बिना driver के चल रही गाड़ी

झारखंड का डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट खुद ही डिजास्टर का शिकार नजर आ रहा है। इसका हाल बिना ड्राइवर की गाड़ी जैसा है। यहां लापरवाही का आलम यह है कि यह डिपार्टमेंट बिना सेक्रेटरी और ज्वॉइंट स्क्रेटरी के चल रहा है। डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी नीलिमा केरेकेट्टा का ट्रांसफर हो चुका है। वहीं, डिपार्टमेंट के ज्वॉइंट सेक्रेटरी भी यहां से जा चुके हैं। ऐसे में यह डिपार्टमेंट बिना मुखिया के चल रहा है। यह हालत तब है, जब यहां पर गवर्नर रूल है। ऐसे में आम आदमी को नेचुरल डिजास्टर से बचाने के लिए बनाया गया यह डिपार्टमेंट मात्र 15 स्टाफ्स के भरोसे चल रहा है, जिसमें नौ असिस्टेंट, पांच अंडर सेक्रेटरी और एक डिप्टी सेक्रेटरी शामिल हैं। ऐसे में किसी नेचुरल डिजास्टर के समय इस डिपार्टमेंट में डिसीजन कैसे लिया जाएगा, यहां यह भी बतानेवाला कोई नहीं है।

SDRF still not formed
सेंट्रल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के मुताबिक इंडिया के सभी स्टेट्स में डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट बनाने के साथ ही नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की तरह स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) बनाना है, ताकि लोगों को नेचुरल डिजास्टर के समय यह फोर्स मौके पर पहुंचकर लोगों को बचा सके। पर, झारखंड में इस फोर्स का फॉर्मेशन अभी तक प्रॉसेस में ही है। जबकि, इसके लिए भारी-भरकम बजट सेंट्रल गवर्नमेंट ने झारखंड गवर्नमेंट को भेजा था। स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के फॉर्मेशन को लेकर 17 नवंबर 2011 को झारखंड गवर्नमेंट ने मीटिंग की थी। इसमें डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी, डीजीपी, डिजास्टर मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट शामिल हुए थे। लेकिन, एक साल तक इस मीटिंग की प्रोसीडिंग सिर्फ फाइलों में ही उलझी रही। इसके बाद 28 जनवरी 2012 को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के डीजी खुद स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के फॉर्मेशन को लेकर रांची आए थे, लेकिन इसके बाद भी इसको सीरियसली नहीं लिया गया।

फिर भी नहीं लिया सबक
पिछले साल जब झारखंड के तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा की हेलिकॉप्टर क्रैश लैंडिंग जैसा डिजास्टर हुआ, तो इस जोखिम से निपटने के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की कमी महसूस की गई। इस घटना में बाल-बाल बचे अर्जुन मुंडा ने घोषणा की कि जल्द ही इस फोर्स का फॉर्मेशन हो जाएगा। इसके साथ ही झारखंड में हुए और दूसरे डिजास्टर्स के समय में भी स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स की कमी महसूस की गई। लेकिन, गवर्नमेंट और डिपार्टमेंटल ऑफिसर्स की लापरवाही के कारण यह मामला लटका ही रह गया। यह हाल तब था, जब खुद सीएम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी/डिपार्टमेंट के चेयरमेन होते हैं। स्टेट में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के फॉर्मेशन और स्टेज डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी बनाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने 700 करोड़ रुपए झारखंड गवर्नमेंट को दिए हैं, लेकिन ये पैसे  खर्च ही नहीं हो पाए हैं। झारखंड को छोड़कर कंट्री के बाकी लगभग सभी स्टेट्स में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स का फॉर्मेशन हो चुका है। सेंट्रल गवर्नमेंट इसके लिए पैसे के अलावा दो कंपनी फोर्स भी प्रोवाइड करा रही है। फिर भी झारखंड में इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

Home Dept भेजी गई है file
झारखंड गवर्नमेंट के डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की एक्स सेक्रेटरी नीलिमा केरकेट्टा का कहना है कि झारखंड में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के फॉर्मेशन के लिए प्रपोजल बनाकर होम डिपार्टमेंट को भेजा गया है, जहां से यह कैबिनेट में पास होने के लिए जाएगा। वहां से पास होने के बाद ही यह फोर्स बन पाएगी। नीलिमा केरकेट्टा कहती हैं कि डिपार्टमेंट के पास पैसे की कमी नहीं है। सेंट्रल गवर्नमेंट इसके लिए काफी पैसे दे रही है।

नहीं खरीदे गए equipments
झारखंड में एसडीआरएफ के फॉर्मेशन के फस्र्ट फेज में झारखंड गवर्नमेंट से तीन बटालियन बनाने का प्रपोजल है। इसमें दो बटालियन होम गार्ड की और एक बटालियन एक्स आर्मीमैन की होगी। हर बटालियन में 118 जवान की बहाली की जाएगी। लेकिन, इसके साथ ही नेचुरल डिजास्टर के समय जिन मॉडर्न इक्विपमेंट्स की जरूरत पड़ती है, उनकी परचेजिंग के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने पैसे दिए हैं, पर इक्विपमेंट अब भी नहीं खरीदे गए हैं।

क्या है एसडीआरएफ का काम
एसडीआरएफ एक रेस्क्यू टीम है। जिसमें टेंड पुलिस, एक्स आर्मी और होगार्ड के जवान शामिल होते हैं। जो बचाव कार्य के आधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं। जो किस भी प्राकृतिक आपदा के समय मौके पर पहुंचकर तत्काल राहत कार्य शुरू करते हैं। इममें मेडिकल टीम और अग्निशमन टीम भी शमिल होती है।

झारखंड में भी खतरा
झारखंड में भी अर्थक्वेक और बाढ़ जैसे नैचुरल डिजास्टर्स  आने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा झारखंड के जो कोलियरी बेल्ट हैं, वहां पर किसी भी समय जान-माल का बड़ा नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। यह कहना है डिजास्टर मैनेजमेंट के एक्सपट और अरबन रिस्क रिडक्शन प्रोग्राम प्रोजेक्ट से जुड़े बीरेन्द्र पांडेय का। इनका कहना है कि झारखंड में जल्द से जल्द स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स बनना चाहिए। सेंट्रल गवर्नमेंट इसके लिए मदद भी कर रही है, लेकिन झारखंड गवर्नमेंट की लापरवाही से इसका फॉर्मेशन नहीं हो पा रहा है।