छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : जमशेदपुर शहर में कितने बाल श्रमिक कार्यरत है। इसकी जानकारी जिला बाल सूचना कार्यलय में नहीं हैं, लेकिन विगत तीन सालों में बाल श्रम विभाग द्वारा कितने बच्चों को मुक्त कराया गया हैं। यह जानकारी जरुर श्रम विभाग के रजिस्टर में उपलब्ध हैं। बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के मख्य संयोजक व आरआईटी कार्यकर्ता सदान कुमार ठाकुर के सूचना मांगने पर विभाग द्वारा यह जानकारी उपलब्ध करायी गयी हैं। साथ ही जिन बाल श्रमिकों को विभाग द्वारा मुक्त कराया गया उनके पुर्नरवार्स के लिए विभाग द्वारा कोई पहल नहीं गई।

क्या मांगी सूचना क्या मिला जवाब

सदन कुमार ठाकुर ने विगत वर्ष 25.08.2014 को सूचना के अधिकार के तहत डिस्ट्रीक लेबर सुपरिंटेंडेंट (डीएलसी) से जब पूछा की जमशेदपुर में 2011 से लेकर 2014 तक कितने बाल मजदूर काम कर रहे है या हैं, उनके नाम के साथ पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया जाये, तो बाल श्रम अधिक्षक द्वारा उन्हें जवाब भेजा गया कि इस संबंध में विभाग के पास किसी भी प्रकार की सूचना नहीं हैं। इसके बाद सदन द्वारा फिर से पूछा गया कि 2011 से लेकर 2014 तक पिछले तीन सालों में जिले के कितने बाल मजदूर को डिस्ट्रीक लेबर सुपरिंटेंडेंट (डीएलसी) द्वारा मुक्त कराया गया तथा बाल मजदूर का नाम एवं जिन प्रतिष्ठानों से मुक्त कराया गया उनका नाम व पता के साथ सूचना उपलब्ध करायी जाये। इसपर बाल श्रम अधिक्षक का जवाब आया कि जिले से उनके द्वारा कुल 13 बाल मजदूर को अब-तक मुक्त कराया गया हैं, साथ ही सभी बाल मजदूर का नाम एवं जहां से बाल मजदूर मुक्त कराये गये उन प्रतिष्ठानों का नाम व पता भी भेजा गया। इसके बाद सदन ने विभाग से पूछा कि जिन बाल मजदूर को विभाग द्वारा मुक्त कराया गया उनके उत्थान एवं बाल श्रम उन्मुलन हेतु जिले में कितने बाल श्रम विद्यालय विभाग द्वारा खोला गया। जिसपर जवाब मिला की उनके उन्मुलन के लिए विभाग द्वारा कोई बाल श्रमिक विद्यालय नहीं खोला गया। आखिर में सदन ने विभाग से पूछा कि बाल मजदूर के सहायता के लिए कितने इंद्रा आवास उनके परिजनों को उपलब्ध कराया गया। जिसपर विभाग द्वारा बताया गया कि इससे संबंधित सूचना कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं मिलने पर सदन कुमार ठाकुर ने 3.11.2014 को मुख्य न्यायधीश सवोच्च न्यालय को पत्र लिखकर जिले में बाल श्रम को लेकर विभाग द्वारा टाल-मटोल कि जाने की जानकारी दी। जिसके बाद सुप्रिम कोर्ट द्वारा भारत सरकार के श्रम मंत्रि को उपरोक्त विषय पर तत्काल कारवाई करने का आदेश दिया गया। जिसकी जानकारी सदन ठाकुर को लेबर मीनिस्ट्री द्वारा पत्र के माध्यम से प्राप्त हुई। जिसमें लेबर कमिशन झारखंड को तत्काल कारवाई करने का आदेश दिया गया तथा कारवाई की एक कॉपी आवेदन कर्ता को दिये जाने की जानकारी दी गई, लेकिन आज-तक इस विषय पर लेबर कमिशन झारखंड के द्वारा कोई कारवाई नहीं की गई।

आईएलओ को पत्र लिखकर किया अवगत

बाल श्रम विभाग एवं संबंधित कार्यालय द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नहीं उपलब्ध कराने के पश्चात 13.05.2015 को सदन ठाकुर ने इंटरनेशनल लेबर आरगनाइजेशन को पत्र के माध्यम से पूरी जानकारी उपलब्ध करायी है। जिसका जवाब आने का वो अब इंतजार कर रहे है।