दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे बनाने जा रही योगी सरकार

वेस्ट यूपी के साथ-साथ एनसीआर से जुड़ेगा ईस्ट यूपी

प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े तराई क्षेत्र का होगा कायाकल्प

मेरठ से प्रयागराज तक बनेगा एक्सप्रेस- वे

36 हजार करोड़ रुपये का आएगा खर्च

12 जिलों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस वे

600 किलोमीटर लंबा होगा एक्सप्रेस-वे

6,556 हेक्टेयर भूमि का होगा अधिग्रहण

Meerut। वेस्ट और ईस्ट यूपी की न सिर्फ दूरी घटेगी बल्कि गंगा एक्सप्रेस-वे के बन जाने से प्रदेश के सबसे पिछड़े गंगा के तराई क्षेत्र को विकास के पंख लगेंगे। दिल्ली -एनसीआर से बेहतर कनेक्टिविटी के बाद गंगा एक्सपे्रस-वे का प्रदेश की योगी सरकार का तोहफा मेरठ के लिए प्रोग्रेस का पॉथ-वे बनेगा। यह हाइवे न सिर्फ ईस्ट यूपी को वेस्ट यूपी से कनेक्ट करेगा बल्कि उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर समेत नार्थ इंडिया से जोड़ेगा। मंगलवार को कुंभ में प्रदेश सरकार की कैबिनेट के इस फैसले से मेरठ समेत गंगा की तराई क्षेत्रों में खुशी की लहर है।

एक नजर में

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रयागराज को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ने के लिए दुनिया के सबसे बड़े एक्सप्रेस-वे गंगा एक्सप्रेस-वे को मंगलवार को सैद्धांतिक सहमति दी है। मंगलवार को प्रयागराज में कुंभ मेला क्षेत्र में स्थित इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आईसीसीसी) में कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज पहुंचेगा। एक्सप्रेस-वे 600 किलोमीटर लंबा होगा, इसके निर्माण के लिए लगभग 6,556 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। फोर लेन एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस-वे का छह लेन तक विस्तार किया जा सकेगा और इस पर लगभग 36,000 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है।

हाईकोर्ट से दूरी घटेगी

मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित गंगा एक्सप्रेस-वे के बनने से वेस्ट यूपी के जनपदों की हाईकोर्ट से दूरी कम होगी। प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग समेत विभिन्न विभागों के प्रयागराज में स्थित मुख्यालयों तक पहुंचना आसान होगा। फिलहाल प्रयागराज तक पहुंचने के लिए सामान्य तौर पर 12-16 घंटे का समय लग रहा है जो घटकर 6-8 घंटे रह जाएगा। मेरठ की राजधानी लखनऊ की दूरी भी आसान होगी। नौचंदी और संगम पर डिपेंड लोगों को एक्सप्रेस-वे बनने से एक बेहतर विकल्प मिलेगा।

टर्मिनल बनेगा मेरठ

बेहतर कनेक्टिविटी न होने से ईस्ट यूपी और वेस्ट यूपी के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित नहीं हो पा रहे हैं तो वहीं एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद मेरठ टर्मिनल बनेगा। ईस्ट यूपी को वेस्ट यूपी के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर, नार्थ इंडिया समेत उत्तराखंड से कनेक्ट करने में मेरठ टर्मिनल का काम करेगा। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे समेत 7 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग से कनेक्टिविटी का फायदा गंगा एक्सपे्रस-वे से ट्रैवल करने वाले पैसेंजर्स, कामर्शियल और कारगो वाहनों को मिलेगा। रोड कनेक्टिविटी में प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्र गंगा की तराई एक्सप्रेस-वे बनने के बाद विकास की मुख्य धारा में शामिल होगा।

खाद्यान्न, दलहन के लिए उत्तम तराई क्षेत्र से कनेक्टिविटी डेवलप होने के बाद एक्सप्रेस-वे के आसपास बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ पहुंचेगा।

गंगा एक्सप्रेस-वे यूपी के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। खाद्यान्न के उत्पादन में अव्वल न सिर्फ मेरठ बल्कि गंगा की तराई के क्षेत्र के विकास को इस एक्सप्रेस-वे के बनने से पंख लगेंगे। प्रदेश सरकार का यह सराहनीय कदम है।

राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, मेरठ

प्रदेश की विकासशील योगी सरकार का यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। इससे मेरठ के साथ-साथ गंगा के किनारों पर बसे अविकसित क्षेत्र का विकास होगा तो वहीं प्रयागराज की दूरी कम होगी। सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है।

डॉ। लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी

5 साल में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का निर्माण सरकार पूरा नहीं कर पाई है। यह जुमलेबाजी है, मेरठ में इनर रिंग रोड नहीं बना, आउटर रिंग रोड की योजना जमींदोज हो गई। हवाई पट्टी का विस्तारीकरण नहीं हो सका। ऐसे में एक नई घोषणा महज चुनावी शिगूफा है।

राजपाल सिंह, जिलाध्यक्ष, सपा

माया सरकार में भी बनी थी योजना

यूपी तत्कालीन मायावती सरकार ने 2010 में ग्रेटर नोएडा से बलिया के बीच 1,047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे को बनाने की योजना बनाई थी। तब इस पर पर्यावरणविदों ने आपत्ति जता दी थी और मामला कोर्ट में पहुंच गया था, हालांकि बाद में सरकार को एनवायरनमेंट मिनिस्ट्री से क्लीन चिट मिल थी। इस एक्सप्रेस-वे को पीपीपी मॉडल पर बनाया जाना था। इस एक्सप्रेस-वे के रास्ते में पड़ने वाली गंगा की सहायक नदियों पर 7 बडे़ और 256 छोटे पुल, रेल एवं सड़कों पर 68 फ्लाईओवर और 225 अंडरपास बनाए जाने थे। एक्सप्रेस-वे को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया कि वाहन इस पर 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकें। एक्सप्रेस-वे के किनारे टाउनशिप डेवलेप करने की स्कीम भी सरकार की थी। ग्रेनो से बलिया तक 17 जिलों के करीब साढे़ 1949 गांवों की जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था।