RANCHI : आजादी के समय 1947 तक की जमीन के रिकार्ड अब एक क्लिक में हाजिर होंगे। जी हां, झारखंड राज्य निबंधन विभाग द्वारा 1947 तक की जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। इसके लिए जमीन की रजिस्ट्री, डीडी, म्यूटेशन, रसीद हर कुछ स्कैन कर सुरक्षित किया जा रहा है। विभाग के महानिरीक्षक मुत्थुकुमार ने बताया कि फरवरी तक डिजिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जमीन की स्टेटस क्या थी, जमीन किसके नाम थी, म्यूटेशन किसके नाम था, रसीद किसके नाम कटती थी, ये सब कुछ आसानी से हासिल किया जा सकेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि जमीन के मामले में हेराफेरी पर बहुत हद तक लगाम लगेगी।

स्कैन किए जा रहे हैं डेटा

जिला निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री से संबंधित दस्तावेज को कंप्यूटर में संरक्षित किया जा रहा है। राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने दस्तावेज को संरक्षित करने के लिए जोर-शोर से कार्य प्रारंभ किया गया है। रांची स्थित जिला अवर निबंधन कार्यालय में दस्तावेज को संरक्षित करने के लिए जमीन से संबंधित बुक, वॉल्यूम व इंडेक्स को स्कैन कर हार्ड डिस्क में संरक्षित किया जा रहा है। निबंधन कार्यालय में जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित काफ पुराने दस्तावेज हैं। अवर निबंधन कार्यालय में वर्ष 1947 से लेकर अब तक की जमीन के दस्तावेज बुक और वॉल्यूम को स्कैन कर संरक्षित करने का कार्य जारी है। इसके लिए छह कंप्यूटर सिस्टम रजिस्ट्री कार्यालय में ही लगाए गए हैं।

फरवरी तक पूरा होगा काम

मुत्थुकुमार ने बताया कि 1947 से लेकर 1970 तक की जमीन का जितना भी मैनुअल डिटेल था, उसको स्कैन किया जा रहा है। पहले उसको स्कैन कर हार्ड डिस्क में सुरक्षित रख रहे हैं, उसके बाद सभी डिटेल्स को डिजिटल ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। फ रवरी महीने तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। नए साल में लोग आजादी के समय तक की जमीन को भी एक क्लिक पर देख सकते हैं। इसके लिए सभी जिला निबंधन कार्यालयों में भी कार्य शुरू कर दिया गया है।

झारखंड देश का होगा इकलौता राज्य

मुत्थुकुमार ने बताया कि पूरे देश में झारखंड पहला राज्य है जहां आजादी के समय तक की जमीन का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। अब तक झारखंड में 1970 की जमीन के सभी दस्तावेज डिजिटल किए जा चुके हैं। यानी 1970 तक की जमीन की क्या स्थिति है। जमीन की रजिस्ट्री, डीड, म्यूटेशन, रसीद आदि की जानकारी उपलब्ध है। वर्ष 1970 के पहले की जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। इसी को देखते हुए वर्ष 1947 तक की जमीन के दस्तावेज को डिजिटली ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है।

बंद होगी जमीन की हेराफेरी

जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े बिचौलियों, भू-माफि या द्वारा एक ही जमीन को कई खरीदारों से बेच दिये जाने के कारण आए दिन विवाद होते रहता है। खासकर पुरानी जमीन जिनका दस्तावेज डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में निबंधन कार्यालय की जमीन से संबंधित रिकॉर्ड के डिजिटल होते ही लोगों को सही जानकारी मिल पाएगी। इससे लोगों को बिचौलिया, भू-माफि या से निजात मिल जाएगा। साथ ही जमीन की हेराफेरी कर आम लोगों को लाखों का चूना लगाने का कारोबार करने वाले भू माफि या पर अंकुश लग जाएगा। इन्हीं गड़बड़ी और फ र्जीवाड़े की रोकथाम के मद्देनजर दस्तावेज स्कैन कर हार्ड डिस्क में संरक्षित किया जा रहा है। इसके बाद रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा। नई व्यवस्था लागू होते ही आम लोग ऑनलाइन जमीन की वास्तविक स्थिति एक क्लिक से जान सकेंगे।

वर्जन

1947 तक की जमीन के सभी दस्तावेजों को डिजिटाइज किया जा रहा है। इसके पहले झारखंड में 1970 तक की जमीन का ही डिजिटलाइजेशन हो पाया है। फरवरी तक यह काम पूरा हो जाएगा।

- ए मुत्थुकमार, आईजी रजिस्ट्रेूशन