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RANCHI: जिला प्रशासन ने स्कूल बसों की जांच तो शुरू कर दी है, लेकिन कितने स्कूल बसों ने ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन किया है, इस बाबत ट्रैफिक पुलिस से अबतक रिकॉर्ड नहीं मांगें हैं। मालूम हो कि जांच के लिए बनाई गई टीमों को यह रिपोर्ट देनी थी कि कितने स्कूल बसों ने सिग्नल तोड़ा है? कितने ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है? कितने बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स नहीं है? कितनी बसों में कैपासिटी से ज्यादा बच्चों को बैठाया जा रहा है? कितने बसों की कंडीशन अच्छी नहीं है? लेकिन, सबसे अहम बात है कि यह रिपोर्ट ट्रैफिक पुलिस को देनी थी, पर वही पूरे मामले से अनजान है। ऐसे में जिला प्रशासन की जांच टीम ने स्कूलों से ही पूछताछ कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

नपे हैं कई स्कूली बस
गौरतलब है कि कई स्कूली बस ट्रैफिक रूल्स एंड रेगुलेशंस के उल्लंघन को लेकर नप चुके हैं। ट्रैफिक पुलिस कई स्कूली बसों का चालान काट चुकी है। इतना ही नहीं, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से समय-समय पर चलाए जाने वाले जांच अभियान के दौरान कई स्कूली बसों पर गाज गिरी है। इतना ही नहीं अभिभावकों द्वारा भी स्कूल बसों की मनमानी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई जा चुकी है।

बसों में न सीसीटीवी न ही फ‌र्स्ट एड किट
जिला प्रशासन की जांच में पाया गया है कि कई स्कूल की बसों में न तो सीसीटीवी कैमरा लगे हुए हैं न ही फ‌र्स्ट एड किट ही उपलब्ध है। बस में यदि किसी तरह की भी आकस्मिक दुर्घटना हो जाए तो बच्चों को तत्काल सहायता पहुंचा पाना काफी मुश्किल होगा।

नशे में धराए ड्राइवर, फिर भी चला रहे बस
रांची पुलिस ने कई बस चालकों को नशे में स्कूली बस चलाते हुए पकड़ा है। लेकिन, जमानत मिलने के बाद फिर से इन्हें ड्यूटी में लगा दिया गया है। स्कूल प्रबंधन के पास न तो इसकी जानकारी होती है न ही उनका कोई जोर ही चल पाता है। ज्यादातर स्कूलों में बसों का संचालन प्राइवेट ऑपरेटर करते हैं।

धड़ल्ले से रन कर रही हैं जर्जर बसें
राजधानी के कई स्कूलों ने निजी कंपनियों को बस प्रदान करने के लिए अनुमति दी है। निजी कंपनियों के द्वारा पुरानी खटारा बसों को रंग रोगन कर चलाया जा रहा है और तमाम मापदंडों को ठेंगा दिखाते हुए हर माह स्कूलों से मोटी कमाई की जा रही है।