-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की मोर्चरी में प्राइवेट शख्स कर रहा था वसूली

-सरकारी कर्मचारी की मिलीभगत से चल रहा खेल, हिरासत में

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की मोर्चरी में शवों की मुंह दिखाई ली जाती है। सुनकर आप चौंक गए होंगे, लेकिन सौ आना सच है। वेडनसडे को इसका खुलासा तब हुआ जब व्यक्ति अपने भाई की पहचान करने के लिए मोर्चरी पहुंचा, तो उसे शव की मुंह दिखाई 1000 रुपए मांगे गए। वह रुपए दे पाने में असमर्थता जताया तो शव दिखाने से मना कर दिया गया। पीडि़त परिवार ने हॉस्पिटल चौकी में मामले की शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने रुपए मांग रहे शख्स को हिरासत में ले लिया। हैरानी की बात तो यह रही कि इंस्पेक्टर को कार्रवाई के लिए तहरीर चाहिए थी, जिसके चलते आरोपी को बिना कार्रवाई थाने से छोड़ दिया।

800 रुपए तो देने ही होंगे

तैयतपुर निवासी मुकेश का भाई तेजपाल तीन दिन पहले घर से निकला था। उसके पेट में पथरी थी। उसके बाद वह घर वापस नहीं पहुंचा था। मुकेश को पता चला कि उसका भाई डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है। वेडनसडे दोपहर मुकेश परिजनों के साथ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचा। उसे बताया गया कि उसके भाई का शव मोर्चरी में रखा हुआ है, जिसके बाद वह मोर्चरी में पहुंचा तो यहां पर दो युवक मिले। उन्होंने शव दिखाने के लिए कहा। मोर्चरी खुलने पर उसने भाई के शव की पहचान कर ली। उसके बाद वहां मौजूद शख्स ने कहा कि शव को कपड़ा लगाने और पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने तक के एक हजार रुपए लगते हैं। वह गरीब है तो 800 रुपए लगेंगे। इससे पहले जो तीन डेड बॉडी थीं, उन्हें भेज दिया गया है।

इमरजेंसी के बाहर रहकर दलाली

जब मुकेश ने रुपए देने से इनकार किया तो शख्स ने उससे कहा कि रुपए तो लगते ही हैं। इस पर मुकेश ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बनी चौकी में शिकायत की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मोहम्मद राशिद और आकाश नाम के शख्स को पकड़ लिया। पुलिस ने जब पूछताछ की तो पता चला कि आकाश तो अपने भाई को देखने आया है, लेकिन राशिद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ही इमरजेंसी के आसपास घूमता रहता है। वह मूलरूप से जगतपुर का निवासी है। वह कुछ समय पहले मोर्चरी पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारी नूर मोहम्मद के लिए काम करता था। नूर मोहम्मद के बाद वह सरकारी कर्मचारी राजेंद्र के लिए काम करता है। राजेंद्र उसे 20-30 रुपए दे देता है। प्रत्येक शव के 1000 रुपए लिए जाते हैं। वेडनसडे को 4 डेड बॉडी थीं, जिसमें 3 के 1900 रुपए ले चुका था और उसे सिर्फ 30 रुपए दिए थे। वहीं मामला पकड़ में आने के बाद राजेंद्र परिजनों को मनाने में लगा हुआ था।

यदि कोई शव की पहचान के नाम पर पैसे ले रहा था तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। थाना और चौकी स्तर पर किसने लापरवाही की, उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

मुनिराज जी, एसएसपी

जो पैसे मांग रहा था, वह हॉस्पिटल कर्मचारी नहीं है। उसे पुलिस को सौंप दिया गया है। पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई करे। यदि कोई कर्मचारी लिप्त है तो उसके खिलाफ भी एक्शन होगा।

डॉ। केएस गुप्ता, सीएमएस