वाटरलॉगिंग से होता पहला सामना

इंजीनियरिंग कॉलेज से निकलते ही आसपास इलाकों में वाटर लागिंग की प्रॉब्लम सीएम के सामने आ जाती। चार दिन पहले हुई बारिश से सड़क पर लगे पानी के बीच से उनको गुजरना पड़ता। वह पानी में फंसते तो अफसरों से सवाल पूछते। नाकाम अफसर आखिर क्या बताते।

एक दिन में बनाई नाली, कर दिया खड़ंजा

पानी के बाद सीएम को ताजा बनी नाली नजर आ जाती, जहां पर दो साल से नाली बनाने की डिमांड हो रही थी। वहां पर आनन फानन में नाली बना दी गई। सिघडिय़ां के पास जो नाली दो साल में नहीं बन सकी उसे रातो रात तैयार कर दिया गया। इसके अलावा इंजीनियरिंग कालेज कैंपस और अगल- बगल में खड़ंजा बना दिया गया। सड़कों को पिच कर दिया गया।

नजर आता है अभी हटाया इनक्रोचमेंट

बड़ी बात यह है कि आबादी शुरू होते ही सड़क फुटपाथ पर जबर्दस्त इनक्रोचमेंट नजर आता है। इंजीनियरिंग कॉलेज से लेकर मेडिकल कालेज तक जबर्दस्त तैयारी की गई। दो दिन पहले प्रशासन ने इनक्रोचमेंट हटा दिया था। जहां से इनक्रोचमेंट हटाया गया था। वहां पर चूना गिराया गया था। इससे इनक्रोमचेंट हटाने की पोल खुल जाती।

दिख जाती रामगढ़ताल परियोजना की लापरवाही

कूड़ाघाट से आगे बढ़ते ही सीएम के सामने रामगढ़ ताल झील परियोजना की लापरवाही नजर आती। तीन साल से अधिक का समय बीतने बाद यहां वर्क पेडिंग है। सीएम की नजर इस पर पड़ती तो शायद वे खफा हो जाते।

तो जानबूझकर चुना ऐसा रास्ता, ताकि लगे कम झटके  

वीआईपी मूवमेंट के लिए इंजीनियरिंग कालेज होते हुए मोहद्दीपुर, असुरन चौक और मेडिकल कालेज तक जाने के लिए जानबूझकर रास्ता चुना गया। जेल बाईपास से खंचाजी होकर भी मेडिकल कालेज जाया जा सकता था। मोहद्दीपुर- असुरन चौक- मेडिकल कालेज रोड की हालत ठीक है। यहां थोड़ी बहुत कमियों को पैच वर्क से दुरुस्त कराया गया था। इस रास्ते में मशक्कत करनी पड़ी। पैचिंग की वजह से रास्ते की झटका भी कम हो गया।

छह माह लगाते, तब नहीं बदलती सूरत

वीवीआईपी मूवमेंट को देखते हुए प्रशासन ने सभी गाडिय़ों को असुरन होते हुए मेडिकल कालेज भेजा। किसी भी गाड़ी को जेल बाईपास से नहीं जाने दिया गया। यहां की हालत ऐसी है कि जीएमसी का कूड़ा फेंका जाता है। सड़क पर सिर्फ गड्ढे नजर आते हैं। फातिमा हॉस्पिटल से आगे जाने पर सड़क संकरी है। यदि सीएम को इधर से ले जाना होता तो छह महीने का समय लगाते फिर भी बदबू के अंबार को नहीं कम कर पाते।

शहर में आते तो बदल जाती सूरत

यदि सीएम का प्रोग्राम पूरी सिटी में होता शहर की सूरत बदल जाती। ऐसा कहना है लोगों का, पब्लिक ने देखा कि जिन रास्तों पर अफसरों और मंत्रियों को गुजरना था। वहां की सूरत बदलने की कोशिश हुई। यदि सीएम का सिटी के बाकी हिस्सो में दौरा लग जाता तो सभी जगहों की सूरत संवर जाती। लोगों को मायावती का दौरा याद आया जब वे सिटी में आईं थी। वह किधर चली जाएंगी इस सोचकर अफसरों ने हर जगह मुस्तैदी बरती थी।

यह नौटंकी हमेशा होती है। वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान यह तैयारी करने के बजाय साल भर प्रशासन शहर को फिट रखता तो इतनी भागदौड़ नहीं करनी पड़ती।

राजन कुमार

सिटी की दुव्र्यवस्था को देखते हुए ऐसे दौरे जरूरी हैं, लेकिन इसका फायदा तभी मिलेगा जब सीएम पूरे शहर में घूमकर जायजा लें।

जितेंद्र पासवान

सीएम को चाहिए कि पूरा शहर देखें। इससे डेवलपमेंट को गति मिलेगी। वीआईपी के बहाने ही सही, अफसर इस शहर को चकाचक कर देंगे।

विकास मौर्या

साल भर सोने वाले अफसर जिस तरह से जागते भागते रहे। उसी तरह से रोजाना काम हो तो बाहर से आने वालों को निराश नहीं होना पड़ेगा। सड़क और बिजली की प्रॉब्लम दूर रहती।

प्रवीण कुमार