पितरों की मुक्ति के लिए तरसे

पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए लोग गंगा व यमुना की ओर रुख करते हैं, लेकिन यमुना का पानी इस लायक नहीं है कि उससे पितरों को तर्पण कर मुक्ति दिलाई जा सके।

आचमन करने में भी लगता है डर

यमुना के पानी से आचमन करने में भी अब लोगों को डर लगने लगा है। लोग आचमन करने से पहले सोच रहे हैैं कि ऐसे विषैले जल से कैसे आचमन करें।

सीवर का पानी यमुना में

यमुना को गंदा करने में आगराइट्स के साथ-साथ नगर निगम का भी बड़ा रोल है। गंदे पानी की निकासी के लिए सीवर लाइन का रुख यमुना की ओर मोड़ दिया गया है।

कैमिकल्स इन यमुना

सिटी की फैक्ट्रियों से निकलने वाले कैमिकलों का रुख यमुना की ओर मोड़ दिया गया है.अब क्या कोई फैक्ट्रियों के कैमिकल से आचमन करेगा।

प्रदीप अलरिक, कैमिस्ट्री टीचर

यमुना के पानी में कैमिकल की मात्रा बढ़ रही है। सिटी की फैक्ट्रीज में यूज होने वाले मैटल से बॉडी को नुकसान पहुंचता है। चेन इंडस्ट्रीज से निकलने वाले कैमिकल बॉडी को प्रभावित करते हैं। यमुना में अब पानी नहीं रहा, पानी होता तो उसमें फिश भी होती। जहरीली गैस प्रयोग होने के कारण यमुना दूषित हो गई है।

डॉ। सुनील बंसल, फिजीशियन

फैक्ट्रीज से निकलने वाले कैमिकलों के कारण जॉइंडिस, टाईफाइड, हैपेटाइटिस, फीवर, कोलेस्ट्राल के अलावा किडनी, बे्रन व लीवर खराब होने के चांसेस रहते हंै। यमुना का वाटर आचमन करने के लायक नहीं रह गया है। श्रद्धालु यदि उसका आचमन करें तो पहले प्योर कर लें.