छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : अब क्या होगा, जब चिडि़या चुग गई खेत। बरसो पुरानी इस कहावत को प्रशासन की टीम ने फ्राइडे को सही साबित कर दिया। लंबी नींद से जागी प्रशासन की टीम ने फ्राइडे को आनन-फानन में मिठाई की दुकानों पर छापेमारी की और 13 सैंपल लिए। राखी के ठीक एक दिन पहले छापेमारी करने पहुंची इस टीम से पब्लिक को कोई फायदा-नुकसान नहीं होने वाला। क्योंकि अगर मिलावटी मिठाई बन रही है तो जब तक प्रशासन की रिपोर्ट आएगी, तब तक पब्लिक उसे खाकर बीमार भी पड़ चुकी होगी। फिर भी प्रशासन ने त्यौहार से पहले अपनी खानापूर्ति कर ली है।

आई नेक्स्ट ने पहले ही चेताया था

शहर में मिलावटी मिठाई बिक रही है, इसे आई नेक्स्ट ने पहले ही बताया था। कुंभकरण की नींद सो रहे विभाग तो फिर भी हरकत में नहीं आया, मगर जिला प्रशासन की टीम ने फ्राइडे को छापेमारी की। इससे मिठाई की दुकानों में अफरातफरी का माहौल रहा। प्रशासन के निर्देश पर दो टीम ने शहर के विभिन्न एरिया में छापेमारी की। गंदगी मिलने पर कार्रवाई का निर्देश दिया।

गंदगी देखकर भड़की बीडीओ

जांच अभियान के दौरान बिष्टपुर स्थित न्यू गोरांगो मिष्ठान भंडार के किचन में गंदगी मिलने पर बीडीओ पारूल सिंह भड़क गयी और किचन में सफाई के मानकों का पालन करने का सख्त निर्देश दिया। वहीं मजिस्ट्रेट स्मिता सिंह और एसीएमओ डॉ। विभा शरण ने मिलावटी मावे, दूध आदि का प्रयोग करने वाले दुकानदारों पर उचित कार्रवाई की बात कही। डीटीओ डॉ। प्रभाकर भगत ने कहा कि मिठाइयां तैयार करते समय स्टाफ को साफ-सफाई पर विशेष जोर देना चाहिए।

यहां-यहां से लिया गया नमूना

साकची स्थित भोला माहाराजा - छेना, खोवा, दही, गुड़ का लड्डू, जलेबी का सिरा

बिष्टुपुर स्थित कोल्ड स्टोरेज - श्री राम स्वीट्स का रंगीन छेना, मिष्टी का दानेदार छेना व गणगौर का खोवा जब्त किया गया

बिष्टुपुर स्थित न्यू गोरांगो मिष्ठान भंडार - छेना की मिठाई

जुगसलाई स्थित न्यू छप्पन भोग की गोदाम - खोवा का नमूना जब्त

जुगसलाई डिकोष्टा रोड स्थित गणगौर स्वीट्स के किचन - साफ-सफाई की कमी, पनीर व खोवा का नमूना जब्त

मिलावटी खाद्य-पदार्थ कैसे बनते हैं

मिलावटी मावा बनाने के लिए दूध की बजाय दूध पाउडर रसायन, आलू, शकरकंद, रिफाइंड तेल आदि का यूज किया जाता है। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में डिटर्जेट पाउडर, तरल जेल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड और मोबिल आयल के साथ एसेंट पाउडर डालकर दूध को बनाया जाता है। यूरिया का घोल, उसमें पाउडर और मोबिल डालकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। इसमें थोड़ा असली दूध मिलाकर सोखता कागज डाला जाता है। इससे नकली मावा व पनीर भी तैयार किया जाता है। यह सब सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं।