युवाओं में सेना में जाने के प्रति जज्बे में भी कमी दिखती है। कैसे बदलेगा सब कुछ? आई नेक्स्ट ने वेटरेंस से तमाम मुद्दों पर बात की। जो निचोड़ निकला वो हम आपके सामने रख रहे हैं।

1. डिस्पिलीन काफी जरूरी है। आज का यूथ इससे पूरी तरह से अछूता है। सब कुछ अपने समय पर करना चाहता है। अपने तरीके से जीना चाहता है। लेकिन आर्मी में ऐसा नहीं है। यहां की लाइफ डिस्पिलीन है। सबके लिए एक तय टाइम है। उठने से लेकर सोने तक का समय निश्चित होता है।

2. आज का यूथ उस तरह की मेहनत नहीं करना चाहता जैसा एक आर्मी ट्रेनिंग के दौरान दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान एक जवान को पहाड़ों पर चढऩे से लेकर कांटों पर चलने तक की टे्रनिंग दी जाती है। आज का यूथ इन सब से बचना चाहता है। उसे आराम की जिंदगी पसंद है। इसलिए आज का यूथ आर्मी की ओर इतना अट्रैक्ट नहीं है।

3. एक आर्मी ऑफिसर की लाइफ में काफी तरह के रिस्ट्रिक्टिशंस होते हैं। रिटायरमेंट के बाद भी एक आर्मी ऑफिसर को इन रिस्ट्रिक्टिशंस को साथ लेकर चलना होता है। आज का यूथ किसी की भी और किसी भी तरह की रिस्ट्रिक्टिशंस सहन नहीं कर सकता है। वो हर काम बिना रोक-टोक के करना चाहता है।

4. एक आर्मी ऑफिसर अपनी फैमिली को उतना टाइम नहीं दे पाता है, जितना एक सिविलियन देता है। आर्मी में लीव की भी काफी प्रॉब्लम होती है। लीव होने के बावजूद कभी भी कैंसल हो जाती हैं। इस वजह से भी यूथ में आर्मी के प्रति क्रेज घटा है। साथ ही अपनी फैमिली के साथ वक्त बिताने के लिए भी ऑफिसर्स वीआरएस ले लेते हैं।

5. आर्मी में भी अब जो भी यूथ आ रहा है वो एक्स्ट्राऑर्डिनरी एजुकेटेड है। टेक्नीकली स्ट्रांग है। साथ ही प्रोफेशनल कोर्स को भी प्रिफरेंस दे रहा है। जब वो अपने सराउंडिंग्स लोगों को अच्छी पे स्केल और रॉयल लाइफ जीते देखता है तो वो भी वीआरएस लेकर फील्ड चेंज कर लेता है।

यूथ को यहां थोड़ा प्रॉब्लम है

"आज का यूथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है। साइंटिस्ट बनना चाहता है। डॉक्टर बनना चाहता है, लेकिन आर्मी इसमें थोड़ा प्रॉब्लम है। इसमें बहुत डिस्पिलीन लाइफ जीनी पड़ती है। मैं डिग्री कॉलेज में लेक्चरर था। चाइना वॉर ने मेरे जज्बे को बढ़ाया और नौकरी छोडक़र आर्मी ज्वाइन की। अब ऐसा कोई नहीं करता."

- रि। मेजर किरपाल सिंह सिरोही

"आर्मी की लाइफ थोड़ी टफ होती है। ट्रेनिंग के दौरान ऑफिसर को टफ बनाने के लिए मेहनत कराई जाती है, लेकिन आज का यूथ ये सब नहीं करना चाहता है। इसलिए अब यूथ का आर्मी में अट्रैक्शन कम ही है."

- रि। कर्नल अनिल कुमार

" यूथ इसलिए आर्मी की ओर अटै्रक्ट नहीं होता क्योंकि इसकी ट्रेनिंग में काफी मेहनत होती है। अब मेरा एक बेटा मेरी तरह आर्मी में है। जब छोटे बेटे ने उसकी लाइफ को देखी तो पीछे हट गया। एक आर्मी ऑफिसर को काफी सैक्रीफाइस करने पड़ते हैं."

- रि। कर्नल एसएस दुहून

"अब यूथ की प्रायरिटीज चेंज हो गई है। वो रॉयल लाइफ के साथ बिग अमाउंट ऑफ मनी चाहता है। जो आर्मी में कम ही संभव है। फिर इन सब को पाने के लिए कई ऑफिसर वीआरएस भी ले रहे हैं."

- रि। कैप्टन होशियार सिंह