- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल न होने से सरकारी योजनाएं हो रही हैं प्रभावित

- मेडिकल लीगल में भी आ रही परेशानियां

-दो सीएम कर चुके डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की घोषणा

-अब तक शुरू नहीं हुई प्रक्रिया

देहरादून

देहरादून में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का मामला एक बार फिर गरमाने लगा है। इस बार इस मसले को हवा सीएम त्रिवेन्द्र रावत के उस बयान ने दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने जा रही है और जल्दी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल मिलने वाला है। यह बयान उन्होंने दो दिन पहले कोरोनेशन अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था। सीएम के इस बयान के बाद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की उम्मीद लगा रहे लोग नये सिरे से सक्रिय हुए हैं।

हॉस्पिटल को लेकर स्थिति साफ नहीं

किस हॉस्पिटल को सरकार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल घोषित करने वाली है, इसे लेकर अभी तक स्थिति साफ नहीं है। इसे लेकर लोग अपनी-अपनी तरह से संभावनाएं जता रहे हैं। सबसे ज्यादा संभावना कोरोनेशन हॉस्पिटल की जताई जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सीएम ने कोरोनेशन हॉस्पिटल में यह घोषणा सांकेतिक रूप से की है। ऐसे में इसी हॉस्पिटल की संभावना ज्यादा है।

जगह को लेकर आशंका

कोरोनेशन हॉस्पिटल में जगह की कमी को लेकर आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि इस हॉस्पिटल की चार मंजिला बिल्डिंग है, लेकिन बिल्डिंग के एक बड़े हिस्से पर फोर्टिस हॉस्पिटल और एक अन्य प्राइवेट संस्था का डायलिसिस सेंटर चल रहा है। गांधी आई हॉस्पिटल को लेकर भी कुछ लोग संभावना जता रहे हैं। इस हॉस्पिटल के पास भी चार मंजिला बिल्डिंग है। हालांकि इन दोनों हॉस्पिटल में पहुंचने के लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है।

सरकारी योजनाएं बाधित

देहरादून में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल न होने के कारण आम लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं। स्वास्थ्य संबंधी सभी सरकारी योजनाएं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के माध्यम से ही चलाई जाती हैं। फिलहाल इन योजनाओं को चलाने में परेशानी हो रही है। कुछ योजनाएं मेडिकल कालेज बन जाने के बाद भी दून हॉस्पिटल से चल रही है जबकि कुछ योजनाएं कोरोनेशन हॉस्पिटल को सौंप दी गई हैं।

मेडिको लीगल मामलों में भी परेशानी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का ढांचा न होने के कारण मेडिको लीगल मामलों में भी परेशानी हो रही है। मारपीट के मामलों का मेडिकल , ऐज सर्टिफिकेट, नौकरी के लिए मांगे जाने वाले फिटनेस सर्टिफिकेट बनाने वालों को समस्या पैदा हो रही है।

विभागीय काम भी प्रभावित

आम लोगों के साथ ही विभागीय काम भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ने होने से प्रभावित होते हैं। वीआईपी ड्यूटी या मेडिकल बोर्ड बनाने जैसे कामों में विभाग को परेशानी होती है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल न होने से सीएमओ के पास पर्याप्त डॉक्टर नहीं होते, ऐसे में वीआईपी ड्यूटी और मेडिकल बोर्ड आदि बनाने के डॉक्टर्स की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बिना परेशानी तो होती है आम लोगों को भी और विभाग को भी। यदि सरकार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बनाने के मामले में गंभीर है तो इस कदम का हम स्वागत करते हैं।

-डॉ। वाईएस थपलियाल, सीएमओ