का अंतर देखा जा रहा है। रेट के हिसाब से कंपेयर करें तो साकची, मानगो, सोनारी, कदमा और बिष्टुपुर जैसे कुछ इंपोर्टेंट एरियाज में सबसे महंगा सोनारी नजर आता है। एग्जांपल के तौर पर सिटी के ज्यादातर एरियाज में प्याज का रेट 60 से गिरकर 50 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है पर सोनारी स्थित कागलनगर बाजार में अभी भी प्याज 60 रुपये प्रति किलो में ही बिक रहा है। इसी तरह साकची, बिष्टुपुर और मानगो में परवल का रेट प्रति किलो 20 से 25 रुपये है वहीं सोनारी में यह 32 रुपये प्रति किलो सेल हो रहा है।

Rate में दुगने का difference
मानगो में एक किलो मूली का रेट 15 रुपये है पर यही मूली सोनारी में 32 रुपये प्रति किलो तक में बिक रही है। डिफरेंट एरियाज में अन्य सब्जियों के रेट में भी कुछ इसी तरह के डिफरेंस हंै। मैक्सिमम लोग अनजाने में या मजबूरी में सब्जियों के मनमाने दाम दे रहे हैं। सोनारी के रहने वाले अशोक गुप्ता ने बताया कि जॉब के चलते उन्हें अक्सर घर आने में देर रात हो जाती है। ऐसे में उनकी वाइफ घर के पास से ही सब्जी की खरीदारी कर लेती
है। उन्हें लगता है कि एक ही कीमत पर सब्जी हर जगह मिलती है। पर हकीकत कुछ और है। कुछ दूर जाने पर ही सब्जी के भाव में अंतर आ जाता है।

महंगा पड़ रहा पाव का भाव
साकची सब्जी मंडी में नये और पुराने अदरक 60 से 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है, वहीं बिष्टुपुर में 100 ग्र्राम अदरक के लिए 20 रुपये लिए जा रहे हैं। सोनारी में तो ये रेट और भी ज्यादा है। यहां 100 ग्र्राम अदरक 20 से 25 रुपये तक में आ रहा है। कदमा में अदरक 140 से 180 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अगर हिसाब लगाएं तो थोड़ी डिस्टेंस में ही अदरक के रेट में प्रति किलो 130 रुपये तक का अंतर दिखाई देता है। इसकी एक वजह दुकानदारों द्वारा छोटी क्वांटिटी और किलो के रेट में अंतर किया जाना भी है। अदरक, लहसून, हरी मिर्च जैसी कम क्वांटिटी में खरीदी जाने वाली चीजों में अक्सर इस तरीके से कस्टमर ठगे जाते हैं।

दलीलें हैं कई
सब्जियों के कम ज्यादा दाम को लेकर डिफरेंट एरियाज के सब्जी विक्रेताओं की अलग-अलग दलील है। सोनारी के एक सब्जी विक्रेता ने कहा कि वो पास के ही सप्लायर से उधार में सब्जी लेते हैं। उधार लेने के कारण सब्जी महंगी मिलती है। हालाकि साकची में सब्जी मंडी होने की वजह से यहां सब्जियां सस्ती हैं। वहीं मानगो में भी आसपास के इलाकों से गांव वाले भी लाकर सब्जियां बेचते हैं। दूसरे एरियाज के कंपैरिजन में यहां लोगों को थोड़ी रिलीफ है। बात बिष्टुपुर की करें तो यहां कई सब्जी विक्रेता तुरुलडीह, सुईसा सहित झारखंड और वेस्ट बंगाल से सब्जी लाकर बेचते हैं।

'उधार में सब्जी खरीदते हैं। इसलिए ज्यादा कीमत में माल उठाना पड़ता है। अब मुझे ही सामान महंगा पड़ेगा तो ज्यादा रेट में बेचना ही पड़ेगा.'
-बुधिया, सब्जी विक्रेता

'हम तुरुलडीह, सुईसा और दूसरे गांव से लाकर सब्जी बेचते हैं। इसलिए हमें सब्जियां थोड़ी सस्ती पड़ती है.'
-बादल, सब्जी विक्रेता

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in