नगर आयुक्त से पुरानी रार
नगर निगम की वर्किंग से आम पŽिलक ही नहीं बल्कि सभासदों  में भी नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है। कुछ महीनों पहले अपने वार्डों में नालों की समस्या लेकर नगर निगम पहुंचे एक दर्जन सभासदों की नगर आयुक्त से तीखी बहस हो गई थी। इससे नाराज नगर आयुक्त ने सभासदों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराने की बात कही थी। जिसके बाद लामबंद सभासदों ने मेयर से लेकर शासन तक में नगर आयुक्त के खिलाफ शिकायतें कीं। वहीं नगर आयुक्त के पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल को लेकर भी पार्षदों काएक बड़ा गुट सवाल उठाता रहा है।

घटिया इंटरलॉकिंग पर सवाल
शहर में पिछले डेढ़ सालों में बनी तमाम इंटरलॉकिंग टाइल्स वाली सड़कों की खस्ता हालत ने निगम की वर्किंग पर सवाल खड़े किए हैं। करीब 15-18 सालों की लाइफ वाली टाइल्स का दो सालों में ही टूट जाना घटिया क्वालिटी की कहानी बयां कर रहे हैं। शहर के कई वार्डों में घटिया टाइल्स वाली सड़कों की कंप्लेन पर मेयर ने कार्रवाई और जांच के निर्देश दिए, लेकिन दोषियों के खिलाफ एक्शन लेने में निगम का एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम फ्लॉप ही रहा। इसके अलावा कई पार्षदों की शिकायत पर भी अमन नहीं किया जाता है।

ऑनलाइन बर्थ और डेथ रजिस्ट्रेशन की मुहिम सुस्त
अर्बन लोकल बॉडी की पूरे सूबे में शुरू की गई ऑनलाइन बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन की मुहिम भी अफसरों के बेजान रवैये से ठंडी ही पड़ी रही। नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तमाम कोशिशों के बाद यह सिटी में शुरू तो हुई पर तेजी न पकड़ सकी। सोर्सेज के मुताबिक नगर आयुक्त से तमाम अपीलों के बावजूद वह निगम में इस मुहिम के लिए जरूरी कम्प्यूटर केबिन व आईटी ऑफिसर सहित 12 ऑपरेटर्स की कमी पूरी न करा सके। नगर आयुक्त पर आरोप लगे कि उन्होंने शासन से इसके लिए कभी भी गंभीरता से मैनपॉवर व सोर्सेज अवेलबेल कराने की कोशिश तक न की। इसके अलावा भी कई विभागों में कर्मियों की कमी है।

टैक्स वसूली में भी नुकसान
जनता को बुनियादी सुविधाएं देनेके बदले उनसे टैक्स वसूलने में भी निगम फिसड्डी रहा है। निगम की सीमा में करीब 88 हजार टैक्सपेई आते हैं, लेकिन सोर्सेज के मुताबिक 2012-13 में इनमें से सिर्फ 24,700 ने ही अपने टैक्स अदा किए थे। वहीं 2013-14 के बीते नौ महीनों में सिर्फ 16,500 टैक्स पेई से ही निगम वसूली कर सका। हालांकि टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स व रेवेन्यू इंस्पेक्टर्स की कमी से जूझ रहा है, बावजूद इसके नगर आयुक्त व उनके चीफ टैक्स ऑफिसर पर बकाए टैक्स वसूली के लिए कारगर कदम न उठाने के आरोप लगे हैं।

विवाद में ऑनलाइन टैक्स की कवायद भी लटकी

निगम में 1 अप्रैल 2013 से ऑनलाइन टैक्स जमा किए जाने की शुरुआत की गई। पŽिलक व निगम दोनों के नजरिए से यह योजना बेहतरीन थी, लेकिन यह सिर्फ फाइलों में ही अपना वजूद बना सकी। नौ महीने बाद भी निगम सिटी के एक भी टैक्सपेई का बकाया टैक्स ऑनलाइन जमा कराने में फेल ही रहा। निगम की पॉलिसी मेकिंग में मेयर भले ही वाह-वाही पाए हों, लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने में नगर आयुक्त और उनकी टैक्स टीम नकारा ही रही। जिसके फिलहाल नए फाइनेंशियल ईयर से पहले शुरू होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती।

निर्माण कार्यों पर घोटालों के आरोप
मेयर और नगर आयुक्त के अब तक के कार्यकाल में सिटी के कई हिस्सों में हुए कंस्ट्रक्शन व रेनोवेशन वर्क पर घोटालों के आरोप लगे हैं। घटिया सड़क निर्माण से लेकर नालों में यूज हुई पीली पेटी की ईंट पर पार्षदों ने नगर आयुक्त व निर्माण विभाग पर आरोप तक लगाए। वहीं पिछले दो महीनों में अवस्थापना निधि से बने सिटी के करीब 40 घटिया निर्माण कार्यों पर मेयर ने जांच की रिपोर्ट मांगी, लेकिन निगम ने इन पर कोई रिपोर्ट न सौंपी। सोर्सेज बताते हैं कि दोनों जिम्मेदारोंं की लड़ाई में विकास के कई काम फाइलों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। जिससे मेयर व नगर आयुक्त के बीच वर्किंग अंडरस्टैंडिंग में डिफरेंसेंस देखने को मिले।

'मैंने पूर्व सांसद को अपना इस्तीफा सौंपा था, जो उन्होंने नामंजूर कर दिया। उन्होंने पूरे मामले की जांच पार्टी व शासन स्तर से कराए जाने का आश्वासन दिया है। नगर आयुक्त के साथ मेरे मतभेदों की बात सही नहीं है। सिटी के विकास के लिए सभी को एक साथ मिलकर काम करना होगा.'
- डॉ आई एस तोमर, मेयर

'सिटी में पिछले डेढ़ सालों में जितने डेवलेपमेंटल काम हुए, उतने बीते पांच सालों में नहीं हुए। अगर मेरे ऊपर घोटालों के आरोप हैं, तो पार्षद उन्हें जाहिर करें और सबूत दें। यह आरोप बेकार हैं। मेयर के साथ शांतिपूर्ण माहौल में बात करना चाहता हूं, लेकिन इसके लिए व्यवहार व माहौल सुधारने की जरूरत है'।
- उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त

'नगर आयुक्त काम करना ही नहीं चाहते। वार्डों की प्रॉŽलम्स और सभासदों की कंप्लेन पर वह सुनवाई ही नहीं करते। सिटी में डेवलपमेंटल काम हुए पर उसमें भी निगम के अधिकारियों का कमीशन वाला स्वार्थ हैं। नगर आयुक्त के कार्यकाल में हुए घोटालों को लेकर जल्दी ही एक बैठक की जाएगी.'
- राजेश अग्रवाल, नेता सभासद दल