-सर पर आ चुकी है बाढ़, और दो पटल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं बाबू

-गोरखपुर के आसपास पानी भरने की भी नहीं मिल सकी है जानकारी

-लापरवाह रवैये से हो सकती है बड़ी घटना

GORAKHPUR: कठिन परिस्थितियों में लोगों की सहायता के लिए बना गोरखपुर का आपदा विभाग इन दिनों अजीबो-गरीब कारनामा कर रहा है। जहां जिला प्रशासन कागजों में रोज बाढ़ से बचने के लिए पूरी तरह तैयार होने का दावा कर रहा है वहीं, हकीकत में राहत व बचाव कार्य के लिए आपदा विभाग को एक क्लर्क के भरोसे छोड़ दिया है। और वह क्लर्क भी अतिरिक्त प्रभार में है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में बाढ़ तांडव मचाने की तैयारी में है। कई नदियों ने लाल निशान पार कर लिया है। लेकिन जिम्मेदारों की आंखें नहीं खुल रही है।

सर पर आ चुकी है आपदा

जिला आपदा प्रबंध कार्यालय में जिम्मेदारों की बात की जाए तो यहां सिर्फ एक बाबू और एक पीयून ही जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बाबू सुरजीत सिंह गौड़ के पास यह विभाग तो घलुए में है, असल में उनके पास जिला संग्रह कार्यालय की जिम्मेदारी है। इसका काम भी वह यही पहुंचकर निपटाते हैं। इसके अलावा डेली फ्लड स्टेट की रिपोर्ट, जो उन्हें चार बजे तक डीएम को सौंप देनी होती है, उसकी जिम्मेदारी भी इनके पास ही है। अब जब सभी नदियां उफान पर हैं और लगातार मॉनीटरिंग की जरूरत है तो इस कंडीशन में दोहरे विभाग की जिम्मेदारी कई लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

पूरे सीजन में सिर्फ दो मॉक

पिछले साल बारिश की वजह से पानी काफी बढ़ा था, मगर इस दौरान सभी जिम्मेदार इससे निपटने के लिए तैयार थे। उन्हें मॉक ड्रिल के जरिए यह बता दिया गया था कि बाढ़ के दौरान उन्हें किसी तरह से सिचुएशन हैंडिल करनी है और अगर कोई डूब रहा है या बाढ़ में फंसा है तो उसे कैसे बचाय जाना है। एक के बाद एक हर तहसीलों में कई मॉक ड्रिल ऑर्गनाइज की गई थी। मगर जिम्मेदार इस बार काफी राहत भरी नींद में सो रहे हैं। अब तक महज दो तहसील में एनडीआरएफ की हेल्प से मॉक ड्रिल हुई है, जिसमें आसपास के लोगों को आपदा से बचने के तरीके बताए गए हैं। मगर इसके अलावा किसी भी तहसील में लोगों को बाढ़ से निपटने के तरीके नहीं बताए गए हैं, जबकि कई गांव में बाढ़ का पानी आना भी शुरू हो गया।

तीन दिन में बढ़ा है जलस्तर

गोरखपुर में पिछले तीन दिनों से लगातार वॉटर लेवल बढ़ रहा है। नेपाल ने 65 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है, जिसकी वजह से गोरखपुर के आसपास के गांव में पानी की चपेट में आ गए हैं। इसकी वजह से गोरखपुर और आसपास के पांच स्टेशंस में से चार पर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जबकि, एक नदी वॉर्निग लेवल के ऊपर बह रही है, लेकिन अभी इसने खतरे का निशान नहीं पार किया है। मगर जिस तरह से पानी बढ़ रहा है, यह कभी भी लाल निशान पार कर सकती है। इसकी वजह से लोगों को और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

लगातार बढ़ रहा है पानी

गोरखपुर के आसपास के पांचों स्टेशंस पर बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा में बढ़त जारी है, वहीं त्रिमोहिनीघाट में रोहिन भी लाल निशान पार कर चुकी है। तुर्तीपार में भी नदी ने लाल निशान पार कर लिया है, जिसकी वजह से घाघरा लगातार बढ़ रही है। यहां का वॉटर लेवल शनिवार को 63.7 था, जो रविवार को 24 घंटे में बढ़कर 63.9 पर पहुंच गया है। सोमवार को इसमें बढ़त का सिलसिला जारी रहा और नदी डेंजर लेवल 64.0 मीटर को पार कर गई। वहीं बर्डघाट में राप्ती वॉर्निग लेवल से कुछ नीचे ही बह रही है।

राप्ती का पानी बढ़ा

घाघरा और राप्ती के उफान पर होने की वजह से रोहिन नदी का वॉटर लेवल लगातार बढ़ रहा है। राप्ती नदी भी मुहाने से बाहर आ चुकी है और आसपास के मैदान को अपनी जद में ले लिया है। राप्ती के बढ़ जाने की वजह से बैकुंठ धाम के आसपास भी पानी पहुंच गया है। शव दाह भी नगर निगम के पुराने शवदाह गृह पर किया जा रहा है।

नदी जगह डेंजर लेवल 6 अगस्त 7 अगस्त

घाघरा एल्गिन ब्रिज 106.0 मीटर 106.8 मीटर 106.7 मीटर

घाघरा तुर्तीपार 064.2 मीटर 063.9 मीटर 64.0 मीटर

राप्ती बर्डघाट 074.9 मीटर 073.7 मीटर 73.9 मीटर

रोहिन त्रिमोहिनीघाट 082.4 मीटर 082.7 मीटर 83.0 मीटर

बातचीत -

रिपोर्टर - भाई साहब, बाढ़ की क्या स्थिति है।

क्लर्क - स्थिति अभी कंट्रोल में है। कुछ नदियां लाल निशान पार कर चुकी हैं, मगर अभी हालात काबू में हैं।

रिपोर्टर - नदियों का क्या स्टेटस है, इसकी जानकारी कैसे मिलेगी।

क्लर्क - मैं ही इसकी रिपोर्ट तैयार करता हूं। दो-दो विभाग का जिम्मा है। इसकी वजह से थोड़ी देर हो जाती है।

रिपोर्टर - कितने बजे रिपोर्ट तैयार हो जाती है?

क्लर्क - दो बजे से तहसीलों का डाटा कलेक्ट करता हूं। चार बजे डीएम साहब को रिपोर्ट भेजनी होती है, इससे पहले डाटा तैयार हो जाता है।

रिपोर्टर - आपके विभाग में कौन-कौन है?

क्लर्क - विभाग में सिर्फ मैं और एक पीयून है।

रिपोर्टर - आप किस पद पर हैं?

क्लर्क - मैं वैसे तो जिला संग्रह कार्यालय में कार्यरत हूं, लेकिन इसका अतिरिक्त प्रभार देख रहा हूं।

रिपोर्टर - यानी आप यहां के परमनेंट स्टाफ नहीं हैं?

क्लर्क - नहीं, सिर्फ मुझे यहां अटैच किया गया है।

वर्जन

दो दिनों से नदियों का जलस्तर बढ़ा है। अब इसकी सही मॉनीटरिंग की जरूरत है। आपदा में एक ही कर्मचारी है, इसके लिए एडीएम एफआर से बात कर एक परमनेंट स्टाफ की व्यवस्था करवाता हूं। ताकि सूचना मिलने और स्टेटस जानने में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। वहीं समय रहते बाढ़ की जानकारी हो जाए।

- प्रभुनाथ, एडीएम प्रशासन/प्रभारी आपदा प्रबंधन