- डीसी ऑफ लॉ कॉलेज में फ‌र्स्ट सेमेस्टर के छात्र हैं डीआईजी

- प्रिंसिपल बोले सामान्य छात्र की तरह डीआईजी ने परीक्षा दी थी

KANPUR:

छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी ने बीते मंगलवार को एलएलबी फ‌र्स्ट सेमेस्टर रिजल्ट घोषित किया, जिसमें कानपुर डीआईजी नीलाब्जा चौधरी दो पेपर क्लियर नहीं कर पाए। अब उन्हें दो पेपर में कैरीओवर एग्जाम देना पड़ेगा। डीसी ऑफ लॉ कॉलेज का रिजल्ट काफी खराब रहा है। फ‌र्स्ट सेमेस्टर में करीब 320 छात्र थे, जिसमें 80 परसेंट से ज्यादा छात्र सभी पेपर क्लियर नहीं कर पाएं हैं। कॉलेज के स्टूडेंट्स इस मैटर पर लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं। एलएलबी का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के बाद डीआईजी नीलाब्जा चौधरी ने डी सी ऑफ लॉ कॉलेज सिविल लाइन में एडमिशन लिया था। करीब तीन महीने पहले एलएलबी फ‌र्स्ट सेमेस्टर एग्जाम हुए थे। जिसका रिजल्ट बीती 27 अप्रैल को सीएसजेएमयू ने डिक्लेयर किया था। डीआईजी नीलॉब्जा चौधरी कांस्टीट्यूशनल लॉ का पेपर दो मा‌र्क्स और लॉ ऑफ कांट्रैक्ट का पेपर 6 मा‌र्क्स से क्लियर करने में चूक गए।

ईमानदारी में मारे गए डीआईजी

डीआईजी नीलाब्जा चौधरी अपनी ईमानदारी में मारे गए। जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कानपुर में एलएलबी एग्जाम को लेकर धारणा बनी हुई है कि ज्यादातर स्टूडेंट नकल करके ही एग्जाम पास करते हैं। इस बात की पुष्टि भी खुद यूनिवर्सिटी और उनके बनाए गए फ्लाइंग स्क्वायड की टीमें समय-समय पर कर चुकी हैं। अब ऐसे में डीआईजी के दो पेपर में कम नंबर लाने पर अचरज होना लाजिमी है। क्योंकि कानपुर रेंज के डीआईजी होने के नाते अगर वो चाहते तो बड़े आराम से पास हो सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। नकल करके पास होने वाले स्टूडेंट्स को इस आईपीएस ने आईना दिखाया है। अगर वह चाह लेते तो वह अच्छे नंबरों से पास हो जाते। उनकी कॉपी कोई और लिख सकता था। यही नहीं अलग रूम में बैठकर नकल सामग्री के साथ पेपर दे सकते थे। जैसा कि खास स्टूडेंट्स के लिए होता आया है, लेकिन कानपुर के इस अहम अधिकारी ने अपने अधिकारों का कहीं कोई दुरुपयोग नहीं किया। एलएलबी के एग्जाम में सत्तधारी दल के नेता व महंत और एक अधिकारी की पत्नी ने भी नकल के सहारे परीक्षा दी। कुछ मीडिया कर्मियों ने भी नकल का सहारा लेकर एलएलबी परीक्षा पास की है।

-------

डीआईजी नीलाब्जा चौधरी ने एक सामान्य स्टूडेंट की तरह से क्लास अटेंड करके परीक्षा दी। वह दो पेपर क्लियर नहीं कर पाए हैं। उन्हें कैरी ओवर एग्जाम देने का अवसर मिलेगा। - डॉ। वी पी ओझा, प्रिंसिपल, डीसी ऑफ लॉ