-एक मरीज को औसतन दो मिनट का समय भी नहीं मिल पाता

-ओपीडी में आने वाले मरीजों को पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध नहीं

-शहर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नहीं है ट्रामा सेंटर

-सिटी से लेकर रूरल तक सरकारी हॉस्पिटल्स में इलाज की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नही हैं

इन बीमारियों का नहीं है इलाज

-किडनी, लीवर, हार्ट, कैंसर, गंभीर बीमारी आदि

आंकड़े बयां कर रहे सच्चाई

45 डॉक्टर्स की पोस्ट हॉस्पिटल में है

26 डॉक्टर्स पोस्टेड हैं

19 पोस्ट डॉक्टर्स की खाली

2500 से अधिक मरीज आते हैं डेली ओपीडी में

325 बेड का है हॉस्पिटल

200 से अधिक जांचें होती है डेली

इन सुविधाओं की है दरकार

-शहर का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल जल्द शुरू कराया जाए।

-खाली पोस्ट पर तुरंत डॉक्टर की तैनाती हो।

-हाई क्वालिटी ट्रामा सेंटर

-अति आधुनिक कैंसर व हार्ट ट्रीटमेंट हॉस्पिटल

-एमआरआई व सीटी स्कैन जांच मशीन

-किडनी, लीवर, कैंसर आदि रोगों के डॉक्टर हो तैनात

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-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पद के मुताबिक डॉक्टर्स तक नहीं है तैनात

-सरकारी इलाज में खामी का फायदा उठा रहे निजी डॉक्टर्स, लैब और मेडिकल स्टोर्स

BAREILLY: आजादी के सात दशक बीत चुके हैं। लेकिन आज भी पब्लिक को स्वास्थ सेवाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं। बीमार पब्लिक जब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचती है तो उसे पता चलता है कि यहां तो इस मर्ज का डॉक्टर ही नहीं है। इससे निजी हॉस्पिटल, लैब संचालक और मेडिकल स्टोर्स जमकर मौके का फायदा उठाने में लगे हुए हैं।

वार्ड में कम पड़ जाते हैं बेड

शहर के इकलौता डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। हॉस्पिटल के वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ने पर एक बेड पर दो-दो मरीजों को भी एडमिट करना पड़ता है। यह हालत फीवर वार्ड में भी बनी हुई है। हॉस्पिटल के वार्ड के पास बने टॉयलेट की हालत तो इतनी खराब है कि टॉयलेट में जाने के लिए मुंह पर कपड़ा ही बांधना पड़ेगा। हॉस्पिटल में ऐसा कोई भी प्वॉइंट नहीं है जहां पर मरीजों को समस्याओं का सामना न करना पड़े। मरीजों को न तो पूरा इलाज मिलता है। इससे मायूस मरीज को उसके परिजन निजी हॉस्पिटल ही चले जाते हैं।

डेली बढ़ रही मरीजों की संख्या

डिस्ट्रिक्ट हॅस्पिटल आने वाले मरीजों की संख्या डेली बढ़ रही है। लेकिन डॉक्टर्स की पोस्ट के अनुसार तैनात नहीं हो रहे है। इससे मरीज को हॉस्पिटल जाने से पहले सोचना पड़ता है कि डॉक्टर्स मिलेंगे या नहीं। क्योंकि यहां कई रोगों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ही नहीं हैं। इसके साथ ही कई डॉक्टर की पोस्ट तो दो है, लेकिन तैनाती सिर्फ एक की। वह भी कभी छुट्टी पर हो तो फिर मरीज का इलाज भगवान भरोसे ही है। यही हाल अन्य विभागों का भी है।

सीएमओ डॉ। विनीत शुक्ला से रैपिड फायर

सवाल: हॉस्पिटल में सुविधाओं को बेहतर करने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?

जवाब: हॉस्पिटल आने वाले मरीज को बेहतर इलाज मिले यही प्रयास है, ताकि कोई निराश न हो।

सवाल: हॉस्पिटल में हार्ट यूनिट बंद है और डायलिसिस अभी नहीं चल सकी।

जवाब: डायलिसिस यूनिट लगभग तैयार हो चुकी है। जल्द ही मरीजों को सुविधा मिलेगी। हार्ट के डॉक्टर को लिखा गया है।

सवाल: हॉस्पिटल आने वाले मरीजों की लंबी लाइन लगानी पड़ती है इसके लिए कैसे छुटकारा मिलेगा।

जवाब: हॉस्पिटल में कई डॉक्टर्स के पद रिक्त हैं। हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ती है। मरीजों की सुविधा के हेल्प डेस्क भी ओपन की गई है।