प्रतिबंधित प्लास्टिक से बनते हैं झंडे

झंडा बेचने वाले एक व्यापारी की मानें तो झंडा बनाने में चाइनीज प्लास्टिक का यूज किया जाता है। जीएमसी के चीफ हेल्थ ऑफिसर अरुण कुमार के मुताबिक चाइनीज प्लास्टिक 80 माइक्रॉन की होती है, जो पूरी तरह प्रतिबंधित है।

इन एरियाज में सजती हैं दुकानें

सिटी में मानकों के विपरीत झंडे बिकने के लिए दुकानें कई दिन पहले से सजने लगती हैं। सिटी के गोलघर, बक्शीपुर, अलीनगर, नखास जैसी जगहों पर लगभग 300 दुकानें लगती हैं। इन दुकानों में कपड़े और कागज के झंडों के साथ-साथ प्लास्टिक वाले झंडे भी बिकते हैं। यही नहीं, इसके अलावा तिरंगे वाले बड़े-छोटे वाले बैज की भी इन दुकानों से खूब बिक्री होती है। व्यापारी मोहन वर्मा का कहना है कि सिटी में प्लास्टिक के झंडे सबसे अधिक बिकते हैं। मोहन ने ये भी बताया कि नखास में होलसेल की दुकान है, जहां से सिटी के दुकानदार झंडे और बैज खरीद कर ले जाते हैं।

सबको करना है नेशनल फ्लैग का सम्मान

26 जनवरी को रिपप्लिक डे सेलिब्रेट होने के बाद अक्सर तिरंगा नालियों और कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। इसके अलावा फटे, मुड़े झंडे भी सड़कों पर फेंके जाते हैं। इंडियन फ्लैग कोड, 2002 के अनुसार नेशनल फ्लैग का सम्मान हर भारतीय नागरिक को करना अनिवार्य है। तिरंगे का स्वरूप बिगाडऩा, उसे किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाना तिरंगे का अपमान है। ऐसा करने पर पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है। साथ ही भारतीय होने के नाते हम सबकी मॉरल रिस्पांसिबिलिटी है कि हम अपने नेशनल फ्लैग का सम्मान करें।

यूं हो रहा तिरंगे का अपमान

- मार्केट में प्लास्टिक और सिथेंटिक के बने फ्लैग धड़ल्ले से बिक रहे हैं

- ऐसे झंडों का कोई माप नहीं होता है, जबकि इंडियन फ्लैग के लिए साइज डिफाइन किया गया है।

- कई ऐसे झंडे बिक रहे हैं जिनमें चक्र तो बना है, लेकिन 24 तीलियां नहीं है।

- मार्केट में बिक रहे कई झंडे मानकों के विपरीत रंगों में है।

ये हैं नियम

- नेशनल फ्लैग हमेशा हाथ से बुना होना चाहिए।

- फ्लैग के बीच में अशोक चक्र नीले रंग का होना चाहिए और चक्र में 24 तीलियां होनी चाहिए।

- नेशनल फ्लैग आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और उंचाई में 2:3 का रेशियो होना चाहिए।

- नेशनल फ्लैग में सबसे ऊपर सैफ्रॉन, बीच में व्हाइट और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी होनी चाहिए।

प्लास्टिक के झंडे नष्ट नहीं होते हैं। वह कूड़ेदान या नाली में फेंक दिए जाते हैं। यह राष्ट्रध्वज का अपमान ही है।

डॉ। हर्ष कुमार सिन्हा, एसोसिएट प्रोफेसर, डिफेंन्स स्टडीज, गोरखपुर यूनिवर्सिटी

ऐसे झंडे सिटी में बिक रहे हैं, इसके लिए संबंधित अफसर को आदेश दिए जाएंगे। प्लास्टिक के बने झंडे देश के सम्मान के साथ खेलते हैं।

बीएन सिंह, एडीएम सिटी