तीन सेंटर्स पर है सुविधा

सिटी में डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेज के तीन सेंटर्स हैं, जो बरसों से स्टूडेंट्स के बीच यह सुविधा प्रदान कर रहे हैं। कुछ सेंटर्स पर क्लासेज करने की भी फैसिलिटी है। मार्केट की डिमांड के अनुसार, टाइम-टाइम पर अपने कोर्स को अपडेट भी करते हैं। शहर में इग्नू, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन और विनायका मिशन के सेंटर्स संचालित हैं, जहां एक दर्जन से ज्यादा यूजी लेवल के परंपरागत और प्रोफेशनल कोर्स चल रहे हैं। इन सेंटर्स पर एडमिशन की सुविधा के साथ स्टडी मैटीरियल भी प्रोवाइड किए जाते हैं। साथ ही गाइडेंस और काउंसलिंग के लिए एक्सपट्र्स भी अवेलेबल रहते हैं।

Conventional courses हैं

इन सेंटर्स पर सभी प्रकार के परंपरागत कोर्स में एडमिशन और स्टडी मैटीरियल प्रोवाइड किए जाते हैं। साथ ही यूजी लेवल पर प्रोफेशनल कोर्स भी कराए जाते हैं। बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए, बीजेएमसी, बीसीए, बीटीएस समेत अन्य कोर्स रन किए जा रहे हैं। हर सेंटर का एडमिशन प्रोसेज जुदा है। खास बात यह है कि एडमिशन के लिए स्टूडेंट को किसी स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता। इन सभी कोर्स में डायरेक्ट एडमिशन मिलता है। स्टूडेंट्स को मिनिमम पासिंग क्राइटेरिया को क्वालीफाई करना पड़ता है।

जेब पर बोझ नहीं

डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेज की फीस ज्यादा नहीं होती। हर आम स्टूडेंट इसे एफोर्ड कर सकता है। दूसरे रेग्युलर कॉलेजेज के मुकाबले कुछ कोर्सेज की फीस आधे से भी कम होती है। साथ ही फॉर्म, एडमिशन, टूर, बुक्स, यूनिफॉर्म समेत अन्य मदों के खर्चों से भी छुटकारा मिल जाता है। स्टूडेंट्स को महज रजिस्ट्रेशन, कोर्स फीस और एग्जाम फीस ही पे करनी पड़ती है। ना बिल्डिंग फीस और ना ही भारी भरकम हॉस्टल फीस।

दो कोर्स एक साथ

डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ाई करने का एक और फायदा यह भी है कि एक साथ दो कोर्स की पढ़ाई की जा सकती है। जो स्टूडेंट्स पहले से ही रेग्युलर कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं और साथ में दूसरा कोई कोर्स करना चाहते हैं तो डिस्टेंस लर्निंग उनके लिए बेस्ट है लेकिन रेग्युलर दो कोर्स किसी भी यूनिवर्सिटी से नहीं कर सकते।

इनकी है Demand

ज्यादा option होने चाहिए

डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ाई करने के ऑप्शंस कम होने से स्टूडेंट्स के बीच मायूसी भी है। सिटी में करीब 42,048 इंटर पासआउट स्टूडेंट्स हैं। वहीं दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स से करीब 30,000 स्टूडेंट्स भी सिटी के विभिन्न कॉलेजेज में यूजी कोर्सेज के लिए एप्लाई करते हैं। जबकि कॉलेजेज में यूजी कोर्सेज की करीब 12,000 सीट्स अवेलेबल हैं। काफी संख्या में स्टूडेंट्स प्राइवेट कोर्स में एप्लाई करते हैं। वहीं डिस्टेंस लर्निंग कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स के लिए ज्यादा ऑप्शंस नहीं हैं। केवल तीन संस्थानों के सेंटर्स होने की वजह से स्टूडेंट्स के बीच थोड़ी निराशा है। वे दूसरे स्टडी सेंटर्स की भी तलाश में रहते हैं। लेकिन सिटी में उनके सेंटर्स न होने की वजह से उनके पास ज्यादा ऑप्शंस नहीं रहते।

Placement cell भी बने

इन स्टडी सेंटर्स पर बस एक कमी है प्लेसमेंट सेल की। इसी वजह से स्टूडेंट्स इनमें एडमिशन लेने से थोड़ा कतराते हैं। स्टूडेंट्स को डिग्री तो मिल जाती है लेकिन प्लेसमेंट की सुविधा न होने से उन्हें खुद ही रोजगार की तलाश करनी पड़ती है।

अपने अनुसार कर सकते हैं पढ़ाई

डिस्टेंस लर्निंग सेंटर से स्टूडेंट्स अपनी सुविधा के अनुसार एडमिशन और पढ़ाई कर सकता है। साथ ही एग्जाम भी वह अपनी सुविधा के अनुसार दे सकता है। इस सिस्टम में स्टूडेंट्स के लिए ऐसी सुविधा प्रदान की गई है। स्टूडेंट्स इंटर पास के बाद किसी भी एज ग्रुप में कभी भी एडमिशन के लिए एप्लाई कर सकता है। साथ ही एग्जाम में भी अपनी सुविधा के अनुसार बैठ सकता है।

डिस्टेंस एजुकेशन से क्या फायदा है?

डिस्टेंस एजुकेशन से कोई भी स्टूडेंट एक समय में एक से ज्यादा कोर्स भी कर सकता है। धीरे-धीरे यह ट्रेंड बढ़ता भी जा रहा है। कोई भी स्टूडेंट जो बीएससी कर रहा है, वह यह कोर्स करते हुए ही बीसीए या बीबीए भी कर सकता है। वहीं अगर कोई स्टूडेंट बीए कर रहा है तो वह इसके साथ कोई सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकता है। इससे उसकी क्वालिफेशन ज्यादा क्वालिटेटिव हो सकती है।

किस तरह के स्टूडेंट्स यहां रजिस्टर होते हैं?

जो भी स्टूडेंट्स वर्किंग हैं या किसी कारण से रेग्युलर पढ़ाई नहीं कर सकते हैं, ज्यादातर वहीं स्टूडेंट्स डिस्टेंस एजुकेशन से पढ़ाई करते हैं। वहीं आर्मी और एयरफोर्स केलोग भी डिस्टेंस एजुकेशन में सबसे ज्यादा एडमिशन लेते हैं। इसकी वजह यह है कि आर्मी और एयरफ ोर्स में तमाम भर्तियां क्लास 12 के बाद ही हो जाती हैं। पर रिटायरमेंट के बाद उन्हें इन कोर्सेज से काफी लाभ मिलता है।

फ्रेशर्स के लिए क्या सलाह देंगे?

फ्रेशर्स के लिए अच्छा होगा कि वह रेग्युलर कोर्स जरूर ज्वाइन करें। इसके साथ में तो वह डिस्टेंस एजुकेशन ज्वॉइन कर सकते हैं। कुछ लोग ग्रेजुएशन करने के बाद ही जॉब लग जाने पर प्रोफेशनल सर्टिफिकेट कोर्स के लिए डिस्टेंस कोर्स ज्वाइन करते हैं। इससे उन्हें प्रमोशन, इंक्रीमेंट में फायदा होता है। कई बार टीचिंग करने के  बीच में बीएड करने के लिए भी आवेदन आते हैं।

क्लासेज के लिए क्या व्यवस्था रहती है?

डिस्टेंस लर्निंग के लिए क्लासेज संडे को ही लगाई जाती हैं। स्टडी मैटीरियल भी स्टूडेंट्स क ो टाइम टु टाइम प्रोवाइड कराया जाता है। वहीं इसके लिए एडमिशन साल में दो बार किए जाते हैं। एक बार जुलाई में और दोबारा दिसम्बर में। इसके लिए 100 रुपए का एक कॉमन एंट्रेंस फॉर्म मिलता है। ग्रेजुएशन और सर्टिफिकेट कोर्सेज में डायरेक्ट एडमिशन लिया जाता है।

राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी में एडमिशन से क्या बेनिफिट्स हैं?

राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने में सबसे बड़ा बेनिफिट यही है कि आप साल में किसी भी समय एडमिशन ले सकते हैं। इसके लिए आपको किसी निश्चित समय का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। यह डिसीजन यूनिवर्सिटी की ओर से प्रेजेंट सेशन में ही लिया गया है। इससे स्टूडेंट्स को काफी रिलीफ मिलेगा। कई बार स्टूडेंट्स रेग्युलर एडमिशन में लगे रहते हैं और डिस्टेंस एजुकेशन के लिए लास्ट डेट ओवर हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह डिसीजन लिया गया है।

क्या स्टूडेंट्स में डिस्टेंस एजुकेशन के  बारे में अवेयरनेस की कमी है?

हां यह सही है कि क्लास 12 के बाद स्टूडेंट्स डिस्टेंस एजुकेशन की तरफ रुख नहीं करते हैं। हालांकि पोस्ट ग्रेजुएशन में डिस्टेंस एजुकेशन काफी पॉपुलर है। पर धीरे-धीरे ग्रेजुएशन लेवल पर डिस्टेंस लर्निंग के प्रति स्टूडेंट्स अट्रैक्ट हो रहे हैं। डीयू के स्टूडेंट्स में यह ट्रेंड सबसे ज्यादा देखने में आया है। वे रेग्युलर कोर्स के साथ डिस्टेंस एजुकेशन ज्वाइन कर लेते हैं।

आने वाले समय में क्या डिस्टेंस एजुकेशन की पॉपुलैरिटी बढ़ेगी?

दरअसल, इस समय जॉब के लिए मल्टी टैलेंटेड पर्सनाल्टी की तलाश की जाती है। इसके लिए जरूरी है कि कम समय में ज्यादा स्किल्स एचीव की जाएं। अब इसके लिए रेग्युलर तो दो कोर्सेज एक साथ ज्वाइन नहीं किए जा सकते हैं पर डिस्टेंस एजुकेशन के साथ यह संभव है। इसके साथ ही डिस्टेंस एजुकेशन की पॉपुलैरिटी बढ़ेगी। वहीं स्टूडेंट्स को भी इसका फायदा होगा।

डिस्टेंस एजुकेशन में क्या संभावनाएं हैं?

डिस्टेंस एजुके शन आपक ो क्रिएटिव बनने के कई मौके देती है। डिस्टेंस लर्निंग के दौरान आप दूसरी वर्किंग के साथ ही कोर्स की पढ़ाई, प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल वर्क भी करना होता है। यह आपकी एफिशिएंसी भी बढ़ाता है। डिस्टेंस एजुकेशन से पढ़ाई की वैल्यू में कोई कमी नहीं होती है।