'बायलॉजी लेटर्स' नाम के जर्नल में छपे लेख के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि 'समरुकिया नेसोवी' नाम की नई प्रजाति की खोपड़ियां तीस सेंटीमीटर लंबीं होती थीं। उनमें से नहीं उड़ने वाले पक्षी दो से तीन मीटर लंबे होते थे जबकि उड़ने वाले पक्षी के डैने चार मीटर लंबे होते थे।

कज़ाकिस्तान में मिले जीवाश्म, डायनासोर के काल में उस विशाल आकार के पक्षी के पाए जाने का सिर्फ़ दूसरा उदाहरण है और एशिया में उस प्रकार के पक्षी के पाए जाने की यह पहली मिसाल है। इससे पहले डायनासोर के समय पाए जाने वाले विशाल पक्षी की मिसाल सिर्फ फ़्रांस में पाए गए रीढ़ की हड्डी के एक जीवाश्म से मिलती है।

आम थे बड़े पक्षी

इसके बारे में 1995 में पहली बार 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। पहले ये माना जा रहा था कि उस काल के ज़्यादातर पक्षी कौए के आकार के होते थे लेकिन पोर्टसमाउथ विश्वविधालय के डॉक्टर डैरेन नैश का कहना है कि एक दूसरी प्रजाति के पक्षी पाए जाने के सबूत मिलने से लगता है कि उस समय बड़े पक्षी का पाया जाना बहुत आम सी बात थी।

डॉक्टर नैश ने बीबीसी को बताया, "हमें सिर्फ़ निचले जबड़े का जीवाश्म मिला है उससे दुर्भाग्यवश हम लोग ये दावे के साथ नहीं कह सकते कि उस जानवर का पूरा शरीर कितना बड़ा और किस प्रकार का था."

डॉक्टर नैश के अनुसार अगर वो पक्षी ज़मीन पर चलने वाले शुतुर-मुर्ग़ के आकार को होगा तो उसकी लंबाई दो से तीन मीटर तक होगी और उसका वज़न लगभग 50 किलो होगा। लेकिन अगर वो पक्षी उड़ने वाला होगा तब वो किसी विशाल समुद्री पक्षी या गिद्घ के आकार का रहा होगा।

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