- बुखार, टायफाइड और डेंगू की चपेट में कानुपराइट्स, सेल्फ मेडीकेशन से और बिगड़ रही हालत

- बड़े सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों के मेडिसिन वार्ड फुल, ओपीडी में आ रहे सैकड़ों मरीज

- डेंगू के संदिग्ध मरीजों के 400 से ज्यादा सैंपलों की हुई जांच, अब तक 41 को डेंगू की पुष्टि

KANPUR: बारिश का सीजन खत्म होने को है और बीमारियों का सीजन शुरू हो चुका है। कानुपराइट्स पर बुखार ने ट्रिपल अटैक किया है। इसके अलावा डायरिया व गैस्ट्रेंटाइटिस ने पहले ही कानपुराइट्स को परेशान कर रखा है। हालात यह है कि शहर के बड़े सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों के मेडिसिन वार्डो में मरीजों के लिए जगह नहीं बची है। डॉक्टर्स के मुताबिक तीन तरह के वायरल फीवर का सबसे ज्यादा असर है। इन्हीं के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक बारिश रुकने के बाद बीमारियां और तेजी से बढ़ेंगी।

तीन तरह के वायरल का बढ़ा असर

तेज बुखार- इसमें मरीज को 100 डिग्री से ऊपर बुखार आता है। साथ ही तेज बदन दर्द होता है इसका असर तीन से पांच दिन तक रहता है। जोड़ों में दर्द के साथ कई बार शरीर में लाल दाने पड़ जाते हैं,लेकिन यह चिकुनगुनिया नहीं है

सर्दी जुखाम के साथ बुखार- इसमें बुखार कम आता है,लेकिन मरीज को तेज सर्दी लगती है साथ ही जुखाम के साथ सिरदर्द व खांसी भी होती है। इसका असर भी 5 दिन से एक हफ्ते रहता है।

डेंगू-

इसकी शुरुआत नार्मल बुखार से होती है। कुछ दिनों में तेज बुखार के साथ पेट दर्द,उल्टी के साथ शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं।

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बुखार में कोई नया पैटर्न नहीं

डॉक्टर्स के मुताबिक अक्सर वारयल फीवर में कुछ नए तरह के लक्षणों की बात होती है,लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। बुखार में कोई नया पैटर्न नहीं आया है,लेकिन सेल्फ मेडीकेशन और झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज ने सामान्य तरीके से सही होने वाले बुखार को कॉप्लीकेटेड बना दिया है।

पीसीएम ही सबसे अच्छी दवा

डेंगू से लेकर तमाम तरह के वायरल फीवर के लिए पैरासीटामोल ही सबसे अच्छी दवा है। तेज बुखार व बदन दर्द होने पर इस दवा के परिणाम सबसे अच्छे होते हैं। साथ ही शरीर को नार्मल पानी से पोछना व थोड़े ठंडे माहौल में रहने से फायदा होता है। निम्यूस्लाइड, आइबूप्रोफेन, मेटानिमिक एसिड जैसी दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए। यही दवाएं नार्मल बुखार के मामलों को कॉप्लीकेटेड कर देती हैं।

बुखार में जांच के खेल को समझे-

बुखार किस तरह का है इसकी पुष्टि करने के लिए कुछ दिनों का समय लगता है.पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी में बुखार कौन सा है इसकी जांच की सुविधाएं हैं। किसी मरीज को डेंगू है इसकी पुष्टि उसे 7 दिन लगातार बुखार होने के बाद होने वाली जांच से होती है। हालाकि डॉक्टर्स रैपिड कार्ड एनएस टेस्ट से डेंगू का इलाज शुरू कर देते हें। ऐसे ही टायफाइट के लिए विडाल टेस्ट के सही नतीजे भी इतने दिनों में ही मिलते हैं.डेंगू में प्लेटलेट्स काउंट 15 हजार से कम या फिर ब्लीडिंग होने पर ही खतरनाक माना जाता है।

बुखार से बचाव के तरीके-

-साफ सफाई का विशेष ध्यान दें, -हाथ की हाईजीन पर जोर दें

- पीने में साफ पानी का प्रयोग करें बाहर पानी पीने से बचे

- घर का ताजा खाना खाएं, बाहर के खान-पान से बचे

- मच्छरों से बचाव के लिए घर या आसपास पानी एकत्र न होने दें

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वर्जन-

टायफाइड, डेंगू के मरीज आ रहे हैं। इनके इलाज में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पैरासीटामोल बुखार में सबसे सेफ और असरकारक दवा होती है। ओपीडी में बुखार के मामले तेजी से बढ़े हैं।

- प्रो.रिचा गिरि, प्रोफेसर एंड हेड, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

बारिश जैसे जैसे कम होगी बुखार समेत कई बीमारियों का प्रकोप बढ़ेगा। इनसे बचने के लिए सावधानी रखना बेहद जरूरी है। साथ की बुखार होने पर खुद इलाज करने की बजाय डॉक्टर के पास जाएं।

- डॉ.एसके गौतम, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग