लाखों का कारोबार, दर्जनों दुकानें

सिटी में डिस्पोजेबल ग्लास, प्लेट और पत्तल का कारोबार खूब होता है। साहबगंज मंडी में इसकी थोक की दुकानें है। यहां पर रोजाना 25 से तीस लाख का प्लास्टिक के ग्लास और प्लेट का कारोबार होता है। सिटी में किराना की दुकानों पर प्लास्टिक के ग्लास आराम से मिलते हैं। चाय और पान की दुकान पर भी प्लास्टिक के ग्लास मिल जाते हैं। सिटी में वाइन और बीयर शॉप्स के अगल- बगल में चिखना बेचने वाले भी फुटकर में प्लास्टिक के ग्लास बेचते हैं। कुल्हड़ का यूज करने के बाद चाय की दुकानों पर भी छोटे वाले ग्लास इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। लोग यूज करने के बाद इनको इधर-उधर फेक देते हैं। बाद में यह सारा कचरा जीएमसी के मत्थे आता है।

खतरनाक है इनका इस्तेमाल, फिर नहीं ध्यान देते हैं लोग

प्लास्टिक के ग्लास, प्लेट और चम्मच का यूज खतरनाक होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह कई तरह से हेल्थ पर असर डालती हैं। डाइजेशन सिस्टम को डिस्टर्ब करने के साथ ही यह पथरी की शिकायत को बढ़ाता है। सिंथेटिक पॉलीमर से बने होने की वजह से इनका केमिकल धूप और मौसम की वजह से असर डालता है। इनको जलाने पर भी हार्मफुल चीजें निकलती हैं। कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस निकलती है। यह बॉडी को नुकसान पहुंचाती है। चाय और पानी वाले अलग ग्लास यूज किए जाते हैं। पॉलीस्टाइरीन से बने ग्लास में टॉक्सिक केमिकल कैलशियम सल्फेट, प्लास्टीसाइजर फिलर डालकर ब्लो किया जाता है। इसे ब्लोइंग एजेंट कहते हैं। प्लास्टिक का गिलास यूज करने से पेट की बीमारियों के साथ ही पथरी होने, पॉल्यूशन और डे्रनेज सिस्टम पर ज्यादा असर पड़ता है।

गुम हो रही कुल्हड़, गायब है पत्तल

सिटी के आसपास जंगल होने के बावजूद यहां पर पत्तों से बने पत्तल और मिट्टी के कुल्हड़ों का यूज लगभग बंद हो चुका है। कुछ घरों में कभी-कभी पत्तल और कुल्हड़ का यूज किया जाता है। बताया जाता है कि मिट्टी न मिलने से कुल्हड़ नहीं बन पा रहा है। इस वजह से इसके दाम भी बढ़े हुए हैं जबकि पत्तों के यूज से पत्तल बनाने का सिलसिला भी खत्म होता जा रहा है। कुल्हड़ की जगह लोग प्लास्टिक के ग्लास और पत्तल की जगह लोग प्लास्टिक की प्लेट का यूज कर रहे हैं। इससे खतरा बढ़ता जा रहा है।

डिस्पोजेबल ग्लास और प्लेट का यूज हेल्थ के लिए खतरनाक होता है। यूज करते समय लोग इसका ध्यान नहीं रखते। चूंकि यह आसानी से उपलब्ध विकल्प है, इसलिए लोग इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

डा। वीके सुमन, सीनियर फिजिशियन, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

प्लास्टिक के ग्लास और प्लेट्स के यूज से जीएमसी को काफी नुकसान पहुंचता है। मैरेज हॉल और होटल्स के आसपास कचरे में प्लास्टिक के ग्लास और प्लेट्स फेंके जाते हैं। इससे पॉल्यूशन तो होता ही है साथ ही नालियां भी चोक हो जाती है। कुछ लोग इनको इकट्ठा करके जला देते हैं जो ज्यादा खतरनाक है। लोगों को चाहिए कि प्लास्टिक के ग्लास और प्लेट का यूज करने से बचें।

आरके त्यागी, नगर आयुक्त